सय्यैद इकराम
जिसके कारण जो विद्यालय ऑनलाइन कक्षाओं (#Online_Classes) का संचालन कर रहे हैं, जो प्रयासों की दृष्टि से तो ठीक है पर #internet की कम स्पीड के कारण अधिकतम बच्चो को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ भी ठीक से समझ नही आ रहा है और विद्यार्थी बड़ी संख्या में अनुपस्थित हैं ।RTE के 25% बच्चों के लिए तो ऑनलाइन पढ़ पाना ही दुष्कर है। ऐसी स्थिति में ठीक से पढ़ाई के लिए विद्यालय खुलने पर सभी कक्षाओं का कोर्स शुरू से ही पढ़ाना होगा।
जनपद हापुड़ के सभी विद्यालय संचालक इस विषय को गंभीरता से लें, वैश्विक महामारी के दौर में अभिभावको की बेरोजगारी को देखते हुए तीन माह की ट्यूशन फीस उत्तर प्रदेश में माननीय योगी जी की सरकार ने अप्रैल 2018 में फ़ीस निर्धारण अधिनियम लागू किया था । जिसको भी 2 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं जिसका विद्यालयों द्वारा पूर्ण रूप से पालन नहीं किया जा रहा है तथा हापुड़ जनपद के शिक्षा अधिकारी उस अधिनियम के प्रति उदासीन रहे हैं। कोरोना वायरस कोविड 19 के चलते भारतवर्ष व उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पूरे जनपद में लॉकडाउन है। जिसके चलते संपूर्ण व्यवसाय व उद्योग-धंधे बंद है। जिस कारण अभिभावकों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। इस महामारी को ध्यान में रखते हुए स्कूल प्रबंधकों द्वारा मानवता के आधार पर लॉकडाउन के समय में अप्रैल मई व जून माह की फीस पूर्ण रूप से माफ कर एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिये तथा फीस निर्धारण अधिनियम 2018 का पूर्ण रुप से पालन करना सुनिश्चित करें।
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