रवीश कुमार
आपके भीतर अब गिनती समाप्त हो चुकी है। आख़िर कोई कब तक गिनेगा। संख्या के प्रति संवेदनशीलता अब वैसी नहीं है जैसी शुरू के दिनों में थी। 100 केस आने पर रग़ों में सिहरन दौड़ जाती थी। अब सिहरन नहीं दौड़ती है लेकिन 100 क्या, 1000 से अभी अधिक एक दिन में 15000 से अधिक केस आने लगे हैं। भारत में कोविड-19 से मरने वालों की संख्या 13, 425 हो गई है। दिल्ली में ही दो हज़ार से अधिक लोग मारे गए हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महामारी विशेषज्ञ रेयान का कहना है कि टेस्टिंग की क्षमता बेहतर हो गई है, इसलिए हालात की बेहतर समझ अस्पतालों में भीड़ और मरने वालों की संख्या से बन पाएगी। ब्राज़ील में मरने वालों की संख्या 50,000 हो गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह भी कहा है कि कोविड-19 का दौर पहले से ख़तरनाक हो चुका है। दुनिया में 4 लाख 65 हज़ार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। 88 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। भारत में 4 लाख 10 हज़ार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं।
इस महामारी को देखना घड़ी को देखने जैसा है। हम देखे या न देखें, वक्त गुज़रता ही है। ठहरता नहीं है। । संख्या हमारे लिए शून्य में बदल चुकी है। जिनके यहां यह महामारी दस्तक देती है और जिनके यहां मौत होती है वहां इस शून्य का अलग मतलब होता है। इस महामारी ने मरने वालों की त्रासदी को गुप्त रखा है। सामने नहीं आने दिया। वे गिनती से बाहर कर दिए गए हैं। यह इसका भयावह पक्ष है।
किसी के पास कोई मुकम्मल दवा नहीं है। मगर ऐसी ख़बरें आग की तरह फैलती हैं। उम्मीद वहीं पर है। सबको पता है कि ट्रायल वगैरह की प्रक्रिया पूरी होते होते कम से कम 12-18 महीने लग जाएंगे लेकिन सबको लगता है कि वेक्सिन कल की बात है। आ जाएगी।
बेहतर है आप सतर्क रहिए। मास्क लगाते रहिए। उसके ऊपर फेस शील्ड लगा लें बेहतर है। किसी के करीब ज़्यादा देर तक रूक कर बात न करें। कमरे को हवादार रखें। अधिक क्षमता वाला एग्ज़ोस्ट फैन लगा कर रखें ताकि हवा का आवागमन जारी रहे। हाथ को साफ रखें। समय के साथ शिथिलता आ जाती है। कोई कब तक यह सब कर सकता है। लेकिन तभी याद दिलाइये कि कुछ दिन कुछ महीने और करना है। करेंगे।