नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को प्रशांत भूषण के 2020 आपराधिक अवमानना मामले पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है, इससे पहले सुनवाई के दौरान अदालत ने न्यायपालिका के खिलाफ ट्वीट पर खेद व्यक्त नहीं करने के अपने रुख पर ‘विचार करने’ के लिए कार्यकर्ता-वकील भूषण को 30 मिनट का समय दिया, इसके बाद अदालत ने भूषण के वकील से उनके मुवक्किल को क्या सजा दी जानी चाहिए इस पर विचार मांगे तो उन्होंने कहा कि उन्हें कोई सजा नहीं दी जानी चाहिए, अदालत ने अवमानना मामले में सजा दिए जाने पर प्रशांत भूषण के वकील, राजीव धवन से उनके विचार मांगे, इसपर वरिष्ठ वकील ने अदालत से कहा कि प्रशांत भूषण को दोषी ठहराने वाले फैसले को वापस लिया जाना चाहिए, उन्हें कोई सजा नहीं दी जानी चाहिए.
जब न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने भूषण के बयान पर उनके विचार जानने चाहे तो अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने वकील के लिए माफी मांगी, इसपर शीर्ष अदालत ने भूषण को एक और मौका दिया, वेणुगोपाल ने कहा कि वे अपने (भूषण) सभी बयान वापस लेंगे और खेद व्यक्त करेंगे, पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई और कृष्ण मुरारी भी शामिल थे, हालांकि उन्होंने न्यायपालिका के खिलाफ किए ट्वीट को लेकर सर्वोच्च न्यायालय से माफी मांगने से इनकार कर दिया, उन्होंने कहा कि उन्होंने जो कहा है वो उनके विचार को दर्शाता है, इसपर पीठ ने पूछा, ‘भूषण कहते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय ध्वस्त हो गया है, क्या यह आपत्तिजनक नहीं है.
सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा, ‘इंसान को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए, हमने भूषण को समय दिया, लेकिन उनका कहना है कि वह माफी नहीं मांगेंगे, प्रशांत भूषण को बोलने की स्वतंत्रता है, लेकिन उनका कहना है कि वह अवमानना के लिए माफी नहीं मांगेंगे,’ वहीं अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने न्यायालय से कहा कि अवमानना के लिए दोषी ठहराए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को माफी दी जानी चाहिए, उन्होंने कहा कि अदालत को भूषण को चेतावनी देनी चाहिए और दयापूर्ण रुख अपनाना चाहिए, न्यायालय ने कहा कि अदालत केवल अपने आदेश के जरिए अपनी बात रख सकती है, अपने हलफनामे में भी प्रशांत भूषण ने अपमानजनक टिप्पणी की है.
कार्यकर्ता और वकील प्रशांत भूषण ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह उनके दो ट्वीट को लेकर अदालत की अवमानना मामले में उन्हें दोषी ठहराए जाने का फैसला बदल कर एक नीति उपदेशक की तरह संदेश दे, मामला न्यायपालिका के खिलाफ भूषण के दो ट्वीटों से जुड़ा है, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भी जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ से प्रशांत भूषण को माफ कर देने का आग्रह किया, वह ट्वीट के लिए बिना शर्त माफी मांगने से इनकार कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि भूषण को अपने सभी बयान वापस लेने चाहिए और खेद व्यक्त करना चाहिए.
बता दें कि पीठ ने 20 अगस्त को भूषण को अपने अपमानजनक बयान पर पुनर्विचार करने और अवमानना भरे ट्वीट के लिए बिना शर्त माफी मांगने के लिए सोमवार तक का समय दिया था, पीठ ने कहा था कि भूषण को अपने अवमाननाकारी बयान पर पुनर्विचार करना चाहिए और ट्वीट के लिए बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए, भूषण की ओर से पीठ के समक्ष पेश हुए वकील राजीव धवन ने भूषण द्वारा प्रस्तुत पूरक बयानों का उल्लेख करते हुए कहा कि न केवल इस मामले को बंद होना चाहिए बल्कि यह विवाद भी समाप्त होना चाहिए, भूषण ने कहा, ‘मैं दो सुझाव देता हूं, सजा के फैसले को वापस लेना चाहिए और कोई सजा नहीं दी जानी चाहिए.
प्रशांत भूषण के बयानों और माफी मांगने से इनकार करने का उल्लेख करते हुए अदालत की पीठ ने वेणुगोपाल से कहा कि गलतियां सभी लोग करते हैं लेकिन उन्हें स्वीकार करने की आवश्यकता होती है, पीठ ने कहा कि इस मामले में प्रशांत भूषण अपनी गलती स्वीकार करने को तैयार नहीं थे, सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, हमें एक दूसरे के प्रति सम्मान दर्शाना चाहिए, सहिष्णु होना चाहिए, हम आपसे (वकीलों से) अलग नहीं हैं, हम भी बार से आए हैं, आलोचना का स्वागत है लेकिन हम सार्वजनिक मंचों पर नहीं जा सकते, जस्टिस मिश्रा ने कहा कि जज अपने मन की बात करने के लिए प्रेस के पास नहीं जा सकते हैं.
रिपोर्ट सोर्स, पीटीआई