नई दिल्ली: हरियाणा की एक अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए सभी छह देशों के 57 विदेशी जमातियों पर विदेशी नियमों के तहत लगाई गई सभी धाराओं को निराधार मानते हुए सभी जमातियों को बरी कर दिया और हरियाणा सरकार को आदेश दिया कि जल्द से जल्द सभी जमातियों को उनके देश भेजने की व्यवस्था करे। इन विदेशी जमात वालों को मेवात पुलिस ने 2 अप्रैल 2020 को हिरासत में लेकर उन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। एफआईआर में उनके खिलाफ महामारी और विदेशी कानून का उल्लंघन करने की धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया था।
पुलिस ने विदेशी जमातियों को आरोपी मानते हुए सभी धाराओं के तहत अदालत में चालान पेश किया था। इस मामले में मेवात ज़िला के नूह में लाॅकडाउन में फंसे विदेशी जमातियों को लेकर नूह की सीजीएम विशाल की अदालत ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने सभी छह देशों के 57 विदेशियों और एक भारतीय अनुवादक पर धारा 188 के तहत सरकारी आदेश का उल्लंघन करने का आरोपी क़रार देते हुए सभी पर एक हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया जिसे आरोपियों की ओर से उसी समय अदालत में विधायक आफताब अहमद ने अदा कर दिया। अदालत ने विदेशी कानूनों के तहत लगाई गई सभी धाराओं को निराधार मानते हुए सभी को बरी कर दिया जिसमें इंडोनेशिया के 11, श्रीलंका के 24, साउथ अफ्रीका के 5, बांग्लादेश के 11, थाईलैंड के 6 और नेपाल के एक जमाती शामिल हैं। स्पष्ट हो कि तब्लीगी जमात के ये सभी लोग लाॅकडाउन से पहले मेवात के विभिन्न गांवों में जमात में आए हुए थे। इन विदेशी जमातओं में बांग्लादेश की एक जमात में पांच महिलाएं भी अपने पतियों के साथ शामिल थीं।
नूह बार एसोसिएशन के मुख्य वकील एडवोकेट शौकत अली ने चालान पर अदालत में बहस की। उन्होंने अदालत के सामने विदेशी जमातियों का बचाव करते हुए कहा कि पुलिस ने जो विदेशी कानून और महामारी की धाराएं लगाई हैं वे गलत हैं क्योंकि मेवात में आए जमातियों ने किसी भी विदेशी कानून का उल्लंघन नहीं किया है। उनके पास ओरिजनल पासपोर्ट और वीज़ा है। और न ही उन्होंने महामारी नियमों का उल्लंघन किया है। सीजीएम विशाल की अदालत ने एडवोकेट शौकत अली की दलीलों को सही ठहराते हुए सभी धाराओं को खारिज कर दिया। केवल धारा 188 के तहत सभी विदेशी जमातियों को आरोपी पाया, जिसके तहत प्रत्येक पर एक-एक हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया। इसके साथ ही अदालत ने हरियाणा सरकार को जल्द से जल्द सभी जमातियों को उनके देश भेजने की व्यवस्था करने का आदेश दिया।
अध्यक्ष जमीअत उलेमा हिंद मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि विदेशी जमात के यह सभी लोग नियमानुसार वीज़ा लेकर आए थे, यह आज का कोई नया सिलसिला नहीं है बल्कि देश की आज़ादी के बाद से इसी प्रकार से लोग आते रहे हैं, हालांकि वीज़ा पर्यटक का होता है लेकिन तब्लीग सीखने के लिए आते हैं और भारत के विभिन्न शहरों में विभिन्न जमातों के साथ वर्षों से इसी तरह तब्ीलग सीखने के लिए जाते हैं इसलिए उनके लिए कोई कड़ा रुख अपनाना उचित नहीं मालूम होता है। नूह की अदालत ने इन विदेशियों के लिए जो रुख अपनाया है उसे हम सम्मान की दृष्टि से देखते हैं और आशा करते हैं कि नूह की अदालत की तरह देश के अन्य राज्यों की अदालतें भी उन्हें अपना अतिथि समझकर नम्रता का व्यवहार करेंगी। हमें खुदा से उम्मीद है कि यह लोग जल्द से जल्द अपने देशों को वापस चले जाएंगे।
जमीअत उलमा-ए-हिंद शुरुआत से ही दिल्ली से लेकर देश के विभिन्न राज्यों में इन विदेशी जमात वालों के लिए उनके दूतावासों से लगातार संपर्क में है और कई जगह जमीअत उलमा-ए-हिंद और जमात के चाहने वाले वकील मामले को देख रहे हैं। मौलाना मदनी ने कहा कि हमने पहले से ही विदेशियों का डेटा जारी करते हुए कहा था कि सांप्रदायिक मीडिया के प्रोपेगंडे ने कोरोना फैलाने का ज़िम्मेदार तब्लीगी जमात को ही बना दिया है जिसके कारण यह विदेशी अतिथि परेशानी में हैं। डेटा के अनुसार पूरे देश में लगभग 1640 विदेशी हैं, जिनमें केवल दिल्ली में 906 और शेष देश के अन्य राज्यों में हैं। हम दुआ करते हैं कि अल्लाह उनकी कठिनाइयों को दूर करे और साम्प्रदायिक तत्वों की साज़िशों को विफल बनाए।
जमीअत उलमा मेवात के मौलाना साबिर क़ासमी 2 अप्रैल से ही अपने साथियों के साथ अध्यक्ष जमीअत उलमा-ए-हिंद मौलाना सैयद अरशद मदनी के निर्देशानुसार सभी विदेशी जमात को मदद पहुंचाने, उनकी हर तरह देखरेख करने और उनकी स्वदेश वापसी के लिए लगातार प्रयासरत थे जिसमें कांग्रेस के पूर्व मंत्री और नूह के विधायक आफताब अहमद, मुफ्ती ज़ाहिद और शमसुद्दीन सरपंच रेहना की सेवाएं भी शुरू से बराबर शामिल रही हैं। आफताब अहमद का कहना है कि मशहूर वकील शौकत अली ने तब्लीगी जमात के लोगों की रिहाई के लिए जिस तरह पैरवी की है वह प्रशंसनीय है जिससे नूह की अदालत द्वारा विदेशी जमात के लोगों को बड़ी राहत मिली है।
मौलाना साबिर क़ासमी ने बताया कि इस संबंध में जमीअत उलमा के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी के निर्देशानुसार जमात के सभी लोगों को जमीअत उलमा-ए-हिंद के दिल्ली स्थित केंद्रीय कार्यालय के पते पर उनके पासपोर्ट और अन्य कागजात भेज दिए गए हैं। इस सिलसिले में मौलाना सैयद अरशद मदनी के निर्देश पर देश के अन्य स्थानों पर मौजूद विदेशी जमात के लोगों को संबंधित दूतावासों से संपर्क करके उनकी स्वदेश वापसी के लिए प्रयास तेज़ कर दिया गया है, जैसे ही टिकट और वीज़ा की व्यवस्था हो जाएगी उनको मेवात से उनके देश भेज दिया जाए। इधर आज मौलाना साबिर क़ासमी, शौकत अली एडवोकेट और मुफ्ती जाहिद हुसैन ने पल्ला होस्टल जाकर सभी तब्लीगी जमात के लोगों के न्यायिक और स्वास्थ्य संबंधित कागज़ात सौंप दिए हैं।