मेरठ(मुह़म्मद अशरफ़)
कैच द रैन कार्यक्रम अंतर्गत सोमवार को ग्राम रसूलपुर औरंगाबाद ब्लाॅक रजपुरा में काली नदी सेवा अभियान में फिल्म अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी व जिलाधिकारी के. बालाजी ने नदी किनारे पौधारोपण कर आमजन से अभियान में जुड़ने का आह्वान किया। कार्यक्रम में फिल्म अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि अगर वह लंदन में भी शूटिंग कर रहे होंगे तो भी काली नदी सफाई अभियान में योगदान के लिए आएंगे। उन्होने कहा कि इस अभियान की सफलता के लिए सबका सहयोग आवश्यक है। उन्होने कहा कि इस अभियान को मिशन मोड में आगे बढ़ायें। उन्होने कहा कि प्रशासन का कदम सराहनीय है।
काली नदी किनारे पीपल के पौधे रोपित करने के बाद आयोजित कार्यक्रम में फिल्म अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि वह बचपन में जनपद मुज़फ्फरनगर स्थित अपने गांव में नदियों में तैरने के लिए जाया करते थे। उन्होने कहा कि जब वह फिल्म इंडस्ट्री में नये-नये आये थे तो एक निर्देशक ने उनसे पूछा कि क्या उन्हें तैरना आता है, तब मैंने कहा कि हाँ मुझे तैरना आता है। तब निर्देशक ने पूछा कि आपने तैरना कहाँ सीखा। इस पर मैंने बताया कि मैंने अपने गांव की नदियों में तैरना सीखा। उन्होने कहा कि आज नदी सूख गयी है, इसको देखकर बड़ा अफसोस होता है। उन्होने कहा कि सबको सोचना पड़ेगा कि हम बच्चों (भावी पीढ़ी) को क्या दे रहे हैं।
जिलाधिकारी के. बालाजी ने जिला प्रशासन की ओर से नवाजुद्दीन सिद्दीकी के काली नदी सेवा अभियान में आने के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होने बताया कि इस अभियान की सफलता के लिए हर ग्राम पंचायत का सहयोग लिया जायेगा तथा काली नदी को उसके पुराने स्वरूप में वापस लाया जायेगा। उन्होने कहा कि काली नदी की कितनी लंबाई चौड़ाई होगी, इसके चिन्हांकन के लिए व अगर कहीं उस पर अतिक्रमण है तो उसको हटाने का कार्य उप जिलाधिकारी सदर द्वारा देखा जायेगा। उन्होने बताया कि काली नदी के किनारे पौधारोपण व वनीकरण का कार्य जिला वन अधिकारी द्वारा देखा जायेगा।
जिलाधिकारी के. बालाजी ने बताया कि काली नदी मुजफ्फरनगर जिले के खतौली तहसील के अंतवाड़ा गांव से शुरू होकर मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, कासगंज, फर्रुखाबाद होते हुये कन्नौज में गंगा नदी में मिल जाती है। इसकी कुल लंबाई 598 किमी है। जिले में काली नदी की लंबाई करीब 40 किमी है। मेरठ में नदी तहसील सरधना के ग्राम नंगली से प्रवेश करते हुये ब्लाॅक खरखौदा के ग्राम अतराडा से होते हुये हापुड़ में प्रवेश करती है। पहले चरण में काली नदी सेवा कार्य के तहत गांवड़ी नदी के पुल (मेरठ-परीक्षितगढ़ मार्ग पर शहर से 6 किलोमीटर आगे) से दोनों तरफ का भाग लिया गया है।
ज़िलाधिकारी ने बताया कि काली नदी सेवा अभियान में सिंचाई विभाग, लघु सिंचाई, वन विभाग, ब्लाॅक, राजस्व व अन्य विभाग शामिल रहेंगे तथा सामाजिक संस्थाओ व आमजन को भी श्रमदान के लिए प्रेरित किया गया है। उन्होने कहा कि काली नदी की सफाई के लिए सभी पहलूओ को दृष्टिगत रखते हुये कार्य किया जायेगा।
जिला वन अधिकारी राजेश कुमार ने कहा कि ग्रामवासी काली नदी के पुर्नउत्थान के लिए श्रमदान करें। उन्होने कहा कि कम जगहों पर इस तरह के नदियो के पुर्नस्वरूप को स्थापित करने के कार्य देखने को मिलते हैं। यह मेरठवासियो के लिए बड़ा अच्छा पल है कि वह प्रशासन को सहयोग कर इसको मूर्त रूप दें। उन्होने कहा कि काली नदी अपने पुराने स्वरूप में आयेगी।
नीर फाउण्डेेशन के संस्थापक रमन त्यागी ने बताया कि काली नदी एक बरसाती नदी नहीं है, यह राष्ट्रीय नदी की प्रमुख सहायक नदी है। उन्होने कहा कि नदी किनारे करीब 1200 ग्राम है। उन्होने कहा कि नदी में 80 प्रतिशत सीवेज व 20 प्रतिशत औद्योगिक वेस्ट गिरता है। उन्होने कहा कि समाज व सरकार के संयुक्त प्रयासों से काली नदी पुर्नजीवित होगी। उन्होने बताया कि प्रथम चरण में भावनपुर व गांवडी में 2.5 किमी में सफाई का कार्य कराया गया है।
मुख्य विकास अधिकारी शशांक चैधरी ने कार्यक्रम के अंत में सभी का आभार ज्ञापन किया।
इस अवसर पर अपर ज़िलाधिकारी प्रशासन मदन सिंह गब्र्याल, सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता आशुतोष सारस्वत, ग्राम प्रधान शबनम सहित अन्य अधिकारीगण, ग्रामवासी आदि उपस्थित रहे।
No Comments: