नई दिल्ली: जाने-माने पत्रकार विनोद दुआ के घर पहुंच कर हिमाचल प्रदेश की पुलिस ने नोटिस दिया है, जिसमें उनको कल सुबह 10 बजे तक शिमला के एक थाने में हाजिर होने का निर्देश दिया गया है, यह जानकारी खुद विनोद दुआ ने दी है, इसके पहले बीजेपी के एक नेता नवीन कुमार की तरफ से दिल्ली में एफआईआर दर्ज करायी गयी थी, जिसमें कल उन्हें साकेत कोर्ट से राहत मिल गयी थी और कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर स्टे लगा दिया था, लेकिन अब हिमाचल प्रदेश सरकार की तरफ जो यह नई कोशिश हुई है उससे यह बात साबित हो रही है कि बीजेपी विनोद दुआ के पीछे पड़ गयी है और वह ऐन-केन तरीके से उन्हें सलाखों के पीछे डालना चाहती है, शायद यही वजह है कि शिमला में धाराएं भी दुआ के खिलाफ कड़ी लगायी गयी हैं जिससे उन्हें कोर्ट से आसानी से राहत न मिल सके, इसमें देशद्रोह की भी एक धारा शामिल हैं, उनके खिलाफ शिमला के कुमारसैन पुलिस स्टेशन में यू/एस 124A- देशद्रोह, 268, 501 और 505 की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है,

इसके पहले साकेत कोर्ट ने दुआ के खिलाफ 29 जून तक पुलिस की किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी थी, दरअसल मोदी सरकार ने पहले मीडिया को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की और इस कड़ी में उसके बड़े हिस्से को अपने पक्ष में चलने के लिए मजबूर कर दिया, उसका नतीजा यह है कि इस समय मुख्यधारा का मीडिया मोदी सरकार के साथ गलबहियां किए हुए है, लेकिन कुछ ऐसे पत्रकार और संस्थान थे जिन्होंने सरकार के सामने समर्पण करने से इंकार कर दिया, उन्हीं में विनोद दुआ भी शामिल हैं, पत्रकारिता जगत के भीष्म पितामह समझे जाने वाले दुआ अपनी बेबाक जुबान के लिए जाने जाते हैं, और इस दौर में भी उन्होंने उसे सार्वजनिक करने से कभी कोई परहेज नहीं किया, यही बात लगता है कि मोदी सरकार को खल रही है और अब वह स्वतंत्र आवाजों के दमन पर उतारू हो गयी है, विनोद दुआ के खिलाफ यह पुलिसिया कार्रवाई उसी का नतीजा है,

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माना जा रहा है कि यह सब कुछ केंद्र के इशारे पर संचालित किया जा रहा है, इसे कुछ लोग अर्णब गोस्वामी के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई से भी जोड़ कर देख रहे हैं, उनका मानना है कि दुआ को परेशान करने के जरिये उसका बदला लिया जा रहा है, और दुआ के खिलाफ यह कार्रवाई उसी का हिस्सा है, इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी सिंह ने एक नोट लिखा है, जिसको यहां दिया जा रहा है- विनोद दुआ पर बदले की कार्रवाई की जा रही है, दक्षिणी टोले की टिप्पणियों से पता चलता है कि वे अर्णब गोस्वामी के खिलाफ महाराष्ट्र में दर्ज़ हो रहे मुकदमों का बदला लेने के लिए यह सब कर रहे हैं , उनका सवाल है कि अर्णब गोस्वामी पर हुए” जुल्म” पर यह लोग चुप रहे/खुश हुए ?

अर्णब गोस्वामी पर मामले लिखवाने वाले उनके विरोधी पत्रकार नहीं हैं बल्कि कांग्रेस और दीगर विपक्षी दल और उनके समर्थक हैं, अर्णब गोस्वामी अपनी च्वायस से पत्रकारिता छोड़कर मौजूदा सरकार के लिए खुली आपराधिक किस्म की बैटिंग कर रहे हैं जिससे हमारे संविधान के अनुसार आपराधिक मामले सचमुच बनते हैं, जबकि विनोद दुआ पत्रकारिता कर रहे हैं जीवन भर करते रहे हैं , हमेशा उस वक्त की सरकार से सवाल करते रहे हैं चाहे दूरदर्शन पर ही क्यों न हो , उनके विचार किसी से टकरा सकते हैं पर उन्होंने पत्रकारिता का आचार नष्ट नहीं किया, दिल्ली हाईकोर्ट ने उन पर हुई पहली FIR की स्क्रूटिनी करके रिलीफ़ देते समय इसे दर्ज किया है,

अर्णब गोस्वामी के पक्ष में वही बोल सकते हैं जो उनके किये को पत्रकारिता मानते हैं,अब कोई पत्रकार उसे पत्रकारिता नहीं मानता बल्कि वह जो हैं वही कहता जानता है,एडिटर्स गिल्ड समेत सभी साझा फोरम से वे खुद ही खुद को अलग करके दूसरे फोरम में चले आये हैं, पहले भी तमाम पत्रकार ऐसे प्रयास कर चुके हैं पर वे उन सबसे बहुत ही अलग और बहुत आगे बढ़ चुके हैं, अर्णब गोस्वामी के मामले की सुप्रीम कोर्ट तक में उनकी सुविधा से स्क्रुटिनी हो चुकी है, हाईकोर्ट में भी हुई है पर कहीं किसी ने उन्हें उत्पीड़ित नहीं माना, हां उन्हें यह सुविधा जरूर दे दी कि उनके मामले की एक जगह जांच हो, प्रहसन न हो, जो ठीक निर्णय है, अर्णब गोस्वामी के लिए देश के सबसे बड़े वकील लड़ रहे हैं लड़ेंगे, पर पत्रकार विनोद दुआ के लिए पत्रकारों को लड़ना होगा !

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