नई दिल्ली : नागालैंड का सबसे सशस्त्र विद्रोही समूह एनएससीएन-आईएम ने अलग झंडे और संविधान की मांग को लेकर शांति समझौते को अधर में लटका दिया है, दरअसल, एनएससीएन-आईएम अलग ध्वज और संविधान की मांग पर अड़ गया, एनएससीएन-आईएम की साझा काउंसिल बैठक ने शुक्रवार को नागा लोगों के राजनैतिक और ऐतिहासिक अधिकारों पर और भारत-नागा राजनैतिक वार्ता पर विचार-विमर्श किया, ये बैठक नागालैंड में दीमापुर के पास हर्बन में केंद्रीय मुख्यालय में हुई.

एनएससीएन-आईएम ने एक प्रेस रिलीज जारी कहा है, “एनएससीएन-आईएम के रुख को दोहराने के लिए सदन ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव अपनाया है कि ‘नागा राष्ट्रीय ध्वज और येहज़बाओ को नागा सौदे को सम्मानजनक और स्वीकार्य बनाने के लिए भारत-नागा राजनीतिक समाधान का हिस्सा बनना चाहिए,” रिलीज में यह भी कहा गया है कि केंद्र और एनएससीएन-आईएम को 3 अगस्त, 2015 को हस्ताक्षरित ऐतिहासिक फ्रेमवर्क समझौते के आधार पर ही “अंतिम समझौते” की तलाश करनी चाहिए, हालांकि पिछले महीने एनएससीएन-आईएम ने दावा किया था कि केंद्र ने नागा लोगों की संप्रभुता को मान्यता दी थी.

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साल 2015 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें इस बात पर सहमति जताई गई थी कि नागा लोग सह-अस्तित्व में रहेंगे लेकिन भारत में विलय नहीं करेंगे, यह प्रकरण ऐसे समय में आया है जब नागालैंड गवर्नर और मुख्य वार्ताकार के बिना गृह मंत्रालय और खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए महासचिव थुइलिंगेंग मुइवा सहित एनएससीएन-आईएम के शीर्ष नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली में डेरा डाले हुए है.

रिपोर्ट सोर्स, पीटीआई

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