पढ़िए ‘पाताललोक’ के इमरान अंसारी और एएसपी फ़िरोज़ आलम में क्या है समानता
नई दिल्ली
आज भविष्य सुरक्षित करने की दौड़ में बच्चों में नम्बरों की होड़ लगी रहती है। बच्चों के नम्बर यदि 95% आते हैं तब भी वह सन्तुष्ट नही होते हैं। यहाँ तक की 99% नम्बर वालों को भी 99/% लाने की इतनी ख़ुशी नही होती,जितना 1% नम्बर न आने का मलाल रहता है। बच्चों में नम्बरों की यह होड़ बचपन से ही लगी रहती है। लेकिन आज से 15 साल पहले अगर कोई बच्चा दसवीं कक्षा में 51% अंकों के साथ पास हो और फिर अगले साल ग्यारहवीं कक्षा में फेल होने के बाद 12वीं कक्षा में 58% अंकों के साथ पास हो जाए, तो 2010 में उसका दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल बन जाना ही अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि होगी। हाईस्कूल एवं इंटर की पढ़ाई के समय नम्बरों में इस तरह पिछड़ा वह कांस्टेबल यदि दस साल बाद देश की सबसे कठिन यूपीएससी की परीक्षा पास करके आईपीएस बन जाए तो इससे पता चलता है कि उसने की हौसले और लगन के साथ पढ़ाई की होगी। इतने सब से आप समझ ही गये होंगे कि हम बात कर रहे हैं दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल से एएसपी बने फ़िरोज़ आलम की।
आपने एमेज़ॉन पर आई पाताल लोक’ वेब सीरीज़ देखी होगी। इसमें इमरान अंसारी नाम का एक पुलिसवाला था। हाथीराम चौधरी का जूनियर। जो नौकरी के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी करता है और आखिर में एग्ज़ाम क्रैक कर लेता है। रील लाइफ में इमरान अंसारी द्वारा निभाया गया सफलता का वह किरदार फ़िरोज़ आलम ने रियल लाइफ में निभाया है।
उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के पिलखुवा कोतवाली थाना क्षेत्र के गांव आजमपुर दहपा में जन्मे फिरोज के पांच भाई और तीन बहनें हैं। उनके पिता मोहम्मद शहादत कबाड़ी का काम किया करते थे। फ़िरोज़ ने पिलखुवा के मारवाह कॉलेज से 12वीं की पढ़ाई पूरी की।
बड़ी सादगी से अपना दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं का रिजल्ट बताने वाले फिरोज आलम सफलता का मूलमंत्र बताते हुये कहते हैं कि यह धैर्य और आत्मविश्वास की परीक्षा है और असफलता से घबराए बिना अगर मेरे जैसा साधारण व्यक्ति इसे पास कर सकता है तो किसी के लिए इसे पास करना मुश्किल नहीं है।
फिरोज बताते हैं कि 2008 में 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद जून 2010 में दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के तौर पर भर्ती होने पर उन्हे ख़ुद भी नही पता था कि आने वाले दस बरसों में उनकी किस्मत उनके सुनहरे सपनों को सच करने के रास्ते बना रही है।
फ़िरोज़ ने बताया कि अफसरों के तौर तरीके और रुआब देखने के बाद उन्होंने भी अफसर बनने की ठान ली। इस दौरान उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई की और ‘अफसर’ बनने के लिए यूपीएससी की परीक्षा पास करने की कोशिश करते रहे। लेकिन शुरुआत में दो बार तो वह प्रारम्भिक परीक्षा भी पास नही कर सके। उन्होंने बाद के तीन साल में प्रारम्भिक परीक्षा पास कर ली,लेकिन अगले पड़ाव तक नही पहुँच सके। पाँच बार की नाकामी के बाद 2019 में अपने छठे प्रयास में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास की। हालाँकि वह पाँचवी बार की नाकामी के बाद निराश हो गये थे। लेकिन जब इसी दौरान राजस्थान के झुंझनू जिले की नवलगढ़ तहसील के देवीपुरा गाँव के कांस्टेबल विजय सिंह ने यूपीएससी परीक्षा पास की तो फ़िरोज़ आलम ने फिर से कोशिश की और इस बार वह कामयाब हो गये।
फिरोज बताते हैं कि 31 मार्च 2021 का दिन दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर उनका आखरी दिन था और इसके अगले ही दिन जब वह कंधे पर सितारों वाली वर्दी के साथ एसीपी के तौर पर दिल्ली पुलिस बल में दोबारा शामिल हुए तो पहले उन्हें ‘भाई’ कहने वाले उनके साथी कांस्टेबल अब उन्हें ‘सर’ बुला रहे थे। वह दस साल तक जिन्हें ‘सर’ बुलाते रहे अब उनके समकक्ष खड़े थे।
अब एसीपी फिरोज आलम यूपीएससी की परीक्षा पास करने की तैयारी में जुटे अपने महकमे के अन्य कांस्टेबल की मदद कर रहे हैं। उन्होंने दिल्ली पुलिस यूपीएससी फैमिली के नाम से व्हाट्सएप्प पर एक ग्रुप बनाया है और यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रहे 58 कांस्टेबल इस ग्रुप के सदस्य हैं। फिरोज बताते हैं कि कुछ ने प्रारंभिक शिक्षा पास कर ली है और कुछ इसकी तैयारी कर रहे हैं और उन्हें सलाह से लेकर नोट्स तक जो कुछ चाहिए होता है, फिरोज हर वक्त उनकी मदद के लिए तैयार रहते हैं।