नई दिल्ली: इन दिनों कोरोना वायरस की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन है, इस लॉकडाउन की वजह से बहुत सारे प्रवासी मजदूर अपने घरों से दूर दूसरे राज्यो में फंसे हुए हैं, बहुत सारे तो पैदल ही घर के लिए निकल पड़े थे, जिन्हें सीमाओं पर रोककर क्वारंटीन में रख गया है, गृह मंत्रालय ने तमाम राज्यों में फंसे इन प्रवासी मजदूरों के आने जाने को लेकर कुछ गाइडलाइन्स या यूं कहें कि स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम (एसओपी) जारी की है, इसके अनुसार किसी भी लेबर को राज्य से बाहर जाने की इजाजत नहीं है,
लेकिन राज्य के अंदर ही उनका मूवमेंट कुछ नियमों को ध्यान में रखते हुए हो सकता है,सरकार ने ये फैसला किया है कि इन फंसे हुए मजदूरों का इस्तेमाल इंडस्ट्री, एग्रिकल्चर, कंस्ट्रक्शन और अन्य कामों में किया जा सकता है, 20 अप्रैल के बाद से संक्रमण जोन के बाहर तमाम काम करने की इजाजत मिल चुकी है, ऐसे में वहां काम करने वालों की जरूरत होगी, जो कमी ये प्रवासी मजदूर पूरी कर सकते हैं, इन मजदूरों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए कुछ गाइडलाइन्स जारी की गई हैं,
एसओपी में हैं ये गाइडलाइन्स
किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में रह रहे प्रवासी मजदूर अभी जहां पर भी आश्रय में रह रहे हैं, उनका लोकल अथॉरिटी के साथ रजिस्टर होना जरूरी है और उनके स्किल्स की मैपिंग की जाएगी, ताकि उसके हिसाब से ही उन्हें काम दिया जा सके,
अगर प्रवासी मजदूरों का कोई समूह अपने काम करने की जगह वापस लौटना चाहता है और वह उसी राज्य में किसी दूसरी जगह है तो पहले उसकी स्क्रीनिंग होगी और अगर वह स्वस्थ पाया जाता है तो उसे काम की जगह पर पहुंचा दिया जाएगा,
यह ध्यान देना जरूरी है कि किसी भी लेबर को राज्य या केंद्र शासित प्रदेश, जहां वह रह रहा है, उससे बाहर जाने की इजाजत नहीं होगी,
बस से यात्रा के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के सभी नियमों का पालन करना जरूरी है, साथ ही जिन बसों के जरिए इन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाएगा, उन्हें स्वास्थ्य अधिकारियों की गाइडलाइन्स के मुताबिक सैनिटाइज करना होगा,
15 अप्रैल को कोविड-19 के मैनेजमेंट के लिए जारी की गई गाइडलाइन्स का सख्ती से पालन होना जरूरी है,
स्थानीय अथॉरिटीज की जिम्मेदारी होगी कि वह मजदूरों को उनकी यात्रा के दौरान खाना-पानी मुहैया कराएं,