नई दिल्ली: उच्च न्यायालय ने जामिया की छात्र सफूरा जरगर को जमानत दे दी है, सफूरा को यूएपीए के तहत दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उन पर दिल्ली दंगों की साजिश का आरोप लगाया था, दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा कि उन्हें मानवाधिकार के आधार पर रिहा करने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है, दरअसल सफूरा तीन महीने के गर्भ से हैं और पिछले दो महीनों से जेल की सलाखों के पीछे हैं, कोरोना के इस दौर में जेल सबसे खतरनाक जगह बन गयी है, और ऐसे में उनके जेल में रहने पर न केवल सफूरा के लिए बल्कि उनके बच्चे के लिए यह बेहद खतरा था,
इसको लेकर पूरे देश में आवाजें उठीं, और लोगों ने सफूरा को तत्काल रिहा करने की मांग की थी, सफूरा को गिरफ्तार हुए 22 हफ्ते बीत गए हैं, उन्हें 10 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था, आज पुलिस की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए, उन्होंने कहा कि वह बगैर केस की मेरिट पर गए और किसी दूसरे मसलों पर विचार किए अगर सफूरा को जमानत मिलती है तो वह उसका विरोध नहीं करेंगे, सफूरा के वकील नित्या राम कृष्णन ने कहा कि सफूरा को अपने डॉक्टर से मिलने के लिए फरीदाबाद जाना पड़ सकता है, उसके बाद जस्टिस राजीव शखधर की बेंच ने सफूरा को 10 लाख रुपये की जमानत पर कुछ शर्तों के साथ नियमित बेल देने के लिए तैयार हो गए,
जिसमें कहा गया है कि वह उन गतिविधियों में शामिल नहीं होंगी जिसका उनके ऊपर आरोप है, वह जांच को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगी, दिल्ली से बाहर जाने के लिए वह संबंधित कोर्ट से इजाजत लेंगी, जांच करने वाले अफसर से वह हर 15 दिनों में मिलकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रहेंगी, इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस आदेश को किसी दूसरे केस के लिए सिद्धांत नहीं समझा जाना चाहिए