शमशाद रज़ा अंसारी
अक्सर पुलिस और अपराधियों के गठजोड़ को लेकर सवाल उठते रहते हैं। बिकारु काण्ड में पुलिस की मिलीभगत सामने आने के बाद पुलिस और अपराधियों के गठजोड़ को खत्म करने की मुहिम तेज कर दी गई है। इस पर खुद आईजी कानपुर मोहित अग्रवाल ने कड़े कदम उठाए हैं। उन्होंने आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को थाने पर होने वाले कार्यक्रम में बुलाने पर रोक लगा दी है। साथ ही अपराधियों के यहाँ होने वाले कार्यक्रम में पुलिसकर्मियों के जाने पर रोक लगा दी है। आईजी ने कहा है कि हिस्ट्रीशीटर अथवा माफिया को थाने पर होने वाले किसी कार्यक्रम में न बुलाया जाए। हाल ही में अपराधियों के घरों पर आयोजित कार्यक्रम में पुलिस के वीडियो वायरल होने के बाद कड़े फैसले लिए जा रहे हैं। आईजी ने पुलिस अधीक्षक को भेजे गए पत्र में कहा कि पिछले कुछ समय से कुछ ऐसे मामले सामने आ रहे हैं कि थाना प्रभारी और थाने के अन्य पुलिस कर्मी अपराधियों के घरों पर जाते हैं।
उनके यहां पर आयोजित पारिवारिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं। इसके वीडियो भी वायरल हुए हैं जिससे जनता के बीच पुलिस अपराधियों के गठजोड़ का गलत संदेश जा रहा है। उन्होंने कहा कि थाना क्षेत्र के किसी भी ऐसे व्यक्ति के पारिवारिक कार्यक्रम में कोई भी पुलिसकर्मी सम्मिलित नहीं होगा जिनके ऊपर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं या फिर टॉप 10 की सूची में हैं, माफिया हैं और जिनकी छवि समाज में ठीक नहीं है। ऐसे अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्ति को थाने पर आयोजित कार्यक्रम मे सम्मिलित न किया जाए। उन्होंने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जाए कि बीटवार तैयार होने वाली सभ्रांत व्यक्तियों की सूची एस-10 में कोई में भी आपराधिक प्रवत्ति का व्यक्ति न आने पाए। अपराधियों के साथ किसी प्रकार का फोटो न खिंचवाया जाए और न ही उनके साथ कोई मंच साझा किया जाए।
आईजी मोहित अग्रवाल के इस कदम की हर तरफ प्रशंसा हो रही है। अब बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या अन्य जनपदों के उच्चधिकारी भी इस तरह की पहल करेंगे?
क्योंकि यह समस्या केवल कानपुर की ही नही है। हर जनपद में अपराधियों एवं पुलिस का गठजोड़ देखने को मिलता है। अपराधियों एवं पुलिस का एक दूसरे के कार्यक्रमों में सम्मिलित होने से जहाँ अपराधियों का हौसला बढ़ता है,वहीँ अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने वालों का हौसला पस्त होता है। उन्हें लगता है कि अपराधी की शिकायत उस पुलिस से क्या करें जिनका आपस में ही मेलजोल है।