नई दिल्ली: कोविड 19 रोग का कारक कोरोना विषाणु में गुणात्मक जीन परिवर्तन  या म्यूटेशन देखा जा रहा है। ऐसा जामिया हमदर्द के शोध प्रयोगशाला और बायोइन्सेप्शन लैब, कैम्ब्रिज लंदन व इन्विरोज़ाइम शोध लैब हैदराबाद के सहयोग से किये गए शोध परीक्षणों से यह बात सामने आई है। ये शोधार्थियों और वैज्ञानिकों के लिये एक बहुत  महत्वपूर्ण निष्कर्ष माना जा रहा है

जिसका उद्घाटन जामिया हमदर्द संस्थान के उपकुलपति प्रोफ़ेसर सय्यद एहतेशाम हसनैन ने की। ज्ञात रहे कि प्रोफ़ेसर हसनैन विश्विख्यात जीव विज्ञानी हैं व भारत सरकार के विज्ञान व तकनीक विज्ञान के कई प्रोजेक्ट को निर्देशित करते रहे हैं। इस शोध निष्कर्ष को भारतीय सार्स-कोरोना 2 विषाणु के विशिष्ट  डेटाबेस में मौजूद 4000 जीनोम सिक्वेंसिंग का गहन अध्ययन के उपरांत निकाला गया है। जिसमे भारत मे भी पाए जाने वाले जीन सेकवेन्स के 25 नमूने भी सम्मिलित हैं।

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उपकुलपति प्रोफ़ेसर हसनैन ने आगे बताया कि वुहान में विषाणु प्रजाति की तुलना में भारतीय उपजाति में आश्चर्यजनक परिवर्तनशीलता देखी गई है। जिंसके कारकों और कारणों पर और अधिक शोधात्मक प्रयोग करने की आवश्यकता है” अपने शोध के आधार पर इन म्यूटेशन का विषाणु की संक्रामकता, उनकी भयावहता या  “सुखद या दुखद परिणति  होगी, हम लोग अभी इससे अनभिज्ञ हैं”

प्रोफ़ेसर हसनैन ने अपने शोध में यह भी बताया कि” देश मे विषाणु के जीनोम में होने वाली म्यूटेशन इसके टीका खोजने और औषधि विकास को प्रभावित कर सकता है। हम अपने शोध पत्र   के आधार पर यह अनुमान लगा सकते हैं कि संभव है  भविष्य में विदेश में बनने वाली वैक्सीन का भारतीय जनसंख्या में उतना कारगर सिद्ध हो, इसे कहा जाना जल्दबाज़ी होगी”

जामिया हमदर्द के उपकुलपति ने यह बताते हुए की मूलतः वुहान, चीन में जनित यह विषाणु, चीन से आवागमन जल्दी ही बंद ही जाने के कारण अधिक संक्रमण नही कर पाया

लेकिन विषाणु की वो उपजाति जिसने यूरोपीय देशों को चीन से संक्रमित किया था, उसके कारण ज़्यादा तेज़ी से संक्रमण फैलाने का कारण बना क्योंकि देश मे यूरोपीय देशों की उड़ानों और आवागमन पर प्रतिबंध काफ़ी देर के बाद लगाया गया।इस लिए भारत में विषाणु के गुणसूत्रीय श्रृंखला में यूरोपीय देशों के उपजाति से अधिक समानता है, बनिस्बत वुहान, चीन के स्ट्रेन के हसनैन ने यह भी स्पष्ट किया कि विषाणु की संक्रमण गतिकी को समझने की दिशा में व्यापक अध्यन और शोध की आवश्यकता है। “कम  जांच नूमनो और कम जीनोम सिकवन्स की उपलब्धता के कारण भारतीय परिवेश।में सार्स-कोरोना 2 विषाणु के जनन, उद्भव को समझ पाना अत्यंत कठिन है”।

अपने शोध आधारित निष्कर्षों पर बताते हुए उन्होंने ने यह भी कहा” सरकार द्वारा और अधिक जांच नमूनों और जीनोम सिकवेनसिंग के अधिकाधिक स्ट्रेन पूल्स की सहायता से हम निकट भविष्य में शोधकर्ता न सिर्फ़ बेहतर कारगर जांच के तरीके, प्रभावकारी औषधि का विकास कर पाएंगे वरन सघन टीका के अनुसंधान कर पाएंगे”

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