दिवंगत पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव के परिवार को मुआवजे की माँग को लेकर पत्रकारों ने दिया ज्ञापन

ग़ाज़ियाबाद(शमशाद रज़ा अंसारी)
प्रतापगढ़ में पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव की संदिग्ध परिस्थितयों में हुई मौत के बाद पत्रकार जगत में रोष व्याप्त है। एडीजी प्रयागराज से सुरक्षा की गुहार लगाने के बाद भी सुलभ को सुरक्षा न मिलने से नाराज़ ग़ाज़ियाबाद के पत्रकारों ने प्रशासनिक अधिकारियों पर कार्यवाई तथा मृतक के परिवार को आर्थिक मुआवजे की माँग की है। अपनी माँगों को लेकर सोमवार को ग़ाज़ियाबाद के पत्रकारों ने मुख्यमंत्री के नाम जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह को ज्ञापन सौंपा।


पत्रकारों ने सामूहिक रूप से कहा कि प्रदेश में पत्रकारों पर लगातार जानलेवा हमले हो रहे हैं। पत्रकार हर प्रकार की खबरों की कवरेज करता है। जिनमें अपराध की खबरें भी शामिल होती हैं। जिनको लेकर अक्सर अपराधी पत्रकार से रंजिश रखने लगते हैं। कभी-कभी खबरों को लेकर बौखलाए अपराधियों द्वारा पत्रकार को धमकी भी जाती है। माफिया द्वारा धमकी मिलने के बाद पत्रकार इस उम्मीद से प्रशासन के पास पहुँचता है कि उसकी मदद की जाएगी। लेकिन प्रशासन द्वारा पत्रकार की शिकायत पर कोई कार्यवाई नही की जाती। जिस कारण अपराधियों के हौसले बुलन्द होते हैं और वह पत्रकार की हत्या तक कर देते हैं। कुछ समय पूर्व ग़ाज़ियाबाद में विक्रम जोशी की गोली मारकर हत्या, बलिया में रतन सिंह की गोली मारकर हत्या और अब सुलभ श्रीवास्तव की संदिग्ध परिस्थियों में मौत पुलिस प्रशासन की लापरवाही का नतीजा हैं। यदि पुलिस ने इनकी शिकायतों पर संज्ञान लेकर इन्हें सुरक्षा दी होती तो आज शायद ये ज़िंदा होते। पत्रकारों ने कहा कि प्रशासन पत्रकारों की शिकायत पर तुरन्त संज्ञान लेकर कठोर कार्यवाई करे तो अपराधियों के हौसले बुलन्द न हों।

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पत्रकारों ने एक स्वर में कहा कि दिवंगत पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव के हत्यारों पर रासुका लगाते हुए कठोरतम कार्यवाई की जाए। इस मामले में लापरवाही बरतने वाले पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध भी कड़ी कार्यवाई की जाये। इसके अलावा दिवंगत पत्रकार के आश्रितों को एक करोड़ रूपये का मुआवजा तथा सरकारी नौकरी दी जाये।
ज्ञापन देने वालों में श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष अनुज चौधरी, ग़ाज़ियाबाद पत्रकार संघ के अध्यक्ष अमित राणा, हिमांशु शर्मा, अनुराग चड्डा, अजय औदिच्य, लोकेश राय, शक्ति सिंह, दीपक चौधरी,संदीप सिंघल, अली मेहँदी, परवीन अरोड़ा, कपिल त्यागी, दीपक भाटी, शमशाद रज़ा अंसारी, संजीव शर्मा, शहज़ाद आबिद, हैदर अली, रिजवान मलिक, जावेद खान, यादराम भारती, सोनू अरोड़ा, दीपक, अशोक कौशिक, अशोक ओझा,पिंटू तोमर, रोहित सिंह, सत्येंद्र राघव, शमीमुद्दीन, मनोज सिंह, शाहबाज़ खान, उमेश कुमार, नरेश बबली, वरुण लोहारिया, तौषीक कर्दम, उस्मान सैफ़ी, हरि सिंह, ख़ालिद चौधरी, बीनू महरौलिया आदि पत्रकार उपस्थित रहे।


आपको बता दें कि एबीपी चैनल के पत्रकार सुलभ श्रीवास्तव(42) रविवार को लालगंज कोतवाली क्षेत्र में एटीएस द्वारा पकड़ी गयी असलहे की फैक्ट्री के मामले की कवरेज करने लालगंज गए हुए थे। वह वहाँ से शाम को बाइक से घर लौटे रहे थे। इसी बीच देर रात करीब 11 बजे जानकारी मिली कि सुलभ श्रीवास्तव घायल अवस्था में कटरा मेदनीगंज चौराहे के पास पड़े हैं। उन्हें फौरन जिला चिकित्सालय लाया गया। जहाँ चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
प्रतापगढ़ के पुलिस अधीक्षक आकाश तोमर ने बताया कि प्रथम दृष्ट्या यह दुर्घटना ही लग रही है, लेकिन हम इसकी जाँच करा रहे हैं। एसपी आकाश तोमर का कहना है कि घटना के वक़्त कुछ प्रत्यक्षदर्शी भी मौजूद थे। उनका कहना है कि यह दुर्घटना ही है और जानकारी पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट आने के बाद ही मिल पाएगी।


वहीं दूसरी ओर सुलभ की पत्नी रेणुका श्रीवास्तव का कहना है कि जब से उन्होंने शराब माफ़िया के ख़िलाफ़ ख़बर चलाई थी तभी से कुछ लोग उनके पीछे पड़े थे। जब उन्होंने आलाधिकारियों को पत्र लिखा था तो मोबाइल पर हमें दिखाया भी था। घर पर बता भी रहे थे कि कुछ लोग पीछे पड़े हैं, धमकी दे रहे हैं। प्रशासन को पत्र इसलिए लिखा था कि शायद सुरक्षा मिल जाएगी। लेकिन उससे पहले ही सब कुछ चला गया।


अफसोसजनक बात यह है कि घटना से एक दिन पहले ही यानी 12 जून को सुलभ श्रीवास्तव ने इलाहाबाद ज़ोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक और प्रतापगढ़ के पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर अपनी हत्या की आशंका जताई थी। पत्र में उन्होंने लिखा था कि शराब माफ़िया से उनकी जान को ख़तरा है क्योंकि उन्होंने एक ख़बर लिखी थी जिसे लेकर उन्हें धमकियाँ मिल रही थीं और दो दिन से उनका पीछा किया जा रहा था।


इसके तुरन्त बाद उनकी इस प्रकार संदिग्ध परिस्थियों में मृत्यु हो जाना यह दर्शाता है कि योगी सरकार की पुलिस पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर कितनी गम्भीर है।

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