दिल्ली निवासी बुज़ुर्ग महिला ने ग़ाज़ियाबाद में एम्बुलेंस में दम तोड़ा,नही मिला इलाज

ग़ाज़ियाबाद(शमशाद रज़ा अंसारी)
कोविड महामारी के इलाज की सुविधाओं को लेकर सरकार चाहे लाख दावे कर रही हो,लेकिन रोज़ हो रही मौतें सरकारी तन्त्र की पोल खोल रही हैं। दिल्ली के साथ-साथ गाजियाबाद में भी हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। गाजियाबाद के कोविड-19 अस्पताल में बेड और ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है। सुविधाओं के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे हैं। परिजन ज़िन्दगी की तलाश में मरीजों को लेकर इधर-उधर दौड़ रहे हैं। लेकिन कहीं भी राहत की साँस नही मिल रही है। दम तोड़ते सरकारी सिस्टम के चलते ज़िंदगियाँ दम तोड़ रही हैं। ऐसा ही एक मामला दिल्ली की रहने वाली 70 वर्षीय महिला के साथ पेश आया। जब कोरोना पॉज़िटिव होने के बाद परिजन अस्पताल में भर्ती कराने के लिए दिल्ली में धक्के खाने के बाद ज़िन्दगी की आस में उन्हें ग़ाज़ियाबाद लेकर आये। जहाँ सरकारी तन्त्र की नाकामी के कारण वह मौत से हार गईं।

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मामले की जानकारी देते हुए मृतक महिला के दामाद संदीप चड्डा ने बताया कि दिल्ली में रहने वाली उनकी 70 वर्षीय सास सुनीता कक्कड़ कोरोना संक्रमित हो गई थीं। जिस कारण उन्हें अचानक ही सांस लेने में परेशानी होने लगी। परेशानी बढ़ती देख उन्हें दिल्ली के कई अस्पतालों में ले जाया गया। लेकिन कहीं भी उन्हें भर्ती नहीं किया गया। इसके बाद वह अपनी सास को जिला संयुक्त अस्पताल लेकर आए। यहाँ पर अस्पताल के स्टाफ द्वारा कहा गया कि इनकी दोबारा से जिला अस्पताल में कोविड-19 जाँच होगी। परिजनों ने कहा कि वह पहले से ही जांच करा चुके हैं और यह कोविड-19 संक्रमित हैं। लेकिन स्टाफ ने उनकी नही मानी। संदीप ने बताया कि वह अपनी सास को 5 किमी दूर जिला अस्पताल लेकर आए। लेकिन यहाँ के सिस्टम के कारण पूरी प्रक्रिया में उन्हें करीब 2 घंटे बीत गए। 2 घंटे तक सुनीता कक्कड़ एंबुलेंस में ही मौत से लड़ती रहीं।
अंततः 2 घंटे बाद सुनीता कक्कड़ ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया। सुनीता कक्कड़ की मौत से परिजनों में सरकारी तन्त्र को लेकर काफ़ी रोष है।

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