नई दिल्ली : महाराष्ट्र में इन दिनो साढ़े तीन सौ साल पुराने इतिहास के दो पात्रों को लेकर सियासत हो रही है, ये पात्र हैं मुग़ल शासक औरंगज़ेब और मराठा शासक छत्रपति संभाजी.
शिवसेना ने शहर औरंगाबाद का नाम बादल कर संभाजीनगर करना चाहती है लेकिन कांग्रेस को इस पर ऐतराज है,
औरंगाबाद का नाम फ़तहनगर था, औरंगज़ेब ने इसे जीतकर इसका नाम औरंगाबाद रख दिया, मुग़ल सल्तनत के दौरान औरंगाबाद दक्खन क्षेत्र की राजधानी हुआ करता था, औरंगज़ेब की कब्र भी औरंगाबाद में ही है.
औरंगज़ेब के शासनकाल का एक बड़ा हिस्सा मराठाओं से संघर्ष में गुजरा, औरंगज़ेब की भिड़ंत पहले मराठा राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी के साथ हुई और फिर उनके बेटे छत्रपति संभाजी के साथ, लड़ाई के दौरान संभाजी मुग़लों की गिरफ़्त में आ गए.
1995 में जब शिव सेना-बीजेपी की गठबंधन सरकार सत्ता में आयी थी तब सीएम मनोहर जोशी की कैबिनेट ने औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने का प्रस्ताव पास कर दिया था, लेकिन उस प्रस्ताव को अदालत में चुनती दी गयी, मामला पहले HC में गया.
फिर SC में इससे पहले कि अदालत कोई फ़ैसला सुना पाती महराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन हो गया, 1999 में शिव सेना-भाजपा की गठबंधन सरकार की जगह कांग्रस-एनसीपी की सरकार आ गयी। CM विलासराव देशमुख ने अदालत में सरकार का पक्ष बदल दिया और नामांतरण नहीं हो पाया.
औरंगाबाद में बड़े पैमाने पर मुस्लिम रहते हैं और यहाँ असदउद्दिन ओवैसी की पार्टी का दबदबा बना लिया है, यहां के सांसद इम्तियाज़ जलील हैं.
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