शमशाद रज़ा अंसारी
सिख समाज बिना किसी शोर शराबे और दिखावे के समाजसेवा में लगा रहता है। आम दिनों में लंगर लगाने के साथ साथ हर आपदा में सिख समाज बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेता है। यही कारण है कि अल्पसंख्यक होने के बाद भी सिख समाज अपनी अलग पहचान रखता है। सिखों को दयालू एवं मददगार समझा जाता है। सिख समाज खालसा हेल्प संस्था ने रविवार को पटेल मार्ग चौक पर लगभग 200 जरूरतमन्दों को राशन की किट, मास्क तथा चप्पल बाँटी।
सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान सरदार मंजीत सिंह ने कहा कि खालसा हेल्प ने 24 मार्च 2020 से लगे लॉकडाउन से अब अनलॉक के दौरान भी पक्का राशन व कच्चा राशन बांटने का काम बंद नहीं किया। भविष्य की योजना के बारे में बताते हुये मंजीत सिंह ने कहा कि आगामी 1 साल तक खालसा हेल्प इसी तरह जरूरतमन्दों के बीच में जाकर लोगों को राशन बांटने का काम करती रहेगी। संस्था द्वारा राशन के साथ-साथ मास्क भी बांटे गए तथा जिनके पैरों में चप्पल नहीं थी उनको चप्पल भी देने का काम किया। खालसा हेल्प लोगों के बैंक में पैसे भेजने का काम भी करती रही है।
मंजीत सिंह ने कहा कि अब जब प्रशासन की तरफ से अन्य समाजसेवी संस्थाओं की तरफ से सेवा का कार्य लगभग बंद कर दिया है। मैं समाजसेवी संस्थाओं से अपील भी करता हूँ कि जितना भी और जब तक भी हो सके सेवा के कार्य को करते रहें। गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी को देखकर खालसा हेल्प ने वायदा किया है कि किसी को भूखा नहीं रहने देंगे। राशन की किट बांटने के अलावा गाजियाबाद सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी व खालसा हेल्प ने इस महामारी के दौरान जो परलोक सिधार गए उनमें और आम मौत में कोई फर्क ना करने पर हिंडन नदी के मनीष पंडित को सम्मानित किया।
सम्मानित करने वाले सरदार मंजीत सिंह व गुरप्रीत सिंह रम्मी गुरप्रीत सिंह रम्मी प्रधान गुरुद्वारा साहिब इंदिरापुरम व खालसा हेल्प ने अपने विचारों में कहा कि इस लॉकडाउन के दौरान गुरुद्वारा साहिब इंदिरापुरम ने पूरे एनसीआर में जा जाकर लोगों की मदद की। मदद सिर्फ राशन के रूप में ही नहीं की, बल्कि जहाँ दूध की कमी थी वहाँ दूध पहुंचाया, जहाँ दवाई की कमी थी तो वहाँ दवाई पहुंचाई, जरूरतमन्दों के अकाउंट में पैसे डाले और जो फंसे हुए लोग थे उन्हें अपने घर तक पहुंचाने का कार्य किया। खालसा हेल्प इसी तरह लोगों के बीच में काम करती रहेगी।
आज के इस कार्यक्रम में महेंद्र सिंह सोढ़ी,अमरजीत सिंह भाटिया,जागेश्वर जग्गी,कपिल सॉरी, कुलजीत डग, लकी, सुरजीत सिंह सग्गू और गुरजीत सिंह भाटिया का विशेष सहयोग रहा।
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