Header advertisement

JEE_NEET Exam 2020 : परीक्षा टालने के लिए 6 राज्यों ने खटखटाया SC का दरवाजा, पहले के फैसले पर समीक्षा की मांग

नई दिल्ली : अगले महीने सितंबर में होने वाली जेईई और NEET को फ़िलहाल टाल देने की माँग को लेकर छह राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, इसके लिए पश्चिम बंगाल, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और महाराष्ट्र की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल की गई है, इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से 17 अगस्त के आदेश की समीक्षा की माँग की गई है, जिसमें कोर्ट ने परीक्षा कराने को हरी झंडी दी थी, याचिका में कहा गया है कि कोरोना महामारी को देखते हुए सितंबर में होने वाली JEE और NEET को स्थगित कर दिया जाए.

छह राज्यों के छह कैबिनेट मंत्रियों की तरफ़ से दाखिल की गयी याचिका में कहा गया है कि, “जेईई और नीट परीक्षा को कराये जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश आया है उसमें छात्रों के स्वास्थ्य सुरक्षा और उनके जीवन की सुरक्षा के महत्त्वपूर्ण पहलू को नज़रअंदाज़ किया गया है, नीट 13 सितंबर को और जेईई 1 से 6 सितंबर तक कराये जाने के नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के निर्णय में परीक्षाओं के संचालन में आने वाली तार्किक कठिनाइयों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश में नज़रअंदाज़ कर दिया गया है.

छह कैबिनेट मंत्रियों की तरफ़ से एडवोकेट सुनील फर्नांडीज ने याचिका लगाई है, इसमें कहा गया है कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की तरफ़ से आये आँकड़ों के मुताबिक़ नीट में क़रीब 15.97 लाख और जेईई में 9.53 लाख छात्र शामिल होने जा रहे हैं, भारत में कोविड महामारी के संक्रमितों की संख्या 33 लाख से ज़्यादा हो चुकी है जबकि कोविड ने देशभर में 60 हज़ार लोगों की अब तक जान ली है, जेईई के लिए देशभर में 660 सेंटर बनाये गये हैं जिसमें औसतन 1443 बच्चें शामिल होंगे जबकि नीट के लिए 3843 सेंटर बनाये गये हैं जिनमें औसतन 415 बच्चे शामिल होंगे, इस प्रकार से जहाँ केन्द्र सरकार ने सभी सार्वजनिक कार्यक्रमों पर भीड़ और सोशल डिस्टैंसिग को देखते हुए रोक लगा रही है, वहाँ इतनी भीड़ में बच्चों का शामिल होना उनके स्वास्थ्य और कोरोना वायरस के लगातार प्रसार को देखते हुए गैरवाजिब होगा, याचिका में 17 अगस्त के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुनर्विचार की माँग करते हुए कहा गया है कि “याचिका दाखिल करने का मक़सद केन्द्र सरकार पर कोई राजनैतिक आरोप-प्रत्यारोप नहीं करना है, बल्कि केन्द्र सरकार द्वारा जारी की गयी गाइडलांइस के मुताबिक़ परीक्षा केन्द्रों में शरीर का तापमान लेकर परीक्षा में बैठने की अनुमति देना या न देना शामिल होगा, जबकि यह साबित तथ्य है कि देश में लाखों लोग बिना किसी लक्षण के भी कोरोना संक्रमित हैं, इस तरह लाखों बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना ग़लत साबित होगा.

सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने वालों में पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री मोलॉय घाटक, झारखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव, राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. रघु शर्मा, छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री अमरजीत भगत, पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू, और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री उदय रवींद्र सामंत शामिल हैं, सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद से ही कांग्रेस समेत कई भाजपा विरोधी दलों ने फ़ैसले के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना शुरू कर दिया था, कांग्रेस पार्टी की तरफ़ से कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने ग़ैर भाजपा शासित कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों और प्रमुखों से बातचीत करके सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का प्रस्ताव दिया था.

पहले सुप्रीम कोर्ट ने जेईई मेन्स और नीट को स्थगित करने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि छात्रों के बहुमूल्य शैक्षणिक वर्ष को बर्बाद नहीं किया जा सकता, कांग्रेस और कुछ विपक्षी दलों की माँग है कि कोविड-19 महामारी के फैलने और कुछ राज्यों में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए परीक्षा को टाल देना चाहिए, वहीं सरकार ने स्पष्ट किया है कि परीक्षा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उपयुक्त सावधानी बरतते हुए आयोजित की जाएगी, कोरोना वायरस के कारण ये परीक्षाएँ पहले ही दो बार टाली जा चुकी हैं.

रिपोर्ट सोर्स, पीटीआई

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *