नयी दिल्लीः  भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुरुवार को कहा कि सरकार किसानों के विकास को लेकर कटिबद्ध है और उसने 70 साल से बेड़ियों में जकड़े किसानों को आजादी दिलाने के लिए तीन कृषि सुधार कानून बनाये हैं।

सिधिया ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद के प्रस्ताव पर जारी चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि आन्दोलनकारी किसानों से संवाद करने की नीति के कारण ही सरकार ने किसान संगठनों के साथ ग्यारह दौर की वार्ता की है। कानूनों में किये गये बदलाव के कारण किसानों को अपने उत्पाद को कहीं भी , किसी को मनचाहे कीमत पर बेचने की आजादी दी गयी है । सरकार ने इस कानून को डेढ साल के लिए स्थगित करने की बात कही है।

देश दुनिया की अहम खबरें अब सीधे आप के स्मार्टफोन पर TheHindNews Android App

उन्होंने कहा कि किसान देश के विकास की रीढ़ हैं । वे दुनिया का पेट भरते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणापत्र में कृषि सुधार करने का वादा किया था। तत्कालीन कृषि मंत्री ने इस संबंध में मुख्यमंत्रियों को पत्र भी लिखा था । कांग्रेस को अपनी जुबान नहीं बदलनी चाहिये।

सिंधिया ने कहा कि सरकार बड़े पैमाने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान , गेहूं , दालें और कपास खरीद रही है। किसानों को आर्थिक मदद देने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की गयी है। फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत का डेढ गुना किया गया है।

उन्होंने गणतंत्र दिवस के दिन लाल किले पर हुयी घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि इस मामले में 394 पुलिसकर्मी और पत्रकार घायल हुए तथा एक किसान की भी जान चली गयी। राष्ट्रपति के अभिभाषण का विपक्ष की ओर से बहिष्कार करने की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र के तिरस्कार करने के समान है।

उन्होंने कोरोना महामारी के मुकाबले को लेकर सरकार की ओर से की गयी तैयारी की सराहना करते हुए कहा कि मोदी सरकार इस संकट से युद्ध स्तर पर निपटी। विपक्ष ने लॉकडाउन लगाने , इसे समाप्त करने तथा कोरोना टीके को लेकर सवाल उठाये जबकि सदन में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने एक समिति की रिपोर्ट में कोरोना को लेकर सरकार के प्रयासों की सराहना की है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने अधिक से अधिक लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सवस्थ्य विभाग के बजट में पिछले साल की तुलना में 137 प्रतिशत की वृद्धि की है। इस साल के बजट को दो लाख 23 हजार करोड़ रुपये का कर दिया गया है तथा 22 एम्स बनाने का प्रस्ताव किया गया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दौरान स्वास्थ्य विभाग के बजट की पूरी राशि खर्च नहीं की जाती थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here