फ़िरोज़ आलम: कांस्टेबल से लेकर असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ़ पुलिस तक के सफ़र का लेखा-जोखा

शमशाद रज़ा अंसारी
नई दिल्ली
अक्सर होता है कि कोई व्यक्ति जिस विभाग में छोटे पद पर काम कर रहा होता है,वह उसी विभाग में बड़े पद के सपने संजोता है। अधिकतर लोगों का यह सपना केवल सपना बन कर ही रह जाता है। जो लोग इस सपने को सिर्फ सपना नही,बल्कि उद्देश्य बना लेते हैं,वो इसे मंज़िल मान कर मेहनत करते हैं और कामयाब होते हैं। दिल्ली के फ़िरोज़ आलम ऐसे ही शख़्स हैं जो न केवल अपनी मंज़िल तक पहुँचे,बल्कि उन्होंने अपनी माँ के सपने और पिता के अरमान को भी पूरा किया। फ़िरोज़ आलम के बचपन से उनकी माँ का सपना था कि उनका कोई भी बेटा पुलिस की वर्दी पहने, जिसे फिरोज ने पूरा किया लेकिन फिर भी पिता का अरमान था कि वर्दी किसी अफसर की होनी चाहिए। फिरोज आलम ने उसे पूरा करने की ठानी,जिसके लिए उन्होंने अपने विभाग के अफसरों की मदद ली और ख़ुद भी जी जान से मेहनत में जुटे रहे। जिसकी बदौलत आज वह सिपाही से एसीपी बन गये हैं।


फिरोज ने नौकरी के साथ-साथ पूरे 10 साल तक यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की थी। बीते साल उन्होंने ये परीक्षा पास कर ली और उन्हें अपना पसंदीदा दानिप्स कैडर भी मिल गया। अब वे दिल्ली पुलिस में ही एसीपी के पद पर काम करने वाले हैं। फिलहाल फिरोज की ट्रेनिंग चल रही है और अगले साल से वे जिम्मेदारी संभालते भी नज़र आएंगे।
पद की बात करें तो फ़िरोज़ आलम ने दिल्ली पुलिस में पद के लिहाज से एक साथ 4 पदों की छलांग लगाई है। यानी अगर प्रमोशन से आगे बढ़ते तो कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल, एएसआई, एसआई, इंस्पेक्टर के बाद एसीपी बनते। 4 बार प्रमोशन पाने में शायद आलम की नौकरी पूरी हो जाती, मगर फ़िरोज़ आलम अपनी मेहनत के दम पर यूपीएससी पास करके कांस्टेबल से सीधा एसीपी बन गए हैं। दिल्ली पुलिस कांस्टेबल के पद से रिलीव होकर फिरोज आलम ने बतौर ट्रेनी एसीपी दिल्ली पुलिस फिर से ज्वाइन किया है क्योंकि इन्हें यूपीएससी पास करने के बाद दिल्ली, अंडमान व निकोबार द्वीप समूह पुलिस सेवा कैडर मिला है, जिसके तहत आलम को दिल्ली में ही बतौर एसीपी पोस्टिंग मिली है। दिल्ली पुलिस में बतौर कांस्टेबल फ़िरोज़ आलम की नौकरी का आखिरी दिन 31 मार्च, 2021 था।

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फ़िरोज़ मूल रूप से हापुड़ पिलखुवा के रहने वाले हैं। उनका जन्म पिलखुवा के आजमपुर देहरा गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद शहादत तथा माँ का नाम मुन्नी बानो है। फ़िरोज़ के पाँच भाई तथा तीन बहन हैं। वह 12वीं की कक्षा पास करने के बाद 2010 में दिल्ली पुलिस में बतौर कांस्टेबल भर्ती हुये। वह वर्तमान में पूर्वी दिल्ली के पांडव नगर थाने में तैनात थे।
अपनी मेहनत के दम पर फिरोज ने 2019 यूपीएसी क्रैक किया था, जिसमें उनकी 645 रैंक थी। फिरोज ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनकी पहली पसंद आईएएस की पोस्ट थी, लेकिन रैंक के आधार पर उनका चयन दानिप्स कैडर में हुआ।

पाँच बार फेल होने पर हो गये थे निराश

सफलता का पता सभी को चलता है,लेकिन संघर्ष का पता हर किसी को नही चलता। आज सब फ़िरोज़ आलम की सफलता पर उनकी प्रशंसा कर रहे हैं। लेकिन एक वक़्त ऐसा भी आया था कि उन्होंने अफसर बनने का सपना लगभग छोड़ ही दिया था।
फ़िरोज़ आलम ने कहा,

“UPSC पास करना जैसा मैंने सोचा था उतना आसान नहीं था। मैं लगातार फेल होता गया। पाँच बार असफल होने के बाद मैंने अफसर बनने का ख्वाब देखना लगभग छोड़ दिया, मगर मेरे साथ ही राजस्थान के झुंझुनूं जिले की नवलगढ़ तहसील के गाँव देवीपुरा के विजय सिंह गुर्जर जब दिल्ली पुलिस कॉन्स्टेबल से IPS बने तो मुझमें भी हिम्मत आई और मैंने छठा प्रयास किया। साल 2019 में मैंने 645वीं रैंक के साथ UPSC पास किया।”

-फ़िरोज़ आलम

इंस्पेक्टर मनीष को मानते हैं आदर्श

फ़िरोज़ आलम ने अपनी सफलता का क्रेडिट दिल्ली के पांडव नगर थाने में तैनात इंस्पेक्टर मनीष यादव को दिया है।
फ़िरोज़ ने बताया कि वे इंस्पेक्टर (इन्वेस्टिगेशन) मनीष कुमार यादव को अपना आदर्श मानते हैं। उन्हें मनीष की कार्यशैली, उनके नॉलेज का स्तर, उनका पॉजिटिव एप्रोच, हर केस की बारीकियों को परखने की उनकी नजर और व्यवहारिक नज़रिया बहुत पसंद है।

आईएएस अधिकारी ने भी दी बधाई

फ़िरोज़ की कामयाबी पर आईएएस अधिकारी प्रियंका शुक्ला ने भी उन्हें बधाई दी है और उनकी तारीफ भी की है। प्रियंका ने ट्वीट किया,

“मंज़िलें कदम चूमेंगी रास्ता खुद बन जाएगा। हौसला कर तू बुलंद तो आसमां भी झुक जाएगा। हौसलों व सपनों की उड़ान की प्रेरक कहानी। 2011 में हेड कॉन्स्टेबल के रूप में दिल्ली पुलिस में शामिल हुए श्री फिरोज आलम ने दिल्ली पुलिस में ही एसीपी के रूप में प्रशिक्षण प्रारंभ किया।”

-प्रियंका शुक्ला

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