नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन छोड़ रहा है, वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को तैयार नहीं है, अमेरिका ने डब्लूएचओ को छोड़ने का औपचारिक नोटिस दे दिया, उसने डब्लूएचओ पर आरोप लगाया कि चीन के काफी नज़दीक है और उसने कोरोना संक्रमण के ख़तरों के बारे में दुनिया को जानकारी सही समय पर नहीं दी, दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका में इस पर मतभेद है और बहुत बड़ी तादाद में लोग संगठन छोड़ने के पक्ष में नहीं हैं, डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन ने कहा है कि यदि वे राष्ट्रपति चुने गए तो अमेरिका डब्लूएचओ नहीं छोड़ेगा,

सीनेट के विदेश मामलों की उप समिति के प्रमुख जेफ़ मर्कले ने भी ट्रंप के फ़ैसले का विरोध किया, उन्होंने कहा कि ‘यह चीन की बहुत बड़ी जीत और अमेरिका के लोगों के लिए बहुत बड़ा झटका है, डब्लूएचओ छोड़ने का अमेरिका का फ़ैसला ऐसे समय आया है जब वहाँ कोरोना से प्रभावित लोगों की संख्या 30 लाख के आसपास पहुँच रही है, सिर्फ एक दिन टेक्सस और कैलिफ़ोर्निया ने 10 हज़ार नए कोरोना मामलों की पुष्टि की है, जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के आँकड़ों के मुताबिक़, अमेरिका में 29.95 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं,

देश दुनिया की अहम खबरें अब सीधे आप के स्मार्टफोन पर TheHindNews Android App

बीते महीने राष्ट्रपति ट्रंप ने संगठन छोड़ने का ऐलान करते हुए पत्रकारों से कहा, ‘क्योंकि डब्ल्यूएचओ ने हमारे अनुरोध को नहीं माना और वह ज़रूरी सुधार करने में विफल रहा है, इसलिए आज हम उससे अपने रिश्ते तोड़ रहे हैं, इस रिपब्लिकन नेता ने कहा था कि अमेरिका डब्ल्यूएचओ को दिए जाने वाले फ़ंड को दूसरी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए देगा, ट्रंप ने चीन पर हमला बोला और कहा, ‘कोरोना वायरस के मसले पर दुनिया चीन से जवाब मांग रही है, इस मामले में हमें स्पष्ट होने की आवश्यकता है,

विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने आरोप लगाया था कि कोरोना चीन के वुहान की प्रयोगशाला से निकला है और इस बात के काफ़ी सबूत हैं, लेकिन बीजिंग ने इन आरोपों को ग़लत बताया था, अमेरिका डब्ल्यूएचओ को बहुत बड़ी वित्तीय सहायता देता है और इसके संगठन से निकलने के कारण माना जा रहा है कि डब्ल्यूएचओ कमजोर हो सकता है

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here