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बिहार: घूस न देने पर शौचालय में रहने को मजबूर दादी-पोती

बिहार: घूस न देने पर शौचालय में रहने को मजबूर दादी-पोती

बिहार
रिश्वत वो दीमक है जो हमारे देश को खोखला कर रही है। घूसखोरी इस कदर बढ़ गयी है कि भारत में कोई भी छोटा काम करवाना हो तो सरकारी अफसर को घूस देनी पड़ती है। जो लोग घूस दे देते हैं उनका काम झट से हो जाता है और जो न दें उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। घूसखोर न किसी की मजबूरी को देखते हैं और न किसी के दर्द का उन्हें अहसास होता है। बच्चे से लेकर बूढ़े तक घूसखोरों की कार्यशैली का शिकार बनते हैं। ऐसे ही घूसखोरों के ज़ुल्म की शिकार बिहार में एक दादी-पोती हो रही हैं। घूस न देने पर दादी-पोती शौचालय में रहने पर मजबूर हैं। उस पर शर्मनाक बात यह है कि मामला बिहार के उस जिले का है जिस जिले को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मॉडल के रूप में पेश करते हैं तथा अपनी नई योजना की शुरुआत यहीं से करते हैं।


मामला बिहार के नालंदा जिले का है। यहाँ के करायपरसुराय प्रखंड में 75 साल की एक बुजुर्ग महिला कौशल्या देवी और उनकी 10 साल की पोती सपना कुमारी मकान के लिए परेशान है। सपना के माता-पिता का निधन हो गया है, जिसके बाद से ही वह अपनी दादी के साथ इस तपती गर्मी में सार्वजनिक शौचालय में जीवन यापन कर रही है।
दोनों दादी-पोती भीख मांगकर पेट भरती हैं और धूप-बारिश से बचने के लिए शौचालय में रहती हैं। उनके पास न तो कोई घर है और न ही कोई रहने का दूसरा ठिकाना। उनकी देखभाल करने वाला भी कोई नहीं और ऊपर से उन्हें सरकारी योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार साल 2017 में आवास योजना के तहद कौशल्या देवी को घर मिलना था। लेकिन इसके एवज में उनसे पैसे की डिमांड की गई और जब वह पैसे ना दे पाईं तो उनका नाम काट दिया गया। गांव के पूर्व मुखिया रबीश कुमार ने कहा कि उन्होंने कई बार प्रखंड में कौशल्या देवी का मुद्दा उठाया लेकिन अधिकारियों ने कोई मदद नहीं की।
जहां एक तरफ सरकार प्रशासन वृद्ध महिलाओं के विकास को लेकर दम भरती है। वहीं कौशल्या और उनकी पोती सरकारी योजना के लाभ से अब तक वंचित हैं। दोनों ने सरपंच व विधायक से कई बार मदद मांगी, लेकिन सरकार व गांव का सरपंच कोई भी इनकी सुध लेने नहीं पहुंचा। ऐसे में इन्हें देखकर सिस्टम पर सवाल उठना लाजमी है।

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