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बिहार: 2015 से नहीं मिला था वेतन, टीचर ने काटी नस, खून से लिखा- ‘भ्रष्टाचार मुर्दाबाद’

नई दिल्ली/सीतामढ़ी: बिहार के सीतामढ़ी में पंचायत शिक्षक के पद पर कार्यरत संजीव कुमार ने बीते शनिवार को हाथ की नस काट कर आत्महत्या का प्रयास किया, संजीव को 2015 से तनख़्वाह नहीं मिली थी, जब एक महीने तनख़्वाह न आए तो, आदमी के लिए मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो जाता है, सोचिए कि 2015 से तनख़्वाह न आने के चलते वह कितने परेशान हुए होंगे और इसी परेशानी में उन्होंने ख़ुद के जीवन को ख़त्म करने का फ़ैसला ले लिया,

संजीव का फ़ोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, फ़ोटो में वह बुरी तरह निढाल पड़े हैं, उनके हाथ से ख़ून बह रहा है और पास में ही खून से लिखा है- भ्रष्टाचार मुर्दाबाद, संजीव ने मास्क भी पहना हुआ है, कहने को तो बिहार में डबल इंजन की सरकार है और वहां के सीएम नीतीश ख़ुद को ‘सुशासन बाबू’ कहलाना पसद करते हैं, लेकिन सोचिए, कि 2015 से कोई व्यक्ति बिना तनख़्वाह के काम करे जा रहा है, ऐसे में डबल इंजन की सरकार के कामकाज पर तो सवाल उठेंगे ही, और यह तो सिर्फ़ संजीव का मामला सामने आया है, हो सकता है कि राज्य में और भी ऐसे शिक्षक बड़ी संख्या में हों और तनख़्वाह के लिए संघर्ष कर रहे हों,

स्थानीय समाचार पत्रों के मुताबिक़, संजीव 2013 से पंचायत शिक्षक के रूप में नौकरी कर रहे थे, शुरुआत में तनख़्वाह सही समय पर आती रही लेकिन 2015 से तनख़्वाह आनी बंद हो गयी, लंबे समय तक उन्होंने वेतन भुगतान के लिए विभागीय कार्यालय के चक्कर लगाए, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी,  इस घटना के बाद से सीतामढ़ी जिले के शिक्षक आंदोलित हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं, शिक्षक नेताओं ने कहा है कि जिला शिक्षा विभाग में दलाल सक्रिय हैं और इसी वजह से संजीव कुमार को पांच साल तक विभाग के कार्यालय के चक्कर लगाने के बाद भी वेतन नहीं मिला, उन्होंने संजीव के आज तक के वेतन का तुरंत भुगतान करने और दोषी अधिकारियों पर सख़्त कार्रवाई करने की मांग की है,

लेकिन सवाल यहां यह है कि हमारी सरकारें, सिस्टम इतना काहिल क्यों है, आख़िर वह, सरकारी ड्यूटी कर रहे किसी व्यक्ति को 5 साल तक उसकी तनख़्वाह से कैसे वंचित कर सकता है, लेकिन बिहार क्या, बाक़ी राज्यों में भी हालात कोई बहुत बेहतर नहीं होंगे, सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार इस कदर चरम पर है कि मेहनतकश व्यक्ति को कभी उसका हक़ मिल ही नहीं पाता, बिहार की सरकार को तुरंत संजीव को उनका लंबित वेतन देना चाहिए और सबक लेना चाहिए कि आगे से ऐसी ग़लती क़तई न हो

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