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विमान से बच्चे के लिए प्रतिदिन लेह से दिल्ली आ रहा है माँ का दूध

शमशाद रज़ा अंसारी

माँ-बाप का रिश्ता धर्म से लेकर समाज तक में सर्वोच्च रिश्ता बताया जाता है। औलाद अपना सब कुछ न्यौछावर करने के बाद भी माँ-बाप का क़र्ज़ नही उतार सकती। माँ-बाप के रिश्ते को सबसे बड़ा यूँ ही नही कहा जाता है। माँ-बाप अपनी औलाद के पालन पोषण के लिए सभी प्रकार के कष्ट उठाते हैं। बच्चे की ज़रूरतें पूरी करने के यथासम्भव प्रयास करते हैं। नवजात की ऐसी ही लगभग असम्भव सी लगने वाली ज़रूरत पूरी करने का मामला सामने आया है। जिसमें माँ-बाप ने अपने नवजात शिशु का जीवन बचाने के लिए दिन रात एक कर दिए। दरअसल एक माँ प्रतिदिन अपने नवजात बच्चे के लिए एक हजार किलोमीटर दूर लेह से विमान द्वारा अपना दूध दिल्ली भेज रही है। यह सिलसिला एक माह से चल रहा है। माँ-बाप की इस मेहनत का परिणाम है कि बच्चा जल्द अपनी माँ की गोद में पँहुचने वाला है। माँ-बाप के इस प्रयास से डॉक्टर से लेकर परिचित तक सभी हैरान हैं। लेह से दिल्ली दूध लाने में बच्चे के पिता के दोस्तों के अलावा कई अंजान यात्री भी मददगार बन रहे हैं। जो विस्तारा एयरलाइंस की फ्लाइट से दिल्ली दूध लाने में मदद करते हैं।

शालीमार बाग़ स्थित मैक्स अस्पताल के अनुसार, 16 जून को बच्चे का जन्म लेह में सिजेरियन से हुआ था। बच्चे की सांस की नली और भोजन नली दोनों आपस में जुड़ी हुई थी। इस वजह से वहां डॉक्टरों ने सर्जरी के लिए मैक्स अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ हर्षवर्धन के पास स्थानांतरित किया। 18 जून को बच्चे के मामा उसे लेकर दिल्ली पहुंचे। बच्चे के पिता जिकमेट वांगडू कर्नाटक के मैसूर में शिक्षक हैं वह भी उसी दिन दिल्ली पहुंचे। सिजेरियन ऑपरेशन के कारण उसकी मां दिल्ली नहीं आ सकीं। क्योंकि ऑपरेशन के महज दो दिन ही हुए थे। मैक्स में 19 जून को बच्चे की सफल सर्जरी की गई।

 बच्चे को मां का दूध देना बहुत जरूरी था, इसलिए प्रतिदिन लेह से मां का दूध लाकर बच्चे को दिया जाता है। ख़ुशी की बात यह है कि बच्चे के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है। डॉक्टर कहते हैं कि बच्चा जल्द ही माँ की गोद में होगा। एक सप्ताह में बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

ऐसे मिल रहा है बच्चे को माँ का दूध

बच्चे के पिता जिकमेट वांगडू ने बताया कि डॉक्टरों ने कहा बच्चे को मां का दूध देना बहुत ज़रूरी है। क्योंकि मां का दूध बच्चों के लिए अधिक फायदेमंद होता है तथा यह कई प्रकार के संक्रमण से बचाता है। लेह से दूध लाना बेहद चुनौतीपूर्ण था। फिर भी उन्होंने अपने नवजात बच्चे के लिए इस कार्य को ठाना। इसमें उनके दोस्तों का भी सहयोग मिला। उन्होंने बताया कि लद्दाख एयरपोर्ट पर उनके कुछ मित्र कार्यरत हैं, जो दूध को किसी यात्री की मदद से प्रतिदिन दिल्ली एयरपोर्ट पर भेजते हैं। बच्चे की मां शाम छह बजे से सुबह के बीच तीन से चार बार दूध एकत्रित करती हैं। जिसे सुबह की फ्लाइट से दिल्ली एक घंटे में पहुंचा दिया जाता है। बच्चे के पिता या मामा में से कोई एक एयरपोर्ट जाकर दूध अस्पताल लाते हैं।

जिकमेट वांगडू ने एयरपोर्ट के कर्मचारियों के सहयोग की भी सराहना की। 20 जून से ही प्रतिदिन दिल्ली दूध लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चे के स्वास्थ्य में प्रतिदिन सुधार हो रहा है। मिल्क बैंक से दूध लेने की हुई थी बात अस्पताल के डॉक्टर कहते हैं कि शिशुओं के लिए मां का दूध फायदेमंद होता है। इस बच्चे के लिए मिल्क बैंक से दूध लेने पर विचार किया गया था, लेकिन उसकी मां ने अपना दूध ही पीलाने की ठानी। माँ के इस ठोस इरादे, पिता के अथक प्रयासों, परिचितों तथा अंजान यात्रियों के सहयोग से बच्चा जल्द ही अपनी माँ के पास होगा।

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