अरविंद केजरीवाल ने अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग और भूजल रिचार्ज पर की समीक्षा बैठक
- हमारा लक्ष्य दिल्ली के हर घर तक स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता बढ़ाना है, इसके लिए हमें अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग और भूजल रिचार्ज से संबंधित चल रही सभी परियोजनाओं में तेजी लानी होगी- अरविंद केजरीवाल
- सीएम अरविंद केजरीवाल ने जलमंत्री सत्येंद्र जैन, डीजेबी और डीएसआईआईडीसी के अधिकारियों के साथ अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग और भूमिगत जल के रिचार्ज संबंधी परियोजनाओं की समीक्षा की
नई दिल्ली
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली को नल से 24 घंटे स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने को लेकर बेहद गंभीर हैं। मुख्यमंत्री ने दिल्ली में पीने योग्य पानी की क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से आज दिल्ली सचिवालय में महत्वपूर्ण बैठक की। बैठक में तय किया गया है कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार से जो पानी फसलों की सिंचाई में इस्तेमाल के छोड़ा जा रहा है, उस पानी को दिल्ली वालों को पीने के लिए ले लिया जाए और इसके एवज में दिल्ली सरकार, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार को अपने एसटीपी से उतना ही ट्रीटेड पानी देने के लिए तैयार है। मुख्यमंत्री ने जल मंत्री और डीजेबी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस संबंध में दोनों सरकारों से विस्तार से बातचीत की जाए, ताकि उनसे सिंचाई में इस्तेमाल हो रहे पीने योग्य पानी को प्राप्त किया जा सके। साथ ही, झील और वाॅटर बाॅडीज से पीने योग्य पानी प्राप्त करने और डीएसआईआईडीसी एरिया में सीईटीपी से ट्रीटेड पानी को आरओ के जरिए और शुद्ध कर पुनः इस्तेमाल करने योग्य बनाने के संबंध में भी चर्चा की गई। बैठक में जल मंत्री सत्येंद्र जैन, डीजेबी के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा, डीएसआईआईडीसी और दिल्ली जल बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
दिल्ली सचिवालय में आयोजित बैठक में सीएम अरविंद केजरीवाल ने जल मंत्री सत्येंद्र जैन, दिल्ली जल बोर्ड और डीएसआईडीसी के अधिकारियों से पानी को दोबारा इस्तेमाल के संबंध में विस्तार से चर्चा की। साथ ही, दिल्ली के अंदर हर घर को नल के जरिए 24 घंटे स्वच्छ पानी मुहैया कराने के लिए चल रही विभिन्न परियोजनाओं की कार्य प्रगति की भी समीक्षा की। बैठक में मुख्यमंत्री ने दिल्ली में पीने योग्य पानी की क्षमता को और अधिक बढ़ाने पर विशेष तौर पर चर्चा की।
बैठक में हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा फसलों की सिंचाई में इस्तेमाल हो रहे साफ पानी को प्राप्त करने पर विस्तार से चर्चा की गई। सीएम को अधिकारियों ने बताया कि हरियाणा सरकार औचंदी नहर में फसलों की सिंचाई के लिए पानी छोड़ती है। साथ ही, हरियाणा सरकार इसी नहर के जरिए दिल्ली सरकार को पीने योग्य पानी भी देती है। इस बात पर विचार किया गया कि हरियाणा सरकार द्वारा जो पानी फसलों की सिंचाई के लिए औचंदी नहर में छोड़ा जाता है। चूंकि यह पानी भी साफ और पीने योग्य होता है। इसलिए हरियाणा सरकार से सिंचाई के लिए औचंदी नहर में छोड़े जाने वाले पानी को भी ले लिया जाए और उसका इस्तेमाल दिल्ली में पीने के लिए किया जाए। औचंदी नहर के पास ही दिल्ली सरकार का रिठाला एसटीपी स्थित है। दिल्ली सरकार, हरियाणा से सिंचाई में इस्तेमाल होने वाले पानी को लेने के एवज में रिठाला एसटीपी से उतना ही ट्रीटेड पानी औचंदी नहर डाल देगी। हरियाणा सरकार सिंचाई के लिए औचंदी नहर में 25 एमजीडी पानी छोड़ती है, दिल्ली सरकार रिठाला एसटीपी से उतना ही ट्रीटेड पानी वापस कर देगी। यह मामला अपर यमुना रिवर फ्रंट बोर्ड के पास है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश किए कि इस मसले को जल्द से जल्द सुलझाया जाए, ताकि दिल्ली को पीने योग्य और ज्यादा पानी मिल सके।
दिल्ली सरकार हरियाणा के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से भी पीने के लिए पानी लेती है। यूपी सरकार भी बहुत सारा पानी फसलों की सिंचाई में इस्तेमाल करती है। यह पीने भी साफ और पीने योग्य है। दिल्ली सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध किया है कि अगर यूपी सरकार सिंचाई में इस्तेमाल होने वाले 140 एमजीडी पानी को भी दिल्ली को पीने के लिए उपलब्ध करा दे, तो दिल्ली सरकार अपने एसटीपी से यूपी सरकार को 140 एमजीडी पानी वापस दे देगी। एसटीपी से ट्रीटेड पानी से फसलों की सिंचाई की जा सकती है। सीएम ने अधिकारियों को इस मामले में भी आगे बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।
बैठक में सीएम अरविंद केजरीवाल ने झीलों और वाॅटर बाॅडीज के माध्यम से भूजल पुनर्भरण की विभिन्न परियोजनाओं की समीक्षा की और जिस एरिया में भूजल का स्तर उपर है, उन क्षेत्रों भूमिगत जल को निकालने की समय सीमा पेश करने के निर्देश दिए। सीएम ने अधिकारियों से जानकारी मांगी है कि झील और वाॅटर बाॅडीज से कितना पानी ट्रीट किया जाता है और दिल्ली को पीने योग्य कितना ट्रीटेड पानी मिलता है। सीएम ने अधिकारियों को इसका आंकलन करने के निर्देश दिए हैं, ताकि इस पानी को पुनः उपयोग में लिया जा सके।
बैठक में डीएसआईआईडीसी एरिया में इस्तेमाल होने वाले पानी के संबंध में भी चर्चा की गई। डीएसआईआईडीसी को 7 से 8 एमजीडी पानी की जरूरत होती है। इसमें दिल्ली जल बोर्ड से डीएसआईडीसी को दो एमजीडी पानी मिलता है। डीएसआईआईडीसी शेष पानी की जरूरत को अपना सीईटीपी के जरिए पूरी करती है। बैठक में निर्णय लिया गया कि डीएसआईआईडीसी सीईटीपी से ट्रीटेड पानी को दोबारा इस्तेमाल योग्य बनाने के लिए आरओ लगाएगी, ताकि पानी को और अधिक शुद्ध किया सके। डीएसआईआईडीसी आरओ के पानी को अपनी एरिया में आपूर्ति करेगी। डीएसआईआईडीसी अधिकारियों ने बताया कि यदि वह अपने सीईटीपी से ट्रीट पानी को आरओ के जरिए और शोधित करके अपने एरिया में आपूर्ति करती है, तो दिल्ली जल बोर्ड को 2 एमजीडी पानी की बचत हो जाएगी, जिसका इस्तेमाल पीने के लिए किया जा सकेगा।
दिल्ली में ट्रीटेड/अनट्रीटेड पानी की स्थिति पर एक नजर
- विभिन्न एसटीपी से ट्रीटेड पानी- 520 एमजीडी
- हरियाणा से बादशाहपुर और डीडी-6 ड्रेन से मिलने वाला अनट्रीटेड पानी- 105 एमजीडी
- उत्तर प्रदेश से गाजीपुर ड्रेन से मिलने वाला अनट्रीटेड पानी- 50 एमजीडी
- दिल्ली से डिस्चार्ज होने वाला अनट्रीटेड पानी- 142
- सिंचाई, हाॅर्टिकल्चर और उद्योगों में इस्तेमाल होने वाला पानी- 90 एमजीडी