शमशाद रज़ा अंसारी
युवा समाजसेवी नईम इक़बाल ने अवाम से अपील की है कि प्रशासन द्वारा दिए गये दिशा निर्देशों के अनुसार ही ईद उल अजहा का त्यौहार मनायें। नईम इक़बाल ने कहा कि ईद का त्यौहार क़ुर्बानी का त्यौहार है। इस दिन जानवरों की क़ुर्बानी करके उसका गोश्त ग़रीबों/दोस्तों में बांटा जाता है। हमें चाहिए कि ज़्यादा से ज़्यादा जरूरतमन्दों को क़ुर्बानी का गोश्त दिया जाये। जिससे क़ुर्बानी का मकसद पूरा हो सके।
युवा समाजसेवी ने मौज़ूदा हालात के बारे में बताते हुये कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण इस बार हालात पहले से अलग हैं।कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए प्रशासन ने मस्जिद में केवल पाँच लोगों को ही नमाज़ पढ़ने को इजाज़त दी हुई है।
इसके अलावा भीड़ जमा होने पर भी मनाही है। खुले में क़ुर्बानी हर्गिज़ न करें। प्रशासन द्वारा दिए गये दिशा निर्देश हम सबके भले के लिए हैं। प्रशासन को हमारे त्यौहार के साथ साथ हमारी सेहत की भी चिंता है। हमें भी गाइडलाइन का पालन करते हुये प्रशासन का सहयोग करना चाहिए।
समाज को सन्देश देते हुये नईम इक़बाल ने कहा कि एक जानवर की जान की क़ुर्बानी देनी होती है। हमें अपनी शान ओ शौकत के दिखाने के लिए ज़्यादा जानवरों या महंगे जानवरों पर रूपये खर्च नही करने चाहिएं। लॉक डाउन के कारण सभी के सामने रोज़गार का संकट है। इस समय जैसे हालात हैं इनमें कम दामों में क़ुर्बानी करके,बचे हुये पैसों को ग़रीबों की मदद में लगा दें। अल्लाह दिलों के हाल जानता है। वह शान दिखाने के लिए की गयी महंगी क़ुर्बानी के मुकाबले ग़रीबों की मदद करने पर ज़्यादा सवाब देगा।
सावन के बारे में बोलते हुये नईम इक़बाल ने कहा कि इस बार भी ईद सावन के पवित्र महीने में आई है। पिछली बार की तरह इस बार भी हमें अपने गैरमुस्लिम भाइयों की भवनाओं का ख़्याल रखना है। जिस रास्ते से वह गुज़रते हैं वहाँ पर खुला हुआ गोश्त लेकर न जायें और न उस रास्ते पर मलबा डालें।
आपको बता दें कि जस्सिपुरा हबीब कम्पाउंड के पास रहने वाले नईम इक़बाल किशोरावस्था से ही सामाजिक कार्यों में रुचि ले रहे हैं। कैला भट्टा तथा आसपास के क्षेत्र में नईम इक़बाल को सम्मानित समाजसेवी के तौर पर जाना जाता है। शनिवार को हुई पीस कमेटी की मीटिंग में भी नईम इक़बाल ने स्थानीय मुद्दों को रखा था।