दिन प्रति दिन कोरोना वायरस के बढ़ने के कारण मस्जिदों या घरों में स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दी गई गाइडलाइन को सामने रखते हुए ईदुल अज़हा की नमाज़ अदा करें। अधिक उचित है कि सूरज निकलने के बीस मिनट के बाद संक्षिप्त रूप से नमाज़ और खुतबा अदा करके कुरबानी कर ली जाए और गंदगी को इस तरह दफ्न किया जाए कि उससे बदबू न फैले।

देश विशेषकर उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों की परिस्थितियों को देखते हुए मुसलमानों को सलाह दी जाती है कि इस समय प्रतिबंधित जानवरों की कुरबानी से बचें। चूंकि मज़हब मंे इसके बदले काले जानवरों की कुरबानी जायज़ हैं, इसलिए किसी भी समस्या से बचने के लिये इस पर संतोष करना उचित है।

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अगर किसी जगह उपद्रवी काले जानवरों की कुरबानी से भी रोकते हैं तो कुछ समझदार और प्रभावशाली लोगों द्वारा प्रशासन को विश्वास में लेकर कुरबानी की जाए। यदि फिर भी ख़ुदा न करे मज़हबी वाजिब को अदा करने का रास्ता न निकले तो जिस क़रीबी जगह कोई दिक़्क़़त न हो वहा¢ कुरबानी करा दी जाए।

लेकिन जिस जगह कुरबानी होती आई है और फिलहाल दिक़्क़त है तो वहां कम से कम बकरे की कुरबानी अवश्य की जाए और प्रशासन के कार्यालय में दर्ज भी करा दिया जाए ताके भविष्य में कोई दिक़्क़त न हो। इस बीमारी से सुरक्षा के लिये मुसलमानों को अधिक से अधिक अल्लाह से दुआ करनी चाहिये और तौबा व इस्तिग़फार का एहतिमाम भी ज़रूर करना चाहिये.

अरशद मदनी, अध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-हिन्द

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