नई दिल्ली: तबीलीगी जमात चीफ़ मौलाना साद की ऑडियो क्लिप से छेड़छाड़ वाली रिपोर्ट पर दिल्ली पुलिस ने इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर को नोटिस भेजा है, साथ ही उससे सोमवार को सबूतों के साथ हाज़िर होने के लिए कहा है, दिलचस्प बात यह है कि ख़ुद गृहमंत्रालय की एक एजेंसी ने अपनी वेबसाइट पर इस ऑडियो को फ़र्ज़ी करार दिया था, हालाँकि वेबसाइट ने अब उस रिपोर्ट को हटा लिया है,
आपको बता दें कि इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, ‘तबलीगी एफआईआर: पुलिस की जाँच इशारा करती है कि साद की ऑडियो क्लिप डॉक्टर्ड थी’ शीर्षक से प्रकाशित इस रिपोर्ट में उसने पुलिस के विश्वसनीय सूत्रों और एजेंसी के ख़ुद के कबूलनामे पर साद के आडियो क्लिप के फ़र्ज़ी होने की बात कही थी, रविवार को दिल्ली पुलिस ने एक्सप्रेस के सिटी एडिटर और चीफ़ रिपोर्टर को नोटिस भेजकर कहा है कि “तथ्यात्मक तौर पर गलत…..साफ-साफ मान लिया गया” है, ईमेल के ज़रिये आयी इस नोटिस में कहा गया है कि चीफ़ रिपोर्टर के सोमवार को जाँच में शामिल होने की दरकार है और अगर ऐसा नहीं होता है तो आईपीसी की धारा 174 के तहत कार्रवाई की जाएगी, जिसमें फ़ाइन और जेल दोनों शामिल है,
एक्सप्रेस ने मौलाना साद मामले पर दिल्ली पुलिस के रिज्वाइंडर के आधार पर रिपोर्ट तैयार की थी, जिसके बारे में उसका कहना था कि रिपोर्ट विश्वसनीय सूत्रों और मौलाना साद के ख़िलाफ़ जारी जाँच की प्रगति से परिचित पुलिस अफ़सरों से बातचीत के आधार पर बनायी गयी थी, इस सिलसिले में उसने शुक्रवार को क्राइम ब्रांच के स्पेशल सीपी प्रवीर रंजन से उनकी प्रतिक्रिया भी माँगी थी, लेकिन ख़बर प्रकाशित होने से पहले वह नहीं आ सकी थी, हालाँकि रिपोर्टर ने उन्हें मैसेज भी किया था,
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पाया है कि शुरुआती जाँच में मरकज़ निज़ामुद्दीन के हेड मौलाना साद कंधालवी के ख़िलाफ़ एफआईआर में दर्ज ऑडियो क्लिप नकली है यानी उससे छेड़छाड़ की गयी है, ग़ौरतलब है कि साद की इस कथित आडियो क्लिप में तबलीगी जमात के सदस्यों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने की सलाह दी गयी है,
इससे भी ज़्यादा दिलचस्प बात यह है कि गृहमंत्रालय से जुड़ी एक एजेंसी ने ‘फे़क न्यूज़ को कैसे चिन्हित करें और उसकी जाँच करें’ शीर्षक से जारी अपनी रिपोर्ट में फेक ऑडियो संबंधी बातचीत में तबलीगी जमात के चीफ़ की ऑडियो क्लिप का भी ज़िक्र किया था, लेकिन अब उस पोस्ट को वहाँ से हटा दिया गया है,
‘क़ानून लागू करने वाली एजेंसियों के लिए गाइड’ शीर्षक वाली 40 पेज की इस रिपोर्ट को ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरएंडडी) ने शनिवार को वेबसाइट पर अपलोड किया था लेकिन रविवार को इसे हटा दिया गया, जब इंडियन एक्सप्रेस ने इस सिलसिले में बीपीआरएंडडी के प्रवक्ता जितेंद्र यादव से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि “बुकलेट में कुछ ग़लतियाँ ठीक की जा रही हैं, ऐसा करने के बाद फिर से उसे अपलोड कर दिया जाएगा,”
इस रिपोर्ट में पेज नंबर-10 पर साद से जुड़े ऑडियो क्लिप का ज़िक्र किया गया है, जिसका शीर्षक था ‘फेक न्यूज़ एंड डिसइंफार्मेशन वेक्टर,’ पैरा पाँच कहता है: “मौजूदा दौर में वायरल/फेक न्यूज़ फैलाने वाले आडियो कंटेंट तैयार कर सकते हैं और फिर उसे सोशल नेटवर्किंग चैनल से पूरे देश में फैला सकते हैं”, इसके बाद एक स्क्रीन शॉट जिसमें लिखे शब्दों के कुछ अच्छरों को आंशिक तौर पर छुपा दिया गया है, और उसे कुछ यूँ लिखा गया है, ‘टी….जामा….लीक ऑडियो आन कोविद लॉकडाउन,’ और उस पर हेडिंग दी गयी है: धार्मिक नेता की ऑडियो क्लिप जिसने लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन किया था और जो वायरल हो गयी थी,
एक बार अगर इन शब्दों को गाइड से निकाला जाए तो यह ‘तबलीगी जमात चीफ़ की कोविड-19 लॉकडाउन पर लीक आडियो’ बन जाएगा, गाइड में इसके अलावा अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ इस्तेमाल किए गए दूसरे फेक ऑडियो और वीडियो का भी ज़िक्र है, इसके अलावा ढेर सारे मामलों पर बात की गयी है
आभार: इंडियन एक्सप्रेस