शमशाद रज़ा अंसारी
गत वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण लगे लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर आर्थिक तंगी के चलते अपने पैतृक निवास वापस लौट गए थे। कुछ माह बाद कोरोना की स्थिति नियंत्रण में होने के बाद जैसे तैसे प्रवासी वापस अपने काम पर लौट आये। लेकिन अब कोरोना महामारी लगातार फिर से फैलती जा रही है। कोरोना को रोकथाम के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे तमाम प्रयास नाकाफ़ी साबित हो रहे हैं। मृतकों एवं रोगियों की संख्या में प्रतिदिन बढ़ोत्तरी हो रही है। स्थिति यह है कि अस्पतालों में बेड एवं ऑक्सीजन की कमी हो गई है। स्थिति पर नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार ने एक हफ्ते के कर्फ्यू की घोषणा कर दी है। जिससे घबरा कर प्रवासी मजदूरों ने पलायन शुरू कर दिया है। मजदूरों को डर है कि लॉकडाउन के समय को आगे बढ़ा दिया तो गत वर्ष की तरह रहने से लेकर खाने तक की दिक़्क़त हो जाएगी। इसके साथ ही मजदूरों को पिछली बार वापसी में हुई परेशानियाँ भी याद हैं।
ज्ञात हो कि दिल्ली एवं आसपास में प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में काम करते हैं। अधिक आमदनी की आस में यह लोग अपने पैतृक निवास से यहाँ आकर मेहनत मजदूरी करते हैं। पिछले साल जब लॉकडाउन की घोषणा की गई थी तो इन मजदूरों को घर वापसी के लिए बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
महिलाओं एवं बच्चों सहित हज़ारों लोग सैकड़ों किलोमीटर का सफ़र पैदल तय करके अपने घर वापस पहुँचे थे। बहुत बदनसीब ऐसे भी थे जिनकी रास्ते में ही मौत हो गई थी।
इन सब बातों को याद करके प्रवासी जल्द से जल्द अपने गृहजनपद लौट जाना चाहते हैं। जिसके चलते अंतर्राज्यीय बस अड्डों पर अचानक भीड़ गई है।
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