नई दिल्ली : दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर करीब 10 फीसदी के आसपास रहेगा, कई अर्थशास्त्री अपनी उम्मीद से बेहतर इस आर्थिक दर को लेकर दांव खेलने में लगे हैं.
इस बीच पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि दूसरी तिमाही में वृद्धि दर से बहुत ज्यादा उत्साहित होने की जरूरत नहीं है.
एक डिजिटल प्लेटफॉर्म से बात करते हुए राजन ने कहा कि महामारी से देश की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है, नौकरियों समेत इन नुकसान का असर लंबी अवधि में देखने को मिलेगा,
राजन ने कहा कि अर्थव्यवस्था में मौजूदा रिकवरी मांग की वजह से है, फिलहाल चिंता की बात यह है कि रिकवरी आखिर कब तक जारी रहती है, उन्होंने कहा कि सच तो यही है कि लोगों को नौकरी से निकाला गया है.
उनकी आमदनी घटी है और वो ऐसी स्थिति में नहीं हैं कि बहुत दिनों तक मांग को बढ़ावा दे सकें, राजन ने कहा, ‘आर्थिक रिकवरी अच्छी खबर है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर यह कब तक चलेगी.’
रघुरान राजन ने कहा कि वर्तमान में अर्थव्यवस्था को लेकर खुशी मनाना जल्दबाजी हो सकती है, देश की अर्थव्यवस्था में रिकवरी का दौर अभी शुरू हुआ है, यही अच्छी बात है.
लेकिन लॉकडाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हुआ है और इसकी भरपाई करने में लंबा वक्त लगेगा.
राजन ने केंद्र सरकार पर अरोप भी लगाया कि सरकार आर्थिक ग्रोथ की रफ्तार कायम रखने में फेल रही है, उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने जरूरत के हिसाब से पैसे नहीं खर्च किए.
राजन ने कहा कि अगर कोरोना वायरस महामारी में सरकार और रकम खर्च करती तो दूसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़ों में उसका असर देखने को मिलता.
देश में बड़े कॉरपोरेट घरानों की तरफ से बैंक खोले जाने पर राजन ने कहा कि इसमें चिंता की सबसे बड़ी बात है कि ऐसे बैंक उन्हीं कॉरपोरेट घरानों की जरूरत को पूरा करते रह जाएंगे, उन्होंने कहा कि पिछले कई साल के दौरान भारत में एनपीए यानी फंसा कर्ज बढ़ा है.
लेकिन इसके बाद भी जीडीपी और कर्ज का अनुपात बहुत कम है, इससे साफ है कि जरूरत वाले लोगों को भी कर्ज देने में उदारता नहीं बरती जा रही है.
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