नई दिल्ली : अहमदाबाद गुजरात आयशा की वीडियो क्लिप सामने आई, जिसे उसने आत्महत्या करने से पहले दुनिया के साथ साझा किया था जिसमें वह स्पष्ट रूप से किसी को दोष देने से कतरारही थी, लेकिन आयशा के पिता के बयान के अनुसार, आत्महत्या का कारण पति की तरफ से दहेज की मांग थी।
दहेज एक बड़ी बुराई है जो हमारे समाज में कैंसर की तरह फैल गयी है। इस लानत ने लाखों बहन-बेटियों के जीवन को नरक बना दिया है। उनकी मासूम आँखों में बसने वाले रंगीन सपने छीन लिए हैं। उनकी इच्छाओं, आकांक्षाओं और एक सुंदर जीवन के सपनो का गला घोट दिया है।
दहेज न केवल समाज के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए एक खतरनाक बीमारी है और आज पूरा समाज इस घातक बीमारी से पीड़ित है।
लगभग हर परिवार व्यावहारिक रूप से इससे बरबादी का अनुभव कर चुका है। इस दहेज के कारण कितने परिवार नष्ट हो गए हैं और कितने माता-पिता ने दहेज का संग्रह नहीं होने के कारण अपनी बेटियों को मार डाला है। दहेज उत्पीड़न, खून खराबे और आत्महत्या का कारण है।
मौलाना डॉ. अब्दुल मालिक मुगीसी, जिला अध्यक्ष, अॉल इंडिया मिल्ली काउंसिल सहारनपुर ने इस घटना पर खेद व्यक्त करते हुए कहा कि आयशा और उसकी जैसी सभी बेटियों की कहानी पढ़कर पता चलता है कि हमने अपने समाज को कितना ज़ालिम बना लिया है और हम लालच की जंजीरों में इस कदर जकड़ चुकें हैं कि हमारी बेटियां मौत से खेलने को मजबूर हो गयी हैं।
अल्लाह की खातिर, शादी को सस्ता और आसान बनाने की कोशिश करें। अनावश्यक रीति-रिवाजों और परंपराओं को तोड़कर खुद को इस्लामी सांचे में ढालें। दहेज और मोटर वाहनों की मांग करके खुद को भिखारियों में शामिल न करें। अपनी क्षमता के अनुसार मेहेर देकर शादी करें। वास्तव में, एक गुणवान औरत सबसे बड़ा और सबसे अच्छा धन है।
आईए हम सब समाज से इस बीमारी को मिटाने के लिये अपने प्रयासों को जारी रखें और अपनी सुधारात्मक मजलिसों और सुधारात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को दहेज जैसी लानत के खतरों से जागरूक कराएं और इस प्रथा को समाप्त करने के लिए आगे आएं।