शमशाद रज़ा अंसारी
जौनपुर
उत्तर प्रदेश के जौनपुर में मानवता को तार-तार कर देने वाला मामला सामने आया है। जहाँ एक बुज़ुर्ग महिला की मौत के बाद गाँव वाले न उसे कंधा देने पहुँचे और न सांत्वना देने। बुजुर्ग ने जब सोचा कि वह खुद ही शव को मरघट पर ले जाकर अकेले दाह संस्कार करेगा, तो गाँव वालों ने अमानवीयता की हदें पार करते हुये बुज़ुर्ग को अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार तक करने से रोक दिया।
तपती दोपहरी में बुजुर्ग व्यक्ति साइकिल पर अपनी पत्नी का शव लेकर सड़कों पर चलता रहा। लेकिन कोई गांव वाला उसकी मदद के लिए आगे नहीं आया।
ऐसे में पुलिस मसीहा बन कर आई और वृद्धा के अंतिम संस्कार में बुज़ुर्ग की मदद की।
मामला मड़ियाहूं थाना क्षेत्र के अमरपुर गांव का है, जहां के रहने वाले तिलकधारी सिंह की 50 वर्षीय पत्नी राजकुमारी कई दिन से बीमार थी। बीते सोमवार जब उसकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई तो तिलकधारी उसे अस्पताल ले गया। लेकिन वहाँ जाकर भी उसे न तो बेड मिला और न दवाई। इलाज न मिलने पर महिला की मौत हो गई।
बुज़ुर्ग महिला की मौत पर कोई भी ग्रामीण नही आया। तिलकधारी तपती दोपहरी में साइकिल पर शव लेकर गांव में नदी के किनारे पहुंचे। वह दाह संस्कार करने के लिए अभी चिता भी नहीं लगा पाए थे कि गांव के लोगों ने शव जलाने से मना कर दिया।
जब इसकी सूचना मड़ियाहूं कोतवाल इंस्पेक्टर मुन्ना राम धुसियां को मिली तो वह गांव पहुंचकर शव को वापस घर लाए और कफन समेत दाह संस्कार का सामान मंगा कर जौनपुर स्थित रामघाट पहुंचाया। यहां पुलिस पुलिस की देखरेख में मृतका का अंतिम संस्कार करवाया गया।
अंतिम संस्कार के लिए पैसे भी मुहैया कराये।
इस संबंध में सीओ मड़ियाहूं संत कुमार ने बताया कि घटना की सूचना पर पुलिस पहुँच गई थी। पुलिस ने तिलकधारी सिंह की सहायता की। शव के लिए गाड़ी का इंतजाम भी कराया गया। इसके अलावा अंतिम क्रिया के लिए शव को जौनपुर के रामघाट पर भिजवाया।
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