भोपाल (मध्य प्रदेश) : फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ बीते गुरूवार को अपने समर्थकों के साथ प्रदर्शन करना कांग्रेस MLA आरिफ़ मसूद को भारी पड़ गया है, भोपाल स्थित आरिफ़ के काॅलेज और स्कूल के अतिक्रमण को नगर निगम के अमले ने गुरूवार सुबह ढहा दिया, मसूद भोपाल से बाहर हैं, ऐसे में उनके समर्थकों ने इस कार्रवाई का विरोध किया, लेकिन भारी पुलिस बल की मौजूदगी में करीब 12 हजार स्क्वायर फीट पर किये गये अतिक्रमण को अमले ने तोड़ दिया, मैक्रों के बयान के विरोध में मुसलिम समाज के लोग दुनिया भर में प्रदर्शन कर रहे हैं, भारत में मुंबई और अलीगढ़ के अलावा भोपाल में भी बड़ा प्रदर्शन हुआ था, मसूद के आह्वान पर पुराने भोपाल में हजारों मुसलिम धर्मावलंबी जुटे थे, बहुत शार्ट नोटिस पर हुए प्रदर्शन में बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारियों के जुटने से पुलिस और प्रशासन के हाथ-पैर फूल गये थे, हालांकि प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा था, मसूद ने प्रदर्शन को कांग्रेस से नहीं ख़ुद से जोड़ा था.

मसूद ने कहा था, ‘मोदी सरकार फ्रांस के राष्ट्रपति से माफी मांगने का अनुरोध करे, यदि केन्द्र की सरकार ने ऐसा नहीं किया तो उसके ख़िलाफ़ भी आंदोलन किया जायेगा, भारत सरकार अगर मूक रही तो मुसलिम धर्मावलंबी उसकी भी ईंट से ईंट बजाने में पीछे नहीं रहेंगे,’ मसूद के आक्रामक तेवर पर बीजेपी की प्रतिक्रिया आई थी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी.डी.शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से इस प्रदर्शन को लेकर सफाई मांगी थी, चूंकि उपचुनाव चल रहे थे, लिहाज़ा सरकार शांत थी, उपचुनावों के लिए तीन नवंबर को वोटिंग के ठीक बाद चार नवंबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने पूरे मामले की समीक्षा की, उनकी समीक्षा के बाद 5 नवंबर को नगर निगम ने कार्रवाई कर डाली.

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आरिफ़ मसूद ने दिग्विजय सिंह सरकार में यह काॅलेज खोला था, तब के उच्च शिक्षा मंत्री रहे मुकेश नायक ने मसूद की मदद की थी, धीरे-धीरे काॅलेज बढ़ता गया, भोपाल की लाइफ़ लाइन बड़ी झील के कैचमेंट एरिया में बने इस काॅलेज के निर्माण को लेकर अतिक्रमण के आरोप आरंभ से ही लगते रहे, दिग्विजय सिंह सरकार की विदाई और बीजेपी के सत्ता में आने के बाद मसूद का काॅलेज निशाने पर आया, साल 2005 में मसूद हाईकोर्ट से स्टे ले आये थे, मसूद के काॅलेज और स्कूल के उस अतिक्रमण को निगम प्रशासन ने आज ढहाया जो स्टे के इतर हिस्से पर बाद में बना, मसूद समर्थकों ने अमले का विरोध किया, लेकिन भारी पुलिस बल के आगे समर्थकों की नहीं चल पायी, समर्थकों ने पूरी कार्रवाई को बदले की भावना से की गई कार्रवाई बताया.

मसूद समर्थकों ने कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा दिए गए बयान का विरोध करना राज्य की सरकार को रास नहीं आया, अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को लेकर भी समर्थकों ने सवाल उठाये, उधर, अमले की अगुवाई करने वाले अफसर ने मीडिया से कहा, ‘पूरी कार्रवाई वैधानिक तरीके से की गई, बदले की भावना के आरोप निराधार हैं,’ अफसर ने दावा किया, ‘अतिक्रमण हटाने को लेकर 15 दिन पहले बाकायदा नोटिस इश्यू किया गया था, अवधि समाप्त होने पर आज कार्रवाई की गई.’

भोपाल पुलिस ने आरिफ़ मसूद और उनके छह समर्थकों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 153ए में एक प्रकरण भी दर्ज किया है, यह धारा उन लोगों पर लगाई जाती है जो धर्म, भाषा और नस्ल के आधार पर लोगों में नफ़रत फैलाने का प्रयास करते हैं, धारा 153ए का दोष सिद्ध होने पर तीन साल की कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है, अगर ये अपराध किसी धार्मिक स्थल पर किया जाये तो जुर्माने के साथ सजा की अवधि पांच साल होने का प्रावधान है, भोपाल पुलिस ने 153ए के तहत एफआईआर के पूर्व भी मसूद और उनके समर्थकों पर आपराधिक मामला दर्ज किया था, गुरूवार को हुए प्रदर्शन के बाद कोरोना प्रोटोकाॅल की अनदेखी को लेकर धारा 188 के साथ अन्य धाराओं में प्रकरण पंजीबद्ध हुआ था.

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