नई दिल्लीः दिल्ली के तुग़लकाबाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तोड़े गए मंदिर का मामला गरमाता जा रहा है। मंदिर तोड़े जान से दलित समुदाय नाराज़ है। वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने मंदिर तोड़े जाने में अदालत और मोदी सरकार की भूमिक पर भी सवाल  उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि जो मंदिर लोदी वंश, मुग़ल वंश और अंग्रेज़ों के शासन में भी सुरक्षित रहा उसे मोदी सरकार में तोड़ दिया गया।

उन्होंने अदालत की भूमकि पर सवाल उठाते हुए कहा कि एससी-एसटी एक्ट को बेअसर करने का सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला जस्टिस आदर्श गोयल और ललित की बेंच ने दिया था। मोदी सरकार ने रिटायर होते ही जस्टिस गोयल को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरमैन जैसे शानदार पद पर बैठाकर पुरस्कृत किया। इसका विरोध ख़ुद केंद्रीय मंत्रियों ने किया।

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दिलीप मंडल ने कहा कि सरकार मन बना चुकी थी कि एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ फ़ैसला देने वाले जज को इनाम देना है। इसके बाद कोई भी जज एससी-एसटी मामलों में सामाजिक न्याय के पक्ष में फ़ैसला क्यों देगा? दिल्ली के संत रविदास ऐतिहासिक मंदिर मामले में केंद्र सरकार की यही भूमिका है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने एक तरह से तय कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट से एससी-एसटी मामलों में कैसे फ़ैसले आएं।

इब्राहिम लोदी ने दी थी ज़मीन

दिलीप मंडल ने सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली के जिस रविदास गुरुघर या मंदिर के लिए इब्राहिम लोदी ने ज़मीन दी। पूरे लोदी वंश और मुग़ल वंश के समय जो मंदिर सुरक्षित रहा। जिस मंदिर को अंग्रेज़ों ने भी नहीं छेड़ा, विभिन्न पार्टियों की सरकारों के समय जो मंदिर शान से खड़ा रहा, उसे तोड़ने का आदेश जस्टिस मिश्रा और जस्टिस शाह ने दे दिया और बीजेपी सरकार ने फ़ैसले के खिलाफ अपील करने की जगह उसे मिट्टी में मिला दिया। इस मंदिर से इतनी घृणा क्यों?

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