नई दिल्ली : 2019 में सीएए और एनआरसी के विरोध में कई जगह विरोध-प्रदर्शन हुए थे, इस दौरान दिल्ली पुलिस ने जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों पर बर्बरता’पूर्वक हम’ला किया था, जिसमें दर्जनों छात्रों घायल हुए थे.
इसी बर्बरता’पूर्वक हम’ला के एक साल पूरे होने पर जामिया नगर में यौम-ए-सियाह का आयोजन किया गया था, कैंडल मार्च निकाला जा रहा था, इस मार्च में जेल में बंद पूर्व जेएनयू छात्र उमर खालिद की मां और दो बहन भी शामिल थीं.
जिन्हें बाद में दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया, सभी को पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहां से बाद में उन्हें छोड़ दिया गया.
मंगलवार की देर शाम जामिया नगर से कैंडल मार्च जैसे ही बाटला हाउस पहुंचा तो पुलिस ने 14 लोगों को हिरासत में ले लिया, पुलिस का कहना है कि पेन्डामिक एक्ट के चलते सभी को हिरासत में लिया गया था.
चेतावनी देकर थाने से उन्हें छोड़ दिया गया, मार्च की कोई अनुमति भी नहीं ली गई थी, लेकिन भीड़ इकट्ठी कर मार्च निकाला जा रहा है, इसी के चलते पुलिस ने अपनी कार्रवाई की है.
दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद को 14 सितंबर को दिल्ली हिं’सा से जुड़े मामले में गिर’फ्तार किया गया था, कड़कड़डूमा कोर्ट ने उमर खालिद की न्यायिक हिरासत बढ़ा दी है.
पुलिस की तरफ से उनकी न्यायिक हिरासत 30 दिन और बढ़ाने की अर्जी लगाई गई थी, उमर खालिद के वकील ने पुलिस की अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि पुलिस की जांच में इसने सभी तरह से सहयोग किया है.
ऐसे में यह आरोप लगाकर कि उमर खालिद जांच में सहयोग नहीं कर रहा है, उसकी न्यायिक हिरासत को बढ़ाने के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा लगाई गई अर्जी गलत है.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भी सीएए और एनआरसी का विरोध किया गया था, इसी दौरान 15 दिसम्बर की रात एएमयू के बाबा-ए-सैय्यद गेट पर पुलिस और आरएएफ ने छात्रों पर लाठीचार्ज किया था.
आंसू गैस के गोले दागे थे, दर्जनों छात्रों को गंभीर चोट आई थी, इसी घटना के एक साल होने और उसके विरोध में यौम-ए-सियाह का आयोजन किया गया था.
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