ध्रुव गुप्त
अब तो हम भारतवासियों की तमाम ख्वाहिशें हमारी मीडिया ने पूरी कर दी है। भारत विश्व का आध्यात्मिक गुरू था ही, कूटनीतिक गुरू भी बन गया। पाकिस्तान का सर्वनाश मीडिया ने करा ही दिया। उसके डर से चीन एल.ए.सी से जान बचाकर तूफान की गति से पीछे भागा है। उसने न सिर्फ गलवान घाटी में और आर्थिक मोर्चे पर चीन को कभी न भूलने वाला सबक सिखा दिया, बल्कि दुनिया की तमाम महाशक्तियों पर मोदी जी के प्रभाव का इस्तेमाल कर दक्षिण चीन सागर से लेकर हिन्द महासागर तक उसकी घेराबंदी भी करवा दी। उसके कहने पर ट्रम्प ने चीन पर एटमी हमले की तैयारी कर ली है। भारत से भी वे तमाम प्रलयंकारी अस्त्र-शस्त्र एकत्र करवा दिए जो एक पल में पाकिस्तान और चीन को ज़मींदोज़ कर दे सकते हैं। उसने अभी ख़ुद को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में विद्रोह कराकर जिनपिंग को सत्ताच्युत कराने, पाकिस्तान में बैठे आतंक के आक़ाओं को मारने तथा वहां की सेना द्वारा इमरान खान का तख्तापलट कराने और उत्तर कोरिया के तानाशाह को मौत की नींद सुलाने के मिशन पर तैनात किया हुआ है। परिणाम कभी भी सामने आ सकते हैं। हमारी सर्वज्ञाता मीडिया के प्रभाव से भारत अब सुपर पावर बनने की कगार पर खड़ा है।
ख़ुश ? लेकिन यह ख़ुशी बनी रहे इसके लिए जिंदा रहना भी ज़रूरी है। तो आईए कुछ दिनों तक मीडिया निर्मित इस राष्ट्रीय गौरव पर लहालोट होना छोड़कर कोरोना की तरफ़ फिर से लौट चलें। देश में अबतक लगभग सवा आठ लाख लोग संक्रमित और बाईस हज़ार से ज्यादा लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं। अभी अमेरिका और ब्राजील के बाद दुनिया में भारत का तीसरा नंबर है। अगर इस मामले में भी देश को शिखर पर नहीं देखना चाहते हैं तो सजग हो जाईए। उन्माद में कोरोना से टकराकर मरने की नहीं, उससे बचकर जिंदा रहने की ज़रूरत है। मीडिया को बाकी समस्याओं के हल खोजने दें, आप बस अपनी और अपने लोगों की जान बचाने की सोचें ! चीन और पाकिस्तान को दिन-रात सोचकर मरियेगा तो बहुत संभव है कि अगला जन्म आपको चीन या पाकिस्तान में ही मिले !
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