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डीटीसी बसों के घोटाले की जाँच की माँग को लेकर सतर्कता आयोग पहुँचे अनिल चौधरी

डीटीसी बसों के घोटाले की जाँच की माँग को लेकर सतर्कता आयोग पहुँचे अनिल चौधरी

नई दिल्ली(शमशाद रज़ा अंसारी)
डीटीसी की एक हजार लो फ्लोर बसों की खरीद और उसके रखरखाव के टेंडर में गड़बड़ी को लेकर दिल्ली सरकार लगातार विपक्षी पार्टियों के निशाने पर है। भाजपा के बाद अब कांग्रेस ने भी दिल्ली सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल चौधरी 3,413 करोड़ के टेंडर में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इसकी जाँच की माँग को लेकर मंगलवार को केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) पहुँचे।
अनिल चौधरी ने बताया कि दिल्ली में लोकपाल की बात करने वाले मुख्यमंत्री के होते हुये यहाँ लोकपाल नही है। इसलिये हमें सतर्कता आयोग आना पड़ा। डीटीसी बसों में जो घोटाला हुआ है उसकी जाँच होनी चाहिए। हालाँकि केजरीवाल सरकार ने अपने लोगों से जाँच करवा कर ख़ुद को क्लीन चिट दे दी है। लेकिन अपने ही लोगों से जाँच के नाम पर ख़ुद को क्लीन चिट दिलवाना दिल्ली की जनता को गुमराह करना है। जब 3,413 करोड़ का मेन्टेन्स का टेंडर निरस्त कर दिया गया है तो फिर किस क्लीन चिट की बात की जा रही है। दूसरे टेंडर से ध्यान भटकाने के लिए केवल कुछ बिंदुओं पर फोकस करके जाँच की गयी है।


आज भाजपा नए बसों के टेंडर पर कुछ नही बोल रही है। मेंटिनेंस के टेंडर पर केजरीवाल कुछ नही बोल रहे हैं। यह लोग कब अपनी चुप्पी तोड़ेंगे।
अनिल चौधरी ने अरविंद केजरीवाल से सवाल किया कि लोकपाल नही मिल पाया, जनलोकपाल नही मिल पाया, आप ईमानदारी राजनीति की बात करते थे तो दिल्ली की जनता और मुझे आपसे यह उम्मीद थी कि आप स्वयं सतर्कता आयोग आकर सतर्कता आयोग या सीबीआई से जाँच की माँग करके दिल्ली की जनता को ईमानदारी का सन्देश देते। दिल्ली की जनता को भी पता चलता कि घोटाले में कौन लोग शामिल हैं।
अनिल चौधरी ने बताया सतर्कता आयोग(सीवीसी) ने कहा है कि हम दो से तीन महीने में जाँच करके सच को जनता के सामने लाने का प्रयास करेंगे।
आपको बता दें कि इससे पहले बीजेपी नेता विजेंदर गुप्ता ने क्लीन चिट की लेकर सवाल उठाते हुये कहा था कि आम आदमी पार्टी की ओर से कहा जा रहा है कि एलजी की कमेटी ने क्लीन चिट दे दी है। लेकिन हम आपको बता दें कि कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि टेंडर को नए सिरे से किया जाए। हम सवाल करते हैं कि अगर क्लीन चिट दे दी गई है तो दोबारा टेंडर क्यों किया जा रहा है।

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