नई दिल्ली : शिवसेना ने मोदी सरकार के शीतकालीन सत्र टालने के फैसले की निंदा करते हुए आरोप लगाया कि मोदी सरकार किसान प्रदर्शन, देश की आर्थिक स्थिति और चीन के साथ सीमा पर गतिरोध जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा से बचना चाहती है.

शिवसेना ने कहा कि सत्र इसलिए रद्द किया गया ताकि विपक्ष को इन मुद्दों पर सवाल करने का मौका ही ना मिले, उसने कहा, यह कैसा लोकतंत्र है?

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देश तभी जिंदा रह सकता है, जब लोकतंत्र में विपक्षी दलों की आवाजें बुलंद हों, संसद की यह लोकतांत्रिक परंपरा देश को प्रेरणा देती हैं, पीएम मोदी को इस परंपरा का पालन करना चाहिए.

मोदी सरकार ने हाल ही में कहा था कि कोविड-19 महामारी के कारण इस साल संसद का शीतकालीन सत्र नहीं होगा और इसके मद्देनजर अगले साल जनवरी में बजट सत्र की बैठक आहूत करना उपयुक्त रहेगा.

शिवसेना ने कहा कि विश्व में एक बड़े लोकतांत्रिक देश में कोविड-19 के बावजूद चुनाव नहीं रुके, वहीं हम संसद के केवल चार दिन के सत्र की अनुमति नहीं दे रहें.

शिवसेना ने कहा कि अमेरिका में लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव हुए और देश का राष्ट्रपति बदला गया, यह शक्तिशाली देश का लोकतंत्र है, जबकि हमने लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर पर ही ताला लगा दिया.

महाराष्ट्र में शीतकालीन सत्र को कोविड-19 के मद्देनजर छोटा कर दो दिन का करने के फैसले की भाजपा की राज्य इकाई द्वारा आलोचना पर उसने कहा कि BJP का लोकतंत्र पर रुख अपनी सहूलियत के हिसाब से बदल जाता है.

शिवसेना ने कहा कि मंत्री प्रहलाद जोशी का कहना है कि उन्होंने सभी पार्टियों से शीतकालीन सत्र ना कराने को लेकर बातचीत की है, उसने पूछा कि कब और कहां यह चर्चा हुई.

शिवसेना ने कहा कि कोविड-19 का हवाला देकर संसद का सत्र रद्द करना शर्मनाक है, जबकि PM मोदी खुद हाल ही में संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनाव में रैलियों को संबोधित कर रहे थे.

उसने जे, पी, नड्डा के बंगाल दौरे का भी जिक्र किया, जहां अगले साल चुनाव होने हैं.

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