मसीहा: पाकिस्तानी मोअज़्ज़्म खान ने बचाई 2500 भारतीय छात्रों की जान,बिना किराया लिए की भारतीय छात्रों की मदद
कीव: पाकिस्तान की ओर से भारत को लेकर लगातार नकारात्मक खबरें आती रहती हैं। इस कारण हर भारतीय पाकिस्तान और पाकिस्तानियों से नफ़रत करता है। लेकिन एक पाकिस्तानी द्वारा ऐसा काम किया गया है कि हर ओर इस पाकिस्तानी की चर्चा हो रही है। इस पाकिस्तानी को भारतीय छात्रों के लिए मसीहा बताया जा रहा है। रूसी हमले के बाद हजारों भारतीय छात्र यूक्रेन में फंस गए थे। इनकी निकासी भारत के लिए एक बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती को क़ुबूल किया नितेश कुमार ने। एसओएस इंडिया के संस्थापक नितेश कुमार यूक्रेन के युद्धग्रस्त इलाकों में फंसे भारतीय छात्रों को पश्चिमी बॉर्डर तक पहुंचा रहे हैं और इसमें उनकी मदद एक पाकिस्तानी शख्स कर रहा है।
रेडिफ डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक जब नितेश ने भारतीय छात्रों को यूक्रेन से बाहर निकालने की सोची तो उन्हें कोई आइडिया नहीं था कि यह कैसे होगा। नितेश को पता था कि छात्रों को हंगरी, पोलैंड, स्लोवाकिया या रोमानिया की सीमा तक पहुंचने के लिए ढेर सारी बसें और कारें चाहिए। इनका इंतजाम करने के लिए उन्होंने कई टूर ऑपरेटर्स से बात की लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन यूक्रेन में रहने वाले पाकिस्तानी नागरिक मोअज़्ज़्म खान ने इस काम में उनकी मदद करने की जिम्मेदारी ली। मोअज़्ज़्म ने 2500 बच्चों को बचाया
रिपोर्ट के अनुसार नितेश ने कहा कि मोअज़्जम हमारे लिए ख़ुदा के भेजे हुए फ़रिश्ते की तरह आये और 2500 भारतीय छात्रों को सुरक्षित हंगरी, रोमानिया , पोलैंड और स्लोवाकिया की सीमाओं तक पहुँचाया। कई बार तो उन्होंने भारतीय छात्रों से एक पैसा भी नहीं लिया। मोअज़्ज़्म ने 2500 भारतीय छात्रों के लिए सुरक्षित रास्ते का इंतजाम किया था।
आपको बता दें कि एक ओर जहाँ यूक्रेनियन बस ड्राइवर्स एक एक भारतीय छात्रों से यूक्रेन की सीमा पोस्ट तक पहुंचाने का 250 डॉलर ले रहे थे, वहीं यूक्रेन में बस गए पाकिस्तानी मोअज़्ज़म खान ने प्रति छात्र मात्र 25 डॉलर लेकर यह काम किया और यही नहीं , जिन छात्रों के पास पैसे नहीं थे, उन्हें बिना कोई किराया लिए सीमा तक सुरक्षित पहुँचाया।
मोअज़्ज़्म ने रेडिफ को बताया कि जब मैंने भारतीय छात्रों के पहले बैच को बचाया तो मुझे नहीं पता था कि संकट इतना बड़ा है। मैंने पाया कि मेरा नंबर कई भारतीय व्हाट्सऐप ग्रुप्स पर वायरल हो गया है। इसके बाद मुझे आधी रात को लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए फोन आने लगे। उन्होंने कहा कि अभी तक मैं 2500 भारतीय छात्रों को बचा चुका हूँ।
मोअज़्ज़्म ने कहा कि यूक्रेन में किसी विदेशी के लिए बातचीत करना सबसे मुश्किल काम है। यहां ज्यादातर लोग यूक्रेनी भाषा बोलते हैं या कुछ लोग रूसी में बात करते हैं। यहां अंग्रेजी बहुत कम बोली जाती है। मैं उर्दू बोलता था और ज्यादातर भारतीय छात्र हिंदी बोलते थे, इसलिए हम बहुत आसानी से एक-दूसरे से जुड़ गए। हिंदी और उर्दू लगभग एक जैसी भाषाएं हैं, इसलिए हमें काफी आसानी हुई। उन्होंने कहा कि मैं उनसे सिर्फ 20 से 25 डॉलर लेता था क्योंकि मुझे पता था कि उनके पास देने के लिए पैसे नहीं है। कई बार ऐसा हुआ कि मैंने उनसे पैसे नहीं लिए क्योंकि उनके पास सारे पैसे खत्म हो गए थे।
मोअज़्ज़्म ने कहा कि सबसे बड़ी बात इन भारतीय छात्रों के माता-पिता द्वारा भेजी गई वह दुआएं हैं जो वह मुझे मेरे व्हाट्सऐप पर भेज रहे हैं।
मोअज़्ज़्म से जब पूछा गया कि एक पाकिस्तानी होने के नाते, दोनों देशों के संबंधों को इतिहास को देखते हुए भारतीय छात्रों की मदद करते हुए उन्हें कैसा लगा। मोअज़्ज़्म ने कहा कि आपने हाल ही में एक वीडियो देखा होगा, जिसमें भारत की महिला क्रिकेट टीम एक पाकिस्तानी खिलाड़ी के बच्चे के साथ खेलती हुई नजर आ रही है। यह प्यार और इंसानियत है। दुश्मनी तो सिर्फ राजनीति है, दोनों देशों के लोग एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं।