यूनानी भी दूसरी चिकित्सा पद्धतियों की तरह राष्ट्रसेवा में सदैव अग्रणीः डा० धर्मसिंह सैनी

देवबन्द(रिज़वान सलमानी)
नेशनल काउन्सिल ऑफ इण्डियन सिस्टम ऑफ़ मेडिसिन (एन.सी.आई.एस.एम.) 2019 बिल प्रभावी होने के पश्चात यूनानी के चिकित्सकों, औषधि निर्माताओं और यूनानी महाविद्यालयों में एक आम सी बेचैनी फैली हुई है। जिसका कारण यह है कि जब इस बिल का प्रारूप तैयार किया गया था तो इसमें यूनानी चिकित्सा पद्धति के लिए एक पृथक तीन सदस्यीय बोर्ड की स्थापना की बात कही गयी थी। लेकिन इस बिल को प्रभावी करते समय यह सारा मामला उलट दिया गया और यूनानी जैसी विश्व प्रसिद्ध चिकित्सा पद्धति को अन्य कम लोकप्रिय चिकित्सा पद्धतियों, सिद्धा एवं सोवारिग्पा में सम्मिलित कर दिया गया। इस तरह इस बड़ी पद्धति को दूसरी पद्धतियों के अधीन कर दिया गया। इसी प्रकरण में भारतीय केन्द्रीय चिकित्सा परिषद नई दिल्ली के पूर्व सदस्य तथा आयुर्वेद व यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्धति बोर्ड लखनऊ के पूर्व अध्यक्ष डा० अनवर सईद ने केन्द्रीय सरकार से निवेदन किया कि वह अपने इस निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए यूनानी को इसका वैध अधिकार प्रदान करे। दिनाँक 27 जून को डा० अनवर सईद ने इसी समस्या को लेकर अपनी माँगों का एक ज्ञापन उ.प्र. आयुष मंत्री की सेवा में प्रस्तुत किया। जिसमें उ.प्र. सरकार से यह माँग की वह केन्द्र सरकार से इस बात का आग्रह करे कि नेशनल काउन्सिल ऑफ इण्डियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (एन.सी.आई.एस.एम.) में बोर्ड आफ सिस्टम की स्थापना के लिए आवश्यक परिवर्तन कर इस बोर्ड को पुनः स्थापित किया जाये। उ.प्र. में यूनानी से सम्बन्धित चिकित्सक औषधि निर्माता और महविद्यालय प्रचुर मात्रा में कार्यरत हैं। अतः उनकी व्यथा को संज्ञान में लेते। उसका निदान किया जाये डा0 अनवर सईद ने अपने ज्ञापन में यह माँग भी की कि सरकारी अस्पतालों और डिस्पेन्सरियों में जो रिक्त स्थान यूनानी चिकित्सकों से सम्बन्धित पड़े हुए हैं उन्हें शीघ्र अति शीघ्र भरा जाये। साथ ही साथ उन्होंने अपनी एक पुरानी माँग को दोहराते हुए सरकार से यह निवेदन भी किया कि यूनानी सर्जरी को भी वह ही सुविधायें एवं अधिकार दिये जाये तो वर्तमान में ही आयुर्वेद सर्जरी के लिए पी. जी. छात्रों को दिये गये हैं। चूँकि यूनानी व आयुर्वेद में भाषा के अतिरिक्त कोई विशेष अन्तर नहीं है।
डा0 अनवर सईद से जापन लेने के पश्चात उ.प्र. आयष मंत्री ने अपने विचार व्यक्तकरते हुए खुले दिल से इस बात को स्वीकार किया कि यूनानी की जितनी इकाइयाँ हैं चाहे वह औषधि निर्माता, चिकित्सक व शिक्षा केन्द्र हों इन्होंने सदैव हर आपदा में सरकार के आह्वान पर अपना रोल पूर्णतः निभाया है। आयुर्वेद या होम्योपैथी राष्ट्रसेवा में जिस प्रकार काम करती हैं यूनानी भी उसमें कहीं भी पीछे नहीं है। यह चिकित्सा पद्धति भी राष्ट्र स्वास्थ्य व्यवस्था में आयुर्वेद आदि की तरह ही बढ़ चढ़कर अपना योगदान देती है। कोविड-19 के सम्बन्ध में यूनानी संस्थाओं विशेषतया जामिया तिब्बिया देवबन्द ने 2020 व 2021 दोनों कोरोना काल में जिला प्रशासन को अपना भरपूर सहयोग दिया गतवर्ष अस्पताल जामिया तिब्बिया देवबन्द में क्वारन्टाइन सेन्टर बनाया गया जिसने उत्कृष्ट कार्य किया तथा इस वर्ष आक्सीजन युक्त एल. 1 प्लस के बिस्तर प्रचुर मात्रा में अस्पताल जामिया तिब्बिया देवबन्द में उपलब्ध कराये गये। मंत्री जी ने कहा कि डा0 अनवर सईद ने इस सम्बन्ध में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने अपनी संस्था में और अस्पताल की ओर से गाँव गाँव डाक्टरों की टीमें भेजकर रोगियों की खोज उनके टेस्ट और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुष काढा का वितरण भली भाँति किया । एक माह में लगभग 135 ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल जामिया तिब्बिया देवबन्द की टीम ने अभियान चलाकर 10 हज़ार से अधिक रोगियों की देखभाल, टेस्ट व्यवस्था और कोरोना रक्षा से सम्बन्धित उपायों का प्रचार प्रसार भली भाँति किया। जगह जगह आयुष काढ़ा भारी मात्रा में इस महाविद्यालय की ओर से गतवर्ष से अब तक निरन्तर वितरित किया जा रहा है। इसी के साथ साथ डा० अनवर सईद की एक विशेषता यह है कि उन्होंने उ. प्र. के सभी यूनानी कालेजों (लगभग 10) के प्रबन्धन को अपने साथ जोड़ा और भारतवर्ष में लगभग जो 50 यूनानी कालेज हैं उनको भी इस आपदा में सरकार के साथ भरपूर सहयोग करने का आह्वाहन किया। आयुष मंत्री ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि मुझे भली प्रकार ज्ञात है कि जब डा० अनवर सईद जैसा होनहार, कर्मठ, कर्मशील, बुद्धिमान लीडर मौजूद हो तो पूरी यूनानी व्यवस्था अपना सहयोग अवश्य रूप से देगी।
अन्त में डा0 अनवर सईद ने आयुष मंत्री को धन्यवाद दिया और उन्हें स्मरण कराया कि अपने वर्तमान कार्यकाल में केन्द्रीय सरकार व उ.प्र. सरकार ने यूनानी के उत्थान, प्रचार प्रसार के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये हैं, और सभी यूनानी वाले इसकी सराहना करते हैं। हम आज भी यह विश्वास रखते हैं कि केन्द्रीय सरकार स्थिति का अवलोकन करते हुए यूनानी चिकित्सा पद्धति के पक्ष में इस बिल में उचित परिवर्तन करते हुए एक स्वतन्त्र बोर्ड ऑफ यूनानी सिस्टम की व्यवस्था एन.सी.आई.एस.एम. बिल में करेगी।

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