नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित ‘तीन तलाक एक ऐतिहासिक ग़लती’ विषय पर बोलते हुए विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वोट बैंक और तुष्टीकरण की राजनीति के कारण कांग्रेस पार्टी इसके ख़िलाफ कानून नहीं बना पाई थी। अमित शाह ने कहा कि यह सर्वविदित है कि तीन तलाक प्रथा करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के लिए एक दुस्वप्न जैसी थी। उनको अपने अधिकारों से वंचित रखने की प्रथा थी.
विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जो तीन तलाक के पक्ष में खड़े हैं और जो इसके विरोध में खड़े हैं, उन दोनों के ही मन में इसको लेकर कोई संशय नहीं है कि तीन तलाक एक कुप्रथा है. कोई भी कुप्रथा हो, जब उसे निर्मूल किया जाता है तो उसका विरोध नहीं होता बल्कि उसका स्वागत होता है लेकिन तीन तलाक कुप्रथा को हटाने के खिलाफ इतना विरोध हुआ। इसके लिए तुष्टिकरण की राजनीति, उसका भाव जिम्मेदार है.
विपक्षी दलों पर निशाना
गृहमंत्री ने कहा कि वोटबैंक के आधार पर सालों साल सत्ता में आने की आदत कुछ राजनीतिक पार्टियों को पड़ गई। इसी वजह से ऐसी कुप्रथाएं इस देश में चलती रहीं. इस देश के विकास और सामाजित समरसता के आड़े भी तुष्टिकरण की राजनीति आई है। इसके पक्ष में बात करने वाले कई तरह के तर्क देते हैं। उसके मूल में वोटबैंक की राजनीति और शॉर्टकट लेकर सत्ता हासिल करने की पॉलिटिक्स है. उन्होंने कहा कि जब आप समाज के विकास की परिकल्पना लेकर जाते हैं तो उसके लिए मेहनत करनी पड़ती है, प्लानिंग करनी पड़ती है। इसके लिए आपके मन में संवेदना चाहिए, वोटों का लालच नहीं. जिनके मन में न मेहनत का भाव है और न ही संवेदना है, वे लोग तुष्टिकरण जैसे शॉर्टकट को अपनाते हैं और वोटबैंक की राजनीति करते हैं.
उन्होंने कहा कि जो अभाव में जी रहा है, जो गरीब-पिछड़ा, वो किसी भी धर्म का हो। विकास के दौर में जो पिछड़ गया है, उसे ऊपर उठाओ, अपने आप समाज सर्वस्पर्शी-सर्वसमावेशी मार्ग पर आगे बढ़ जाएगा. जो राजनीति 60 के दशक के बाद कांग्रेस ने शुरू की और बाकी दलों ने भी उसका अनुसरण किया, उसका असर देश के लोकतंत्र, समाजिक जीवन और गरीबों के उत्थान पर पड़ा है.
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि मूल आघात करने की जरूरत तुष्टिकरण की राजनीति पर है। 2014 में इस देश की जनता ने श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को पूर्ण बहुमत देकर तुष्टिकरण की राजनीति के अंत की शुरूआत कर दी. बगैर तुष्टिकरण यह सरकार समविकास, सर्वस्पर्शी विकास, सर्वसमावेशी विकास के आधार पर पांच साल चली। इसी थ्योरी पर 2019 में ठप्पा लगाकर इस देश की जनता ने तुष्टिकरण से देश को हमेशा के लिए मुक्त करने के लिए दोबारा बहुमत दिया है. इसी बहुमत के आधार पर भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन तलाक की कुप्रथा को खत्म करने का काम किया है.
शरीयत के ख़िलाफ है तीन तलाक
अमित शाह ने कहा कि दुहाई दी जाती है कि तीन तलाक मुस्लिम शरीयत का हिस्सा है, हमारे धर्म के रीति-रिवाजों में दखल न दिया जाए। उन्होंने कहा कि मैं आज बताना चाहता हूं बांग्लादेश, अफगानिस्तान, मोरक्को, इंडोनेशिया, श्रीलंका, जॉर्डन समेत 19 देश ऐसे हैं जिन्होंने 1922-1963 तक तीन तलाक खत्म कर दिया. यानी, हमें इस कुप्रथा को खत्म करने में 56 साल लग गए। इसका कारण कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति है। अमित शाह ने सवाल किया कि अगर यह इस्लाम संस्कृति का हिस्सा होता तो इस्लामिक देश इसे क्यों हटाते।
उन्होंने कहा कि यह बताता है कि यह प्रथा गैर-इस्लामिक है। इसे इस्लाम का समर्थन प्राप्त नहीं है. उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि मोदी सरकार ने अपने साढ़े पांच साल के कार्यकाल में 25 से ज्यादा ऐतिहासिक निर्णय लेकर इस देश की दिशा बदलने का काम किया है। गृहमंत्री ने कहा कि यह मोदी जी की दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचायक है.
मुस्लिम समाज के हित में
गृहमंत्री ने कहा कि कई लोग भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हैं कि यह काम मुस्लिम विरोधी है। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह काम केवल और केवल मुस्लिम समाज के फायदे के लिए है. नारी को ईश्वर ने जो समानता का अधिकार दिया है, यह तीन तलाक कानून उसे ही स्थापित करता है। अगर आज भी हम यह न करते तो यह दुनिया के सामने भारत पर बहुत बड़ा धब्बा होता.
अमित शाह ने बताया कि भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन नाम से एक एनजीओ है, जिसने 2015 में एक सर्वे किया था जिसका एक विश्लेषण कहता है कि 92.1% मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक से मुक्ति चाहती हैं। मैं इस बात से बहुत संतुष्ट हूं और मुझे गौरव भी होता है कि तीन तलाक बिल के पक्ष में मैंने भी अपना वोट दिया. सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल 1985 को शाह बानो जी के पक्ष में फैसला दिया। उस वक्त 400 के बहुमत के साथ राजीव गांधी शासन कर रहे थे. वो दिन संसद के इतिहास में काला दिन माना जाएगा कि वोटबैंक के दबाव में आकर राजीव गांधी ने कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निरस्त करके तीन तलाक को मुस्लिम महिलाओं पर थोप दिया.
गृहमंत्री ने कहा कि मैं आज आरिफ मो. खान को याद करना चाहूंगा और उनको मन से सभी की ओर से धन्यवाद देना चाहूंगा। एक शख्स ऐसा था, जिसने राजीव गांधी सरकार से इस्तीफा दे दिया खुद मुसलमान होने के बावजूद। उन्होंने सत्ता छोड़कर तीन तलाक का विरोध करने का काम किया था.