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संघर्ष विराम के बाद आयातुल्लाह खामेनेई ने मुस्लिम देशों से फलिस्तीन को सैन्य एवं आर्थिक मदद देने की अपील की

संघर्ष विराम के बाद आयातुल्लाह खामेनेई ने मुस्लिम देशों से फलिस्तीन को सैन्य एवं आर्थिक मदद देने की अपील की

ईरान
इजराइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष विराम के बाद जहाँ इजराइल के प्रधानमन्त्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान को युद्ध में फलिस्तीन का समर्थक तथा इजराइल पर हमलावर बताया है वहीं ईरान के सर्वोच्च नेता आयातुल्लाह अली ख़ामेनेई ने सभी मुस्लिम देशों से फ़लस्तीनियों को सैन्य और आर्थिक रूप से समर्थन देने के अलावा ग़ाज़ा के पुनर्निर्माण में उनकी मदद करने की अपील की है। ईरानी मीडिया ने ख़ामेनेई के इस बयान को प्रमुखता से जगह दी है।
आयातुल्लाह अली ख़ामेनेई ने दुनिया के सभी मुसलमानों से यह माँग की है कि वो अपनी-अपनी सरकारों से फ़लस्तीनियों का समर्थन करने की अपील करें।
इससे पहले इजराइल और फ़लस्तीनियों के बीच युद्ध-विराम से पहले ख़ामेनेई ने कहा था कि “यहूदी सिर्फ़ ताक़त की भाषा समझते हैं। इसलिए फ़लस्तीनियों को अपनी शक्ति और प्रतिरोध बढ़ाना चाहिए ताकि अपराधियों को आत्म-समर्पण करने और उनके क्रूर कृत्यों को रोकने के लिए मजबूर किया जा सके।”

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद ख़ातिबज़ादेह ने फलस्तिनियों की तारिफ मेंएक ट्वीट भी किया जिसमें उन्होंने लिखा, “हमारे फ़लस्तीनी भाई-बहनों को इस ऐतिहासिक जीत की बधाई। आपके प्रतिरोध ने हमलावर को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।”
ईरान के रिवॉल्युशनरी गार्ड्स ने भी एक बयान में कहा कि “फ़लस्तीनियों का संघर्ष पत्थरों के इस्तेमाल से शक्तिशाली और सटीक मिसाइलों के प्रयोग तक चला गया है। ऐसे में इसराइल को भविष्य में कब्ज़े वाले क्षेत्रों के भीतर और ज़्यादा घातक वार सहना पड़ सकता है।”
हमास के नेताओं और अन्य जिहादी संगठनों ने सैन्य और आर्थिक सहायता देने के लिए कई मौक़ों पर ईरानी प्रशासन की प्रशंसा की है, लेकिन ईरान ने शायद ही कभी खुलकर यह माना है कि वो हमास को हथियारों की आपूर्ति करता है।
हालांकि, पिछले साल सर्वोच्च नेता आयातुल्लाह अली ख़ामेनेई ने ईरान के हथियारों की सप्लाई की सराहना करते हुए कहा था कि “ईरान ने इजराइल और फ़लस्तीनियों के बीच सैन्य शक्ति के संतुलन को बदल दिया है।”


इजराइल के प्रधानमन्त्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी संघर्ष विराम के बाद ट्वीट करके ईरान को फलिस्तीन का समर्थक और इजराइल पर हमला करने वाला बताया था।
नेतन्याहू ने ट्वीट किया था कि

“हमास और इस्लामी जिहाद को मदद ईरान से आ रही थी। अगर ईरान इन दोनों को सपोर्ट न करता तो दो हफ्तों में तुम्हारा सफाया हो जाता। ईरान न सिर्फ इन दहशतगर्दों को सपोर्ट कर रहा है,बल्कि वो ख़ुद भी इजराइल के ख़िलाफ़ हथियारबन्द हमले कर रहा है। हमारे पास इसके सबूत हैं।”

-नेतन्याहू

वहीं दूसरी ओर ईरान ने शुक्रवार को दो हज़ार किलोमीटर तक मार करने वाले एक देसी लड़ाकू ड्रोन का भी प्रदर्शन किया। ईरान के सरकारी मीडिया के अनुसार, ईरान ने फ़लस्तीनियों के संघर्ष के सम्मान में इस नये ड्रोन का नाम ‘ग़ाज़ा’ रखा है।
ईरान के शीर्ष नेता अयातुल्लाह खामनेई ने इससे पहले फलीस्तीन के समर्थन में बयान जारी किया था। उन्होंने फलिस्तीन के समर्थन में मनाए जाने वाले कुद्स दिवस (येरुशलम डे) के मौके पर कहा था कि ‘इजराइल एक देश नहीं है बल्कि फलीस्तीन और अन्य मुस्लिम देशों के खिलाफ एक आतंकी ठिकाना है।’ यही नहीं खामनेई ने इजराइल के खिलाफ मुस्लिम देशों से एकजुट होने की भी अपील भी की थी। खामनेई ने कहा था ‘ऐसे निरंकुश देश के खिलाफ लड़ना आतंकवाद और अन्याय से जंग जैसा है। इजराइल से लड़ना हम सभी का फ़र्ज़ है।

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