नई दिल्ली/लंदन: कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों के बीच एक खुशखबरी है, कोरोना वायरस के इलाज के लिए ब्रिटेन में जिस वैक्सीन का ट्रायल हो रहा है, वह अब दूसरे फेज में पहुंच गया है, इस फेज में वैक्सीन का ट्रायल इंसानों पर शुरू हो गया है, इस एक्सपेरिमेंट के सफल होने पर इसे 10 हजार से अधिक लोगों को लगाने की तैयारी की जा रही है, भारत ने भी इस वैक्सीन के ट्रायल के 80 फीसदी सफल होने की उम्मीद जताई है, बता दें कि पिछले महीने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर ने वैक्सीन का प्रभाव और सुरक्षा की जांच करने के लिए एक हजार से अधिक वॉलनटिअर्स पर इसका ट्रायल किया था, वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को घोषणा की कि अब उनकी प्लानिंग पूरे ब्रिटेन में बच्चों और बुजुर्गों समेत 10,260 लोगों पर इस वैक्सीन के ट्रायल की है,

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीन विकसित करने की काम में लगी टीम को लीड कर रहे एंड्रयू पोलार्ड ने कहा, ‘क्लिनिकल स्टडी बहुत बेहतर तरीके से आगे बढ़ रही है, हम इस बात की जांच करने जा रहे हैं कि बुजुर्गों में यह वैक्सीन कितनी असरदार होती है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या यह टीका पूरी आबादी को सुरक्षा मुहैया करा सकता है,’ वैक्सीन कब तक बनकर तैयार होगी, इस पर पोलार्ड ने एक न्यूज वेबसाइट से कहा है कि वैक्सीन को लेकर अभी कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है, पूरी तरह से सक्षम वैक्सीन कब तक बनकर तैयार हो जाएगी, इस पर भी उन्होंने कोई जानकारी नहीं दी, उन्होंने कहा कि यह बताना काफी मुश्किल है कि कब तक वैक्सीन पूरी तरह से तैयार हो जाएगी और कब गारंटी के साथ कहा जा सकेगा कि वैक्सीन से महामारी की रोकथाम संभव है,

वहीं दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सेरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के चीफ एग्जिक्यूटिव अदार पूनावाला ने कोविड-19 की वैक्सीन को तैयार होने में 2 साल का वक्त लगने की संभावना जताई है, उन्होंने कहा कि संभव है कि इस साल के आखिर तक भी वैक्सीन मिल जाए, उन्होंने कहा कि यह सब कुछ यूके की वैक्सीन ट्रायल पर निर्भर करता है जो अब दूसरे चरण में पहुंच चुका है, पुणे स्थित एसआईआई इस वक्त यूके की ऑक्सफोर्ड, अमेरिका के कोडेजेनिक्स और ऑस्ट्रेलिया की बायोटेक फर्म थेमिस द्वारा विकसित की गई वैक्सीन कैंडिडेट्स पर काम कर रही है, पूनावाला ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन से सबसे ज्यादा उम्मीदें दिखाई है क्योंकि यह ट्रायल में सबसे आगे बताई जा रही है,

बता दें कि कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन विकसित करने के दूसरे प्रमुख दावेदारों में अमेरिका स्थित नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मोडेर्ना इंक और इनवियो फार्मास्युटिकल है, दोनों टीकों में प्रयास किया जा रहा है कि कोरोना वायरस की जेनेटिक्स को शरीर में ट्रांसप्लांट किया जाए ताकि वह एंडीबॉडी विकसित करें जो प्रतिरोधिक क्षमता के लिए जरूरी है, इस बीच, कंपनियां और सरकारें टीकों का उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं ताकि सफल टीके की करोड़ों खुराक उत्पादित की जा सकें, माना जा रहा है कि कंपनियों और सरकारों के लिए यह प्रयास जुए की तरह है, अगर यह असफल होता है तो बड़ी राशि की बर्बादी होगी लेकिन सौभाग्य से सफल होने पर कुछ महीनों में ही बड़े पैमाने पर लोगों को टीके देने की शुरुआत हो सकती है

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