जितेंद्र भट्ट
इन दिनों मीडिया और सोशल मीडिया में लोगों के बीच एक दीवार सी खींच दी गई है। आप नफरत के खिलाफ बोलिए या लिखिए। लोग मोहब्बत को गाली देने लगेंगे। कई तरह की दलीलें दी जाएंगी। पहली बात यह कही जाएगी, आपने उस मुद्दे पर क्यों नहीं लिखा? इससे उनका सीधा मतलब होगा कि आपने अमुक समुदाय के खिलाफ क्यों नहीं लिखा? इस नफरत ब्रिगेड के निशाने पर इन दिनों एक अल्पसंख्यक समुदाय है। कोरोना के झंझट के बीच दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के लोगों के इकट्ठा होने और फिर इनमें से कई लोगों के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद, नफरत फैलाने का एक सिलसिला शुरू हुआ है।
करीब 10 दिन होने को आए हैं, मरकज की तरफ से कई सफाई आ गई हैं, पर तबलीगी जमात के बहाने एक पूरे समुदाय को निशाने पर लेने का चौतरफा खेल जारी है। नफरत के इस खेल के कई खिलाड़ी हैं; मीडिया, सोशल मीडिया और खास तरह की सियासत करने वाले लोग।
नफरत का खेल कौन खेल रहा है?
इस खेल की शुरुआत मीडिया के जरिए की गई। फिर इसमें सियासत का तड़का लगा, और अब सोशल मीडिया के जरिए फर्जी और झूठी खबरें लगातार फैलाई जा रही हैं। इसमें से ज्यादातर खबरें अपुष्ट हैं, भ्रामक हैं। कुल मिलाकर कई खबरें फर्जी हैं। एक बार टेलीविजन न्यूज़ के जरिए या सोशल मीडिया के जरिए जब फर्जी खबर दूर देहात और छोटे कस्बों में फैल गई, तो वह सच बन जाती है। कितनी भी सफाई देते रहिए झूठ, सच बनकर लोगों के दिलो-दिमाग पर पड़ा रहता है।
आप अपने किसी पड़ोसी से बात करिए, वो तबलीगी जमात के बारे में कई तरह की बातें बताने लगेगा। इनमें से ज्यादातर बातें फर्जी खबरों का हिस्सा होंगी। मसलन एक मुसलमान फल वाले द्वारा फलों पर थूकने की बात। पुलिसवाले पर थूकने की बात। ये खबरें भी खूब जोर शोर से फैलाई गईं कि अमुक-अमुक शहर में तबलीगी जमात के कुछ लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए, और जब पुलिस या मेडिकल टीम उन्हें लेने पहुंची, तो उन्होंने पथराव शुरू कर दिया। अच्छे भले, पढ़े-लिखे लोग भी इन खबरों पर यकीन कर रहे हैं। सोशल मीडिया के जरिए फर्जी खबरों का एक ऐसा जाल बुन दिया गया है, जिसके पार देख पाना एक आम इंसान के लिए संभव नहीं।
फिरोजाबाद पुलिस की बड़े अखबार को चेतावनी
सोशल मीडिया पर बार-बार यह खबरें फैलाई गईं कि किसी शहर में तबलीगी जमात के कुछ लोग कोरोना पॉजिटिव हैं। उन्हें जब मेडिकल टीम लेने पहुंची, तो पथराव शुरू कर दिया गया। खबर यूपी के शहर फिरोजाबाद को लेकर चलाई गई। 6 अप्रैल की इस खबर में लिखा था “फिरोजाबाद में 4 तबलीगी जमाती कोरोना पॉजिटिव, इन्हें लेने पहुंची मेडिकल टीम पर हुआ पथराव।” जाहिर है इस खबर को न जाने कितने लोगों ने पढ़ा होगा। और फिर तबलीगी जमात के बहाने एक समुदाय, दूसरे समुदाय के लोगों की नफरत का निशाना बन गया।
लेकिन सच क्या है? ज्यादातर मामलों में सच पता ही नहीं चल पाता। झूठी और फर्जी ख़बरें सच बन जाती हैं। लोग इन पर 100 फ़ीसदी यकीन करने लगते हैं। फर्जी खबर के साथ भी यही होता, अगर फिरोजाबाद पुलिस तुरंत एक्टिव ना होती। अच्छी बात है कि फिरोजाबाद पुलिस ने इस फर्जी खबर पर तुरंत प्रतिक्रिया दी। फिरोजाबाद पुलिस ने मीडिया संस्थान को एक चेतावनी भरे लहजे में ट्वीट डिलीट करने को कहा, फिरोजाबाद पुलिस के इस ट्वीट में लिखा गया – “आप अपने द्वारा किए गए ट्वीट को तत्काल डिलीट करें।“
बाराबंकी के डीएम ने अखबार को पत्रकारिता सिखाई
फिरोजाबाद में ही नहीं यूपी के बाराबंकी में भी एक बड़े अखबार में तबलीगी जमात से जुड़ी खबरों को गलत और भ्रामक अंदाज में छापा गया। इस अखबार की खबरों पर बाराबंकी के डीएम और एसएसपी को चेतावनी तक देनी पड़ी। ट्वीट के साथ डीएम साहब ने एक नोट भी शेयर किया। इस नोट में लिखा था, “इन विषम परिस्थितियों में ऐसी अफवाहों पर तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर, बिना प्रशासन का पक्ष जाने निराधार खबर विकसित करना, पत्रकारिता एवं जागरण के अपने मापदंडों के विपरीत है।बेहद दुखद।“ डीएम साहब ने दूसरे ट्वीट में लिखा, “आशा है अब सभी प्रकार की अफवाहों और निराधार खबरों पर विराम लगेगा।“ अंदाजा लगा सकते हैं कि अखबार की जिस खबर को डीएम और पुलिस के आला अधिकारी झूठा और भ्रामक बता रहे हैं, उस खबर को पढ़कर आम लोगों के मन में किस तरह की भावनाएं पैदा हुई होंगी।
