नई दिल्ली
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ. अनिल कुमार ने आज दिल्ली में सरकार के द्वारा वैश्विक आपदा के समय अपने संवैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन में पूर्णतया विफल होने पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की माँग करी ।
चौ. अनिल कुमार ने राष्ट्रपति की पत्र के माध्यम से माँग करते हुए कहा की
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में विगत कई दिनों से सामान्य नागरिक अस्पताल में भरती न हो पाने और ऑक्सीजन कि उपलब्धता न हो पाने के कारण तड़प तड़प कर मौत का ग्रास बन रहे हैं । इस वैश्विक आपदा के प्रबंधन में राज्य सरकार का कार्यकलाप पूर्णतया गैर जिम्मेदाराना और लापरवाही वाला रहा है । दिल्ली सरकार ने अपने झूटे प्रचार और प्रसार पर करोड़ों रूपय विज्ञापन पर तो खर्च किए लेकिन महामारी से निपटने कि कोई तैयारी नही कि । उन्होंने कहा कि राष्ट्रिय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में नागरिक चिकित्सा व्यवस्थाओं के आभाव में जनता सड़कों पर दम तोड़ने को विवश हैं जबकी ऑक्सिजन गैस और दवाइयों कि कालाबजारी हो रही है aur सरकार हाथ पे हाथ रखकर बैठी हुई है । वर्तमान परिद्रश्य इस बात को सिद्ध करते हैं कि प्रदेश सरकार नागरिकों के प्रति अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन करने में पूर्णत : विफल रही हैं और अपने कर्तव्यों से विमुख हो चुकी है ।
चो. अनिल कुमार ने राष्ट्रपति को अपने पत्र में लिखा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पूर्ण रूप से चरमरा गई है और प्रदेश इस भयावह स्थिति में अराजकता कि और बढ़ रहा है । देश में प्रकाशित होने वाले अधिकांश राष्ट्रीय समाचार पत्रों ने भी हाल ही में यह प्रकाशित किया है कि दिल्ली उच्च न्यायलय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में ऑक्सीजन कि कमी और चिकित्सा व्यवस्था के आभाव के कारण मर रहे नागरिको के प्रति राज्य सरकार कि असंवेदनशीलता और अकर्मण्यता को देखते हुए टिपण्णी करने को विवश होना पड़ा । माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने कल दिनांक 27 अप्रैल , 2021 को दिल्ली सरकार को लताड़ते हुए कहा कि “ अपने घर को संभालिए । यदि आप ऐसा नहीं कर सकते , तो हमें बताएं , हम केंद्र सरकार को इसे संभालने के लिए कहेंगे , लोग मर रहे हैं । ” महोदय एक लोकतान्त्रिक सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों के जीवन कि रक्षा हेतु उचित चिकित्सा सुविधाओं का प्रबंधन करे । प्रदेश सरकार ने गत एक वर्ष से इस दिशा में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाए हैं जबकी महामारी कि दोबारा तेजी से फैलने कि रिपोर्ट आ रही थी । कोरोना महामारी के विषय में देश – विदेश से चिकित्सा वैज्ञानिकों द्वारा जारी चेतावनीओं को दरकिनार कर प्रदेश सरकार ने लापरवाहीपूर्ण आचरण रखा हैं और उसी का नतीजा आज प्रदेश कि जनता भुगत रही है । प्रदेश सरकार नागरिकों को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने कि अपेक्षा करोना महामारी से होने वाली मौत के आंकड़ो से खिलवाड़ कर अपनी नाकामियों को छुपाने में व्यस्त है । प्रदेश के नागरिक अस्पतालों कि दहलीज पर सांसों के लिए छटपटा रहे हैं और उनके परिजन बिलख रहे हैं । प्रदेश के हर एक कोने में यही भयावह मंजर है , गरीब मज़दूर भूखा मरने के कगार पर है और दिल्ली छोड़कर अपने राज्य वापिस जा रहें हैं । लेकिन प्रदेश सरकार कोई भी ठोस कदम नहीं उठा रही है ।
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