Header advertisement

केजरीवाल सरकार की घर-घर राशन योजना को बंद करने के लिए केंद्र ने भेजी चिट्ठी : सौरभ भारद्वाज

नई दिल्ली : सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में घर-घर राशन योजना की 25 मार्च को होने वाली शुरुआत से पहले ही केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को चिट्ठी भेजी है। केंद्र सरकार कह रही है कि इस योजना को बंद कर दीजिए।

हर महीने परिवार के सदस्यों की संख्या के हिसाब से राशन मिलता है। इस सिस्टम के अंदर बुहत सी कमियां हैं। गरीबों को राशन ऐसे दिया जाता, जैसे भीख दी जा रही हो। गरीब आदमी को 5 किलो राशन लेने के लिए सुबह लाइन में लगना पड़ता है और उसकी पूरे दिन की दिहाड़ी बर्बाद होती है।

उन्होंने कहा कि घर-घर राशन योजना पर दिल्ली सरकार 3-4 सालों से काम कर रही थी, ताकि राशन लोगों को पैक करके घर पर पहुंचाया जाए। केंद्र सरकार से अपील है कि जनता विरोधी इस फरमान को तुरंत वापस लिया जाए। घर-घर राशन योजना गरीबों के हक में है। दिल्ली सरकार स्विगी, अमेजन, जोमैटो की तरह लोगों के घर राशन पहुंचाना चाह रही है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार का एक अहम फ्लैगशिफ प्रोग्राम था जिसके ऊपर करीब 3 से 4 वर्षों से काम चल रहा था। उस प्रोग्राम का नाम है घर-घर राशन योजना। देश के गरीब और महानगरों के अर्बन गरीब लोगों को राशन दिया जाता है।

दिल्ली के अंदर गरीब लोगों को सरकार की तरफ से राशन दिया जाता है। हर महीने परिवार की संख्या के हिसाब से कुछ किलो राशन मिलता है। इस सिस्टम के अंदर बुहत सारी कमियां रही हैं। गरीब आदमी को राशन ऐसे दिया जाता, जैसे भीख दी जा रही हो।

राशन की दुकान जो पूरे महीने खुलनी चाहिए, वह जो एक या दो दिन खुलती है। उसके आगे लंबी लाइन लगती है, मारधाड़ होती है और बड़ी मुश्किल से गरीब को उसके हक का राशन मिलता है। जिस दिन दुकान खुली उस दिन जिसने राशन ले लिया, उसने ले लिया। जिसको राशन नहीं मिला उसका राशन भी चला जाता है।

पूरे देश में यह खामियां हर राज्य में राशन व्यवस्था के अंदर हैं। अरविंद केजरीवाल का इसको लेकर पुराना तजुर्बा है। सीमापुरी के उन्होंने कई साल गरीबों की बस्ती के अंदर काम किया है। इसकी वजह से यह बात समझते थे कि राशन बांटने वाले डीलर का कमीशन इतना कम है कि उसके पास इमानदारी से राशन बांटने की गुंजाइश नहीं है।

1 किलो राशन बांटने पर 35 पैसे का डीलर को कमीशन मिलता था। जब अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बने तो उन डीलरों का कमीशन 35 पैसे से बढ़ाकार 2 रुपये किया। यह पूरे भारत में सबसे ज्यादा है। केंद्र सरकार आज भी 35 पैसे देती है लेकिन दिल्ली सरकार उनको बाकी के 1 रुपए 65 पैसे देती है, ताकि वो इमानदारी से राशन वितरण कर सकें।

इसके बावजूद शिकायतें आ रही थी कि राशन वाले लोगों को राशन नहीं देते हैं और हर रोज दुकान नहीं खोलते हैं। किसी को राशन मिलता है किसी को नहीं मिलता है। कई जगह राशन जो सरकार से आता है उसमें मिलावट करके मिलता है, क्योंकि खुला राशन होता है।

कई बार तोल के अंदर गड़बड़ की जाती है। इसके अलावा 5 किलो राशन लेने के लिए आदमी को सुबह लाइन में लगना पड़ता है। उसकी पूरे दिन की दिहाड़ी बर्बाद होती है, क्योंकि वह राशन के लिए लाइन में लगा हुआ है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार इसके ऊपर पिछले 3-4 सालों से काम कर रही थी कि जब राशन सरकार को लोगों को देना है, तो क्यों न यह राशन पैक करके दिया जाए। सरकार के यहां पर राशन पैक हो जाए और घर पर डिलीवर कर दिया जाए।

ताकि हर परिवार को उसके हक का राशन इज्जत के साथ उसके घर पर मिल सके। यह स्कीम चलने भी लगी थी। इस योजना की शुरुआत में एक सप्ताह भी नहीं बचा।  मुख्यमंत्री खुद सीमापुरी के जेजे क्लस्टर के अंदर 25 मार्च को राशन बांटने की घोषणा कई बार कर चुके थे। केंद्र सरकार के खाद्य आपूर्ति विभाग के साथ दिल्ली सरकार की कई बार बैठकें हो चुकी है।

उनको ये सारी स्कीम मालूम है कि इसके अंदर क्या प्रक्रिया चल रही है। इससे सुंदर व्यवस्था हो नहीं सकती कि दिल्ली सरकार एक गरीब आदमी को बिना किसी भ्रष्टाचार के पूरी इज्जत के साथ राशन उसके घर पर पहुंचाए। इससे बेहतर बात क्या हो सकती थी। इससे कई दलालों की दलाली खत्म हो जाती।

इसके अलावा हजारों करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार खत्म हो जाता और गरीब दुआएं देते। योजना की शुरुआत में आज एक हफ्ता भी नहीं बचा और केंद्र सरकार ने यह चिट्ठी दिल्ली सरकार को भेजी है। केंद्र सरकार कह रही है कि इस स्कीम को आप बंद कर दीजिए।

यह काफी हैरानी की बात है कि गरीब आदमी को घर बैठे राशन पहुंचाने में केंद्र सरकार को क्यों आपत्ति है और क्या आपत्ति है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हम केंद्र सरकार से अपील करेंगे कि आप इस तरीके के फरमान जारी न करें। यह सीधा-सीधा जनता के विरोध में हैं। घर घर राशन व्यवस्था सीधे सीधे गरीब लोगों के हक की चीज थी।

इसको ऐसे समय पर रोकना जब मुख्यमंत्री खुद चार-पांच दिन बाद शुरू करने वाले हैं। हम केंद्र सरकार से अपील करेंगे कि वो जो चिट्ठी लिखी है उसको वापस लें। मुझे लगता है कि दिल्ली के अंदर डोर स्टेप डिलीवरी ऑफ राशन, दुनिया के अंदर सबसे पहली बार सोची गई योजना थी।

स्विगी, अमेजन, जोमेटो से कुछ ऑर्डर करते हैं तो आपको घर बैठे सामान पहुंचाते हैं उसी तरह गरीब लोगों को यह व्यवस्था दिल्ली सरकार अपने खर्च पर करना चाह रही है। हम केंद्र सरकार से इसके लिए पैसा नहीं मांग रहे कि डिलीवरी का पैसा आप दीजिए।

पूरे देश का केंद्र सरकार के पास खाद्य का पैसा इकट्ठा होता है और फिर वापस केंद्र सरकार उसको अलग-अलग राज्यों को देती है, उतना ही पैसा ले रहे थे। उसी गेंहू को पिसवा कर, साफ-सुथरा करके पैकिंग करके देने की कोशिश थी। जिसको केंद्र सरकार ने बंद किया। हमारी उन से अपील है कि इस तरीके का जनता विरोधी फरमान है उसको वापस लीजिए।

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *