डॉ के दबंग बाप व अस्पताल के कम्पाउंडरों द्वारा सिराज अज़मी व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट
आजमगढ़
जनपद आजमगढ़ में डॉक्टरी के पेशे एवं मानवता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहाँ पर अस्पताल प्रबन्धक के नशे में धुत्त दबंग पिता ने गुंडे टाइप कम्पाउडरों के साथ मिलकर मरीज के परिजनों के साथ बर्बरतापूर्वक मारपीट की। इतना ही नही, आरोपितों ने महिलाओं एवं बच्चों को भी नही बख़्शा। मौक़ै पर पहुँची पुलिस ने पीड़ित को ही धमका कर मामला रफा-दफ़ा कर दिया। घटना के बाद से पीड़ित परिवार सहमा हुआ है।
मामला जनपद आजमगढ़ के फूलपुर थाना क्षेत्र का है। यहाँ पर पुराने कोल्ड स्टोर के पास भारत हेल्थकेयर सेंटर के नाम से डॉ आर.के यादव ने अस्पताल खोला हुआ है।
पीड़ित समाजसेवी सिराज अहमद अज़मी टूर एन्ड ट्रैवेल्स का काम करते हैं। सिराज अज़मी ने हिन्द न्यूज़ से बात करते हुये बताया कि घर में कुछ कहासुनी होने पर मेरी छोटी बहन सदमें में थी। जिस कारण मैंने 30 जून को अपनी छोटी बहन को घर से लगभग 50 कदम दूर स्थित भारत अस्पताल में भर्ती कराया। उसकी हालत में सुधार न होने के कारण कई बार मैंने डॉक्टर आर.के यादव से कहीं अन्यत्र ले जाने की विनती की,लेकिन डॉ झाँसा देते रहे कि जल्द ही सुधार हो जायेगा।
घटना वाले दिन के बारे में सिराज अहमद अज़मी ने बताया कि बहन की हालत में सुधार न होने और डॉ द्वारा बहन को कहीं और न ले जाने देने पर हम भाइयों में अस्पताल के बाहर बहस होने लगी। इस दौरान अज्ञात कम्पाउण्डर(23) अस्पताल से बाहर आया और अत्यंत अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुये मरीज़ को बाहर निकालने की बात करने लगा। मैं उससे पूछने अस्पताल के अन्दर दाखिल हुआ कि आप कौन होते हैं हमें डॉक्टर यादव से बात करनी हैै। इतना सुनते ही कम्पाउंडर ने तैश में आकर अस्पताल के चैनल गेट में जंजीर लगाकर ताला लगा लिया। फिर अन्दर जाकर एक दूसरे स्टॉफ और डॉक्टर के नशे में धुत्त दबंग पिता भारत यादव (75) को मोटे मोटे बाँस के साथ लेकर आया और मुझे, मेरी पत्नी(30), बड़ी बहन(35) और दोनों बच्चियों (9 एवं 5 वर्ष) को बेरहमी से मारा जिससे हम सब घायल हो गए। मैं अपने सामने अपनी बहन जो बुरी तरह सदमे में थी जिसकी नज़र मुझ पर टिकी थी बस उसे देखता रहा और चुपचाप मार खाता रहा। हमें पिटता देख मेरी बहन की हालत और अधिक बिगड़ने लगी। मोबाइल साथ न ला पाने के कारण मैं 112 पर कॉल न कर सका। लगभग आधे घण्टे बाद डॉक्टर यादव के ऑपरेशन थियेटर से बाहर आने पर गेट का ताला खोला गया। डॉक्टर ने फोन करके पुलिस को बुलाया तथा मुझ पर उस अज्ञात कम्पाउण्डर पर हाथ उठाने और उसे घायल करने का झूठा इल्जाम लगाकर मुझ पर पुलिस से दबाव डलवाते हुये मामले को वहीं रफा दफा करवा कर मेरे मरीज़ को बाहर निकाल दिया। मैं फिर भी उससे पूरी इज़्ज़त से पेश आया, उससे दर्द की दवा लेकर खाई और मरीज़ को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करवाया।
पीड़ित ने बताया कि डॉक्टर राजेश कुमार यादव उनके पिता और उनके स्टाफ से मेरा किसी प्रकार का कोई विवाद नहीं था। यदि डॉक्टर के मुताबिक मैंने उनके स्टॉफ पर कोई हमला या मारपीट की थी तो उन्हें प्रशासन की सहायता लेकर मुझ पर रिपोर्ट दर्ज करवानी चाहिये थी, कानून को हाथ में लेकर मोटे बाँस से मेरी, मेरी पत्नी और मेरी बहन की पिटाई का अधिकार उन्हें किसने दिया ?
इस बारे में पुलिस ने मुझ पर दबाव बनाया और छोटी बहन की बिगड़ती हालात से मजबूर होकर, मैं उस समय कोई कार्यवाही नहीं कर पाया। लेकिन अब मैं चाहता हूँ कि उच्चाधिकारियों द्वारा अस्पताल में मौजूद सीसीटीवी कैमरे की फुटेज निकलवा कर दोषियों को सज़ा दिलाई जाये। घटना के बाद से मैं और मेरा परिवार बेहद सदमे में है।