सहारनपुर पुलिस ने मीडिया को दिखाया आईना
भ्रामक खबरों का सिलसिला यहीं नहीं रुकता। सहारनपुर पुलिस ने ऐसी ही कुछ भ्रामक और फर्जी खबरों की पोल खोली। दरअसल कुछ टेलीविज़न न्यूज़ चैनल, अखबार और कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में तबलीगी जमात के लोगों के बारे में झूठी और फर्जी खबरें छापी गईं। इन्हीं खबरों पर सहारनपुर पुलिस को स्टेटमेंट जारी करना पड़ा।
सहारनपुर पुलिस द्वारा जारी स्टेटमेंट का शीर्षक है, खबर बनाम सच।
सहारनपुर पुलिस ने लिखा – “अवगत कराना है कि विभिन्न समाचार पत्रों, न्यूज़ चैनलों एवं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित की जा रही खबर ‘क्वॉरेंटाइन किए गए जमतियों ने खाने में नॉनवेज ना मिलने पर किया जमकर हंगामा, जमातियों ने खुले में ही कर डाली शौच’ की सत्यता की जांच व आवश्यक कार्यवाही करने हेतु थाना प्रभारी रामपुर मनिहारन को निर्देश दिए गए थे, जिनके द्वारा जांच की गई तो जांच में विभिन्न समाचार पत्रों, न्यूज़ चैनलों एवं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित की जा रही उक्त खबर पूर्ण रूप से गलत एवं असत्य पाई गई है। अतः सहारनपुर पुलिस उक्त प्रकाशित खबर का पूर्णता खंडन करती है।”
लखनऊ में महिला नर्सों पर हमले की खबर फर्जी निकली
सोशल मीडिया फर्जी खबरों की सबसे बड़ी फैक्ट्री बन गया है। सोशल मीडिया के जरिए फर्जी खबरें जोर-शोर से फैलाई जा रही हैं। लखनऊ में एक ऐसा ही मामला सामने आया। लखनऊ में सोशल मीडिया के जरिए कैसरबाग में महिला नर्सों पर हमले की खबर फैलाई गई। इन्हीं फर्जी खबरों के आधार पर एक महिला ने ट्विटर पर लखनऊ पुलिस से शिकायत की। इस महिला ने ट्विटर पर लिखा – “लखनऊ के कैसरबाग, कसाईबाड़ा में महिला नर्सों के साथ अभद्रता की गई। गाली गलौज देते हुए, पत्थर उठाने पर जान बचाकर भागे स्वास्थ्यकर्मी।” इस ट्वीट पर लखनऊ पुलिस का जो जवाब आया, वो चौंकाने वाला है। लखनऊ पुलिस ने लिखा – “उक्त प्रकरण में SHO कैसरबाग द्वारा बताया गया कि इस प्रकार की कोई भी घटना कैसरबाग थानाक्षेत्र में नहीं हुई है।”
फलों पर थूकने वाले वीडियो का कोरोना से लेना-देना नहीं
आप मोहब्बत की बात करिए, नफरत के खिलाफ बोलिए; तो झट से कुछ लोग फलों पर थूकने वाली बात का जिक्र कर देंगे। ऐसे लोगों को मूर्ख मत कहिए। यह उनकी अज्ञानता है। फलों पर थूकने वाले वीडियो को लेकर टीवी न्यूज़ चैनल्स और सोशल मीडिया में खूब हल्ला मचा। अब पड़ताल के बाद पता चल रहा है कि वो वीडियो पुराना है। फलों पर थूकने वाला वीडियो मध्य प्रदेश के रायसेन का है। इस खबर की क्विंट वेबसाइट ने पूरी पड़ताल की। क्विंट ने रायसेन की एसपी से बात की। उन्होंने बताया कि यह वीडियो 16 फरवरी का है, और इसका कोरोना वायरस से कोई लेना-देना नहीं।
आरोपी के परिवार का कहना है कि शेरू मियां की मानसिक हालत ठीक नहीं है, हालांकि इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज करके आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन फलों पर थूकने वाले इस वीडियो को एक साजिश बताकर फैलाया गया। फेसबुक सहित तमाम सोशल मीडिया प्लेट फॉर्म्स पर यह वीडियो देखते ही देखते वायरल हो गया। पढ़े लिखे समझदार लोगों ने भी इस वीडियो का हवाला देकर जमकर नफरत फैलाने की कोशिश की। हम जैसों को उलाहना और ताना देने में यह प्रकरण बहुत काम आया।
पुलिस पर थूकने वाला वीडियो पुराना है!
एक और वीडियो को सोशल मीडिया में खूब प्रचारित किया गया। यह वीडियो मुंबई का है। इस वीडियो में दिखाया जा रहा है कि एक शख्स पुलिस पर थूकता है। पड़ताल में यह साफ हो गया है कि यह वीडियो 2 मार्च का है, और इसका कोरोना वायरस से कुछ भी लेना देना नहीं। नफरत और मोहब्बत का खेल, दोनों अलग-अलग खेले जा रहे हैं। इतनी सच्चाई जानने के बाद भी, शायद ही नफरत फैलाने वाले मानेंगे। नफरत फैलाने वाले माने या ना मानें, मोहब्बत करने वालों को मोहब्बत करते रहनी चाहिए।
और अंत में जिगर मुरादाबादी का एक शेर है।
उनका जो फ़र्ज़ है वो अहल–ए–सियासत जाने,
मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे।।
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