नई दिल्ली : अर्नब गोस्वामी की कथित चैट सामने आने के बाद मुंबई क्राइम ब्रांच ने पिछले सप्ताह फर्जी टीआरपी केस की चार्जशीट में कोर्ट में जमा किए.
इन चैट्स से यह पता चलता है कि अर्नब को दो साल पहले बालाकोट में किए गए हमले की पहले से ही जानकारी भी थी.
अर्नब ने ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल के पूर्व सीईओ पार्थ दासगुप्ता के साथ बातचीत में बोला था कि कुछ बड़ा होने वाला है.
जब दासगुप्ता ने अर्नब से सवाल किया कि क्या उनका मतलब दाऊद से है, तो गोस्वामी ने दासगुप्ता से कहा कि ‘…नहीं सर, पाकिस्तान, इस बार… यह सामान्य हमले से बड़ा होगा.
दासगुप्ता इस पर जवाब देते हैं कि यह अच्छा है,’ ये वॉट्सऐप चैट्स 23 फरवरी, 2019 की हैं.
तीन दिन बाद यानी 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने पाक के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंप पर हमला बोल दिया था.
काफी लोगों ने सोशल मीडिया में इस बात पर हैरानी जताई है कि गोपनीय सैन्य कार्रवाई की अर्नब को आखिर किसने जानकारी लीक की? खुद विपक्षी पार्टियां इस लीक मामले में इंटरनल इन्क्वायरी की मांग कर रही हैं.
सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को रद्द कर दिया था, गोस्वामी और दासगुप्ता की वॉट्सऐप से साफ संकेत मिलता है कि गोस्वामी को इस बारे में पहले से पता था.
2 अगस्त, 2019 को दासगुप्ता गोस्वामी को चैट करते हैं कि ‘क्या आर्टिकल 370 सच में हटाया जा रहा है?’ जवाब में अर्नब कहते हैं कि मैंने ब्रेकिंग में प्लैटिनम मानक सेट किए हैं, यह स्टोरी हमारी है.
5 अगस्त, 2019 को अर्नब एक चैट में दासगुप्ता से कहते हैं कि ‘…रिपब्लिक नेटवर्क ने साल की सबसे बड़ी स्टोरी ब्रेक की है,’ एक चैट में गोस्वामी यह तक कहते हैं कि ‘अजित डोभाल तक जानना चाहते थे कि उन्हें खबर कैसे मिली.
25 मार्च, 2019 का भी एक चैट बहुत चर्चा में है, इससे पता चलता है कि बतौर वीएआरसी चीफ दासगुप्ता ने वीएआरसी का एक बहुत ही गोपनीय कागजात अर्नब को भेजा और कहा कि उन्होंने नैशनल ब्रॉडकास्ट असोसिएशन को जाम कर दिया है, रजत शर्मा एनबीए के अध्यक्ष हैं.
दासगुप्ता कहते हैं कि जब फुरसत मिले, तो लेटर पढ़ लीजिएगा, अर्नब जवाब देते हैं कि रजत की एंट्री नहीं होगी, दासगुप्ता उस चैट में कहते हैं कि किसी से कहिए कि रजत, एनबीए और टीआरएआई हमें परेशान न करें,
कुछ चैनलों ने टीआरएआई से वीएआरसी की कुछ मनमानियों को लेकर शिकायत की थी, 4 अप्रैल, 2019 की एक चैट को पढ़कर साफ लगता है कि दासगुप्ता इसको लेकर खासे परेशान हैं.
वह गोस्वामी से कहते हैं कि क्या वह एसी से इस बारे में बात कर सकते हैं और कह सकते हैं कि वीएआरसी के खिलाफ टीआरएआई थोड़ा नरम रहे?
4 अप्रैल, 2019 की एक अन्य चैट में दासगुप्ता कोअर्नब बताते हैं कि वीएआरसी को सीधे तौर पर एसी की नजर में नहीं लाया जा सकता है.
गोस्वामी की इसके आगे की लाइन से स्पष्ट है कि एसी का मतलब यहां किसी बड़े राजनेता से है, क्योंकि अर्नब आगे कहते हैं कि राजनेताओं का ऐसे मामलों में हस्तक्षेप का एक तरीका होता है.
7 जुलाई, 2017 की एक चैट में पार्थ दासगुप्ता गोस्वामी को बताते हैं कि सूचना व प्रसारण मंत्रालय में रिपब्लिक टीवी के खिलाफ एक शिकायत आई है.
जवाब में गोस्वामी कहते हैं कि ‘फ्री टू एयर डिश के बारे में राठौर ने मुझे बताया और कहा कि यह शिकायत हाशिए पर कर दी गई है,’ माना जा रहा है कि यहां राठौर का मतलब तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री से है.
गोस्वामी और वीएआरसी के पूर्व सीईओ पार्थ दासगुप्ता की मीडिया में सामने आई कथित वॉट्सऐप चैट के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं.
इन चैट्स की जानकारी हैरान करने वाली है, इन्हें सही माना जाए तो बालाकोट स्ट्राइक से तीन दिन पहले ही गोस्वामी को इस हमले की जानकारी थी.
विपक्ष इसे लेकर मोदी सरकार पर हमलावर है और आरोप लगा रहा है कि सरकार ने देश की सुरक्षा के साथ समझौता किया है, सरकार पर गोस्वामी के साथ साठगांठ के आरोप भी लग रहे हैं.
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