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आज़म ख़ान के शोषण को लेकर अधिवक्ता ने मानवाधिकार आयोग को लिखा पत्र

आज़म ख़ान के शोषण को लेकर अधिवक्ता ने मानवाधिकार आयोग को लिखा पत्र

रामपुर(मो. शाह नबी)
सपा सांसद मोहम्मद आजम खां के खिलाफ की गयी कार्यवाई को लेकर रामपुर के अधिवक्ता विक्की राज एडवोकेट ने मानवाधिकार आयोग को पत्र लिख कर मामले को संज्ञान में लेने की अपील की है।
विक्की राज ने पत्र में लिखा कि उत्तर प्रदेश सरकार की राजनैतिक द्वेषभावना की मार झेल रहे सपा के वरिष्ठ नेता एवं रामपुर सांसद मोहम्मद आज़म खान 26 फ़रवरी 2020 से सीतापुर जेल में निरुद्ध हैं। आजम ख़ान ने रामपुर में एक मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय बनाया है। जिसमें लगभग 4000 छात्र / छात्रायें उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। आजम खां ने एक मेडिकल कालेज बनाया है। जहां पर बहुत ही कम पैसो में लोगो का बेहतर इलाज होता है तथा वही मेडिकल कालेज आज के कोरोना काल में कोविड सेन्टर बना हुआ है। जहां पर सिर्फ रामपुर ही नही बल्कि दूसरो जिलो के कारोना संक्रमित मरीजों का बेहतर इलाज हो रहा है। क्योंकि आजम ख़ान के बनाये मेडिकल कालेज में न तो आक्सीजन की कमी है और न ही वेन्टीलेटर की कमी है। आजम ख़ान जिला अस्पातल रामपुर में कई वर्ष पूर्व एक बहुत ही बड़ा आक्सीजन का प्लांट लगवाया था। जो आज के समय में मरीजों की जान बचाने में बहुत ही अहम भूमिका अदा कर रहा है। मोहम्मद आजम ख़ान ने रामपुर में बच्चों के लिए 4 इंग्लिश मीडियम स्कूल बनवाये हैं। जहां पर गरीब रिक्शा चालक मजदूरों के बच्चो को फ्री में इंग्लिश मीडियम की शिक्षा दी जाती है। उस इंसान को उत्तर प्रदेश सरकार ने राजनैतिक द्वेषभावना के कारण 30 से 60 दिन के अंतराल में 100 से अधिक फर्जी मुकदमें लगाकर जेल में डाल दिया।
आजम ख़ान पर मुर्गी चोरी, बकरी चोरी, भैंस चोरी, किताबें चोरी आदि के फर्जी मुकदमे उत्तर प्रदेश सरकार के इशारे पर लगाये गये।
क्या ऐसा इंसान जो इतने सारे संवैधानिक पदो को संभाल चुका है तथा आज भी वर्तमान सांसद है क्या वह मुर्गी चुरायेगा, बकरी चुरायेगा, भैंस चुरायेगा या किताबें चुरायेगा। आजम खान 9 मई 2021 से कोरोना संक्रमित होने की वजह से लखनऊ के मेदान्ता अस्पताल में एडमिट हैं। जहां उनकी हालत बहुत गम्भीर बतायी जा रही है। चूँकि आजम ख़ान की उम्र भी 72 वर्ष है तथा जितने भी मुकदमें आजम ख़ान के ऊपर थे, लगभग उन सभी में जमानत ले चुके हैं। बस 1 या 2 मुकदमें शेष बचे हैं। जो वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन हैं। जबकि माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा एक हाई पावर कमेटी बना कर जेलों से कैदीयों को 60 दिन के लिये अन्तरिम जमानत पर रिहा किया जा रहा है। तो क्यों मोहम्मद आजम ख़ान को अन्तरिम जमानत पर रिहा नही किया जा सकता। राजनैतिक द्वेष के कारण किसी की जान से खिलवाड़ नही किया जाना चाहिये। भारतीय संविधान में किसी के साथ भी पक्षपात की कोई गुजाइश नहीं है। फिर क्यों मोहम्मद आज़म ख़ान के साथ राजनैतिक द्वेषभावना के कारण पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है।

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