लखनऊ (यूपी) : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार की कार्य और नीतिगत विफलताओं और मुख्यमंत्री जी के प्रशासन पर नियंत्रण खो देने से उत्तर प्रदेश में कोरोना संकट भयावह रूप लेता जा रहा है। हर रोज संक्रमित मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है और श्मसान घाटों तथा कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं बच रही है।
डबल इंजनवाली सरकारें जिन प्रदेशों में है वहां कोरोना की दूसरी लहर के कहर ने सभी झूठे दावों और बदइंतजामी की पोल खोल कर रख दी है। आंकड़े छुपाने के लिए उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और बिहार में टेस्टिंग, ट्रीटमेंट और ट्रैकिंग से खिलवाड़ ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है।
सरकारी लापरवाही का आलम यह है कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री जी के निर्देश पर जिन डाक्टरों, अधिकारियों को हेल्पलाइनों में लगाया गया वे अपने फोन ही नहीं उठाते हैं, मदद मांगने वालों से अभद्रता से पेश आते हैं। कारगिल के शहीद के पिता और रिटायर्ड जज तक इस अमानवीय व्यवहार के शिकार हुए हैं।
प्रदेश के अन्य जनपदों की बदहाली का क्या जिक्र हो जब राजधानी लखनऊ ही दर्द से कराह रही है। भाजपा सरकार की लापरवाही ने तबाही मचा रखी है। यहां पांच दिनों में 6 नगर निगम कर्मी कोरोना से मर चुके हैं। गत एक दिवस में लखनऊ में 6,598 नए मरीज मिले। इनमें 35 जिंदगी की जंग हार गए। एक अप्रैल से 16 अप्रैल तक 234 मरीजों की मौत दिल दहलाने वाली घटना है।
कैसी सरकार है और कैसी इसकी व्यवस्था है कि लोग मारे-मारे घूम रहे हैं? न जिंदा रहने को इलाज मिल रहा है और नहीं शवदाह के लिए लकड़िया मिल रही हैं। मंहगे आक्सीजन सिलेण्डर को हासिल करना गरीब के लिए सम्भव नहीं, कोरोना में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन का तो सवाल ही नहीं।
प्राईवेट अस्पताल मनमानी वसूली कर रहे हैं। सरकार लाचार बनी है। स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली के बाद जनसामान्य के लिए यही रास्ता बचता है कि वह सड़क पर लावारिस की तरह तड़त-तड़प कर जान दे दे।
मुख्यमंत्री जी अपनी चाहे जितनी प्रशंसा कर लें केन्द्र सरकार ने भी यूपी के हालात पर चिंता जताई हैं। प्रदेश में आईसीयू बेड बढ़ाने और एम्बूलेंस की संख्या बढ़ाने को भी कहा गया है। राज्य की भाजपा सरकार को केन्द्र की भाजपा सरकार ने आईना दिखा दिया है।
क्या इसके बाद भी मुख्यमंत्री जी अपनी बड़बोली बयानबाजी बंद कर जनता के दुःखदर्द बांटने के समुचित कदम उठाएंगे? राज्यपाल महोदया को अब तो प्रदेश की हर दिन बिगड़ती स्थिति का संज्ञान लेना चाहिए, यह संविधान सम्मत होगा।