नई दिल्ली: भारत के 40 करोड़ श्रमिकों की पीड़ा से अपने को जोड़ते हुए कुंवर दानिश अली ने 10 अप्रैल अपने जन्म दिवस पर एक दिवसीय रोज़ा (उपवास) रखा। दानिश अली ने कहा है कि कोरोना विदेश से आयातित बीमारी है। इसे विदेशों से आने वाले यात्री भारत लेकर आए। विदेश से आये 15 लाख लोगों की जांच की जिम्मेदारी भारत सरकार की थी ,जो कोरोना की सूचना मिलने के बाद भी ट्रम्प के स्वागत में लगी रही। फिर मध्यप्रदेश में सरकार बदलने में लगी रही और इधर ध्यान नहीं दिया l उन्होंने कहा है कि भारत सरकार को अपनी इस गलती को स्वीकार करना चाहिएl
दानिश अली ने कहा कि स्थिति बिगड़ने के बाद बिना किसी योजना को सरकार ने पूर्णबन्दी घोषित कर दी। इसकी वजह से देश का 40 करोड़ मेहनतकश भुखमरी के कगार पर पहुँच गया है। दानिश अली ने कहा है कि भारत में कोरोना की दस्तक जनवरी में ही उजागर हो चुकी थी। विपक्ष ने इसकी तरफ भारत सरकार का ध्यान भी आकर्षित किया गया लेकिन बहुमत के अहंकार में भारत सरकार ने इस महामारी को लेकर गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाया। जिसकी कीमत अब 130 करोड़ लोगों को चुकानी पड़ रही है। इसमें 40 करोड़ भुखमरी की चपेट में हैं।
दानिश अली ने कहा कि पूर्णबन्दी का सबसे मारक असर बेघर लोगो, प्रवासी मजदूरों, दिहाड़ी मजदूरों, ठेका मजदूरों, निर्माण मजदूरों, दैनिक मजदूरों पर पड़ा है। उन लोगों पर पड़ा है, जो रोज कमाने खाने या मामूली पगार पर जीने वाले हैं। पूर्णबन्दी की वजह से इनकी रोजी रोटी के स्रोत समाप्त हो गए। अचानक हुई बन्दी से करोड़ों मजदूर जैसे तैसे रोते बिलखते गांव लौट आए, लाखों रास्ते में फंस गए। इन लोगों के पास अब आय का कोई साधन नहीं है। सरकार ने राशन देने और बैंकों मे सहायता राशि डालने की घोषणा की है लेकिन जिन लोगों के कार्ड बने नही है, उन्हें राशन भी नही मिल पा रहा है।
दानिश अली ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों तथा वर्तमान केन्द्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों के गांव वापसी की कोई योजना नहीं बनायी। सरकार सिर्फ अन्त्योदय की बात प्रचार प्रसार में करती है, जबकि असल में अन्त्योदय को रेखांकित करने का काम नहीं किया गया। उन्होंने कहा है कि यदि गांवों में कुटीर उद्योग के संचालन पर केन्द्र सरकार की नियति साफ होती तो भुखमरी वाली स्थिति नहीं पैदा होती।
दानिश ने कहा कि जरूरतमंदों व गरीब मजदूरों को रोटी, कपड़ा और मकान की व्यवस्था सुनिश्चित करना सरकारों का कर्तव्य था। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। सरकारों में पूंजीपतियों का हमेशा वर्चस्व रहा है जो आज भी है। इसकी वजह से बाबा साहेब अंबेडकर जी ने जिस समाजवाद और सामाजिक न्याय का सपना देखा था, वह भारतीय संविधान तक ही सीमित रहा है। पूर्णबन्दी घोषित करते समय सरकार को इससे पैदा होने वाली स्थितियों पर भी विचार करना चाहिए था जो नहीं हुआ जिसकी वजह से 40 करोड़ श्रमिक भूखमरी की चपेट में हैं। इस स्थिति को बदलने के लिए हमें विकास की वर्तमान अवधारणा को बदलने का सुनियोजित संगठित प्रयास करना होगा l
महामहिम राष्ट्रपतिजी और प्रधानमंत्रीजी सहित उन सभी महानुभावों का आभार जिन्होंने इस अवसर पर याद किया l दानिश अली ने कहा कि इन हालातों में मेरा जन्मदिन सही मायने में शुभ तभी होगा जब सरकार 40 करोड़ बेहाल श्रमिकों को त्वरित राहत देने हेतु 5000 रुपये प्रति माह देने की तत्काल घोषणा करे